सिंहस्थ के साथ ब्रांडिंग नमो-शिवाय की
राकेश अग्निहोत्रीसिंहस्थ पर जब देश-दुनिया की नजर है तब शिवराज एक नई मुहिम छेड़ने वाले हैं..जिसका पहला मकसद मोदी सरकार की योजनाओं और उनकी उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार कर दूसरे राज्यों के मुकाबले मध्यप्रदेश को नंबर वन साबित करना है तो साथ में अपनी 10 साल की सरकार की ब्रांडिंग भी सुनिश्चित करना है..रणनीति साफ है कि सिंहस्थ के समय नामी-गिरामी धर्म और आध्यात्मिक गुरु का आना-जाना उज्जैन में लगा रहेगा तो देश के कई वीआईपी के साथ वैचारिक महाकुंभ में कई देशों के नुमांइदे भी शिरकत करने आ रहे हैं..यानी चौहान के लिए यदि ये समय अपनी और मोदी सरकार की ब्रांडिंग की एक अच्छा मौका है तो एक बड़ी चुनौती भी जिसमें उन्हें जनता के बीच ये साबित करना होगा कि दिल्ली में मोदी सरकार जब 2 साल पूरे करेगी तब वो ये सोचने को मजबूर हो कि केंद्र की सरकार यूपीए से न सिर्फ बेहतर, उपयोगी है बल्कि आम और गरीब जनता की हिमायती और हमदर्द भी है..जिसने अच्छे दिन लाने का जो वादा किया था वो शेष तीन साल में सही साबित होगा..तो दूसरी ओर शिव के राज में मध्यप्रदेश का न सिर्फ कायाकल्प हुआ है बल्कि जनता के पास मिशन 2018 का एकमात्र िवकल्प कोई और नहीं, चौहान ही हैं जिनके हर दांव ने विरोधियों को सियासत के मैदान में चारों खाने चित किया है।31 मार्च को होने वाली प्रदेश बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में कार्यकर्ताओं को ये संदेश दे दिया जाएगा कि वो अब मोदी और चौहान दोनों सरकार की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार में जुट जाएं..इसका आगाज यदि 14 अप्रैल को ग्राम उदय और भारत उदय के साथ खुद पीएम मोदी अंबेडकर की जन्मस्थली महू के दौरे के दौरान करेंगे तो मध्यप्रदेश में ये कार्यक्रम 10 दिन तक सीमित न रखते हुए 45 दिन तक चलेगा..जब नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के 2 साल पूरे करने की ओर बढ़ते नजर आएंगे..सामाजिक समरसता इसका एक मुद्दा होगा तो फोकस केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों के आधार पर ब्रांिडंग पर होगा..अमित शाह पहले ही ये जिम्मेदारी दिल्ली में देशभर के पार्टी के सांसदों को सौंप चुके हैं लेकिन मध्यप्रदेश में अब इस मिशन में विधायक समेत सभी जनप्रतिनिधि और पार्टी के पदाधिकारी समेत छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं का कूदना तय है..खुद सीएम हफ्ते में 3 दिन गांव में जाकर पंचायत लगाएंगे तो दूसरे नेता भी रात बिताकर ग्रामीण मतदाताओं का मानस बनाएंगे..सरकार ने प्रचार-प्रसार से जुड़े इस अभियान के लिए विशेष फंड की व्यवस्था की है तो हर मोर्चे पर ब्रांडिंग के सारे विकल्प खोलने का मन बना लिया है..दिल्ली में यदि मोदी-शाह की चिंता सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार नहीं होने की रही है तो इस कमजोर कड़ी को मध्यप्रदेश में दुरुस्त और सही साबित करने के लिए टीम शिवराज ने जो योजना बनाई है उसमें एक बार फिर चीफ सेक्रेट्री से लेकर ग्राम सेक्रेट्री तक गांवों की खाक छानते हुए नजर आ सकते हैं..इससे पहले सीएम ने किसानों की सुध लेने के लिए नौकरशाहों को गांव में भेजा था..पीएम मोदी खुद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्यप्रदेश के साथ पूरे देश के आला अफसरों के संपर्क में पहले ही आ चुके हैं..