छत्तीसगढ़ी को मिलेगा हिंदुस्तान की भाषा का दर्जा
छत्तीसगढ़ी

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का पांचवा दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन राजिम के पं. रामबिशाल पाणडेय विद्यालय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद चंदूलाल साहू, विधायक संतोष उपाध्याय, आयोग के प्रदेशाध्यक्ष विनय कुमार पाठक की मौजूदगी में हुआ।

पूर्व मंत्री अमितेश शुक्ला, प्रख्यात कवि व आयोग के सचिव डॉ. सुरेन्द्र दुबे सहित प्रदेश भर के 27 जिले व देश भर से आए ख्याति नाम कवि साहित्यकार की मौजूदगी में शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर धरमलाल कौशिक ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा संविधान के आठवीं अनुसूची में जुड़ने के बाद हिन्दुस्तान की दर्जा प्राप्त भाषा बन जाएगी। तब हमारे दोनों सदन के संसद प्रतिनिधि छत्तीसगढ़ी में प्रश्न कर सकेंगे। पत्राचार भी किया जा सकेगा।

कौशिक ने कहा कि गांवों में छत्तीसगढ़ी बोल चाल की भाषा है लेकिन शहर के लोग बोलने से सकुचाते हैं। मात्र सरकार द्वारा दर्जा देने से काम नहीं चलेगा इसके लिए हर छत्तीसगढ़िया को आगे आना होगा। हर राज्य में उनकी