कंपनी के लिए अध्यादेश को मंजूरी
एक अप्रैल से राज्य सरकार शराब बेचने जा रही है। इसके लिए राज्य कैबिनेट ने आज छत्तीसगढ़ आबकारी (संशोधन) अध्यादेश 2017 का अनुमोदन किया।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि नेशनल हाइवे से लगी दुकानें सड़क से 500 मीटर के दायरे में नहीं होंगी। ऐसे में राज्य की 411 दुकानों के ठेकेदार दुकान चलाने के इच्छुक नहीं हैं। अब इन दुकानों से जो घाटा होगा, उसे पूरा करने के लिए ही कार्पोरेशन का गठन किया जा रहा है। मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने बताया कि इस पर राज्य सरकार का पूरा स्वामित्व होगा। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों से लगी दुकानों को 500 मीटर के दायरे से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आबकारी कारोबार में होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार ने यह निर्णय किया है। ये दुकानें एक अप्रैल से बंद की जानी है। छत्तीसगढ़ की 411 ऐसी दुकानें बंद या शिफ्ट की जानी है। ये दुकानें शहर-गांव-कस्बे के भीतर शिफ्ट किए जाने से बड़ी संख्या में ठेकेदार दुकान चलाने के इच्छुक नहीं हैं। ऐसी स्थिति में केरल और तमिलनाडु की तर्ज पर इन दुकानों को आबकारी विभाग के अमला चलाएगा। ऐसी व्यवस्था इस समय तमिलनाडु में है। उसी तर्ज पर छग में भी सरकार ने शराब के कारोबार के लिए एक पृथक कंपनी के गठन का फैसला किया है। यदि सभी दुकानें नीलामी में उठ जाती हैं तो सरकार अपने इस फैसले को लागू नहीं करेगी और अध्यादेश फंक्शनल नहीं रहेगा। यह कंपनी वर्तमान ब्रेवरेजेस कार्पोरेशन से अलग होगी। गौरतलब है कि प्रदेश में 700 से ज्यादा शराब दुकानें हैं और 3900 करोड़ रुपए का कुल कारोबार होता है।
प्रदेश के गांव-गांव में शराब की अवैध बिक्री रोकने में आबकारी विभाग की नाकामी को लेकर कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों ने मंत्री अमर अग्रवाल को घेर लिया। मंत्रियों ने अग्रवाल से पूछा कि जब प्रदेश में शराब की दुकानें कम की गईं है तो फिर खपत कैसे बढ़ रही है? इस पर मंत्री अग्रवाल ने इसे केवल दुष्प्रचार बताते हुए जल्द नई पालिसी लाने की बात कही।