तो मन की बात में आम आदमी द्वारा दिए गए सुझावों का जिक्र कर उन्होंने दूसरे पीएम की तुलना में मतदाताओं के बीच एक अलग ऐसे नेता की छाप छोड़ने को कोशिश की है जो ये साबित करना चाहता है कि योजनाएं थोपी नहीं जाएंगी बल्कि नीचे से मिले फीडबैक और वक्त की जरूरत के हिसाब से बनाई जा रही हैं..ये मौका है शिवराज के लिए कुछ नया करने और दूसरे राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश को कम से कम मोदी की नजर में न सिर्फ बेहतर साबित करने का बल्कि उन्हें ये भरोसा दिलाने का भी कि 12 साल से सरकार में रहते बीजेपी और खासकर 10 साल के सीएम शिवराज के खिलाफ जनता में कोई एंटी इंकम्बैंसी नहीं है..यही नहीं पिछले 2 साल में मोदी सरकार ने जो योजनाएं लांच की हैं उसे मध्यप्रदेश ने गंभीरता से लिया है बल्कि अलग पहचान भी कायम की है..यदि इसमें टीम शिवराज सफल रही तो निश्चित तौर पर नमो-शिवाय की कैमेस्ट्री मिशन 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शिवराज के नेतृत्व में एक बार फिर वापसी कराकर तमाम कयासों और अटकलों पर िवराम लगा सकती है..फिलहाल ये दूर की कौड़ी है और िशवराज के लिए सिंहस्थ के बाद उस मिथक को भी तोड़ने की है जो नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ा है..यहां सवाल ये खड़ा होता है कि पिछले दिनों जब झाबुआ लोकसभा चुनाव हारने के बाद शिवराज ने गांव में चौपाल लगाकर जनसंवाद स्थापित किया था तब उन्होंने अपनी ही सरकार के बदलाव का जो मानस बनाया था आखिर वो अभी तक अंजाम तक क्यों नहीं पहुंचा..उस वक्त अधिकारियों ही नहीं, क्षेत्र के विधायकों की निष्िक्रयता और जनता के हितों की अनदेखी की जो शिकायतें सामने आई थीं इस बात की क्या गारंटी है कि वो अब दूर हो गई हैं..और जब शिवराज और उनके सांसद, विधायक और निकाय से जुड़े जनप्रतिनिधि अफसरों के लाव लश्कर के साथ गांव गांव जाएंगे तब ऐसी नौबत देखने को नहीं मिलेगी..सवाल ये भी खड़ा होता है कि सिंहस्थ के दौरान समय निकालकर शिवराज जब इस अभियान के दौरान प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में प्रवास पर निकलेंगे तब गर्मी जब शबाब पर होगी तो मौसम इनके मिशन को प्रभावित नहीं करेगा..शिवराज भले ही सांसदों के सीधे संपर्क में हों और विधायकों से वन टू वन कर उनकी समस्याओं का समाधान समय रहते यदि सुनिश्चित भी कर देंगे तो क्या उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ क्षेत्र विशेष में अपेक्षाओं को लेकर उपजा आक्रोश क्या खत्म हो जाएगा..सीएम को ये ध्यान रखना होगा कि कांग्रेस की हालत खस्ता है और वो गुटबाजी से बाहर नहीं निकल पा रही इसके बाद भी राहुल के मिशन मनरेगा को कांग्रेस एक नए अभियान के तौर पर लेकर अब उन गांवों पर फोकस करने वाली है जहां टीम शिवराज दोनों सरकारों की ब्रांडिंग के लिए जाने वाली है..देखना दिलचस्प होगा कि मोदी जब 2 साल पूरे करेंगे तब मध्यप्रदेश में सियासी माहौल कैसा बनेगा। क्या मोदी की ब्रांडिंग का फायदा शिवराज को मिलेगा या फिर शिवराज की अपनी छवि और लोकप्रियता मोदी सरकार की ब्रांडिंग का हिस्सा बनेगी जिसके खिलाफ िवरोधी जो दिल्ली में लामबंद हो चुके हैं और उन्हें इंतजार है 5 राज्यों के चुनाव का जिसके ठीक बाद मोदी बतौर पीएम 24 मई 2016 को अपने कार्यकाल के 2 साल पूरे करेंगे...लेकिन उससे पहले 19 मई को सभी 5 राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके होंगे..।(नया इण्डिया से साभार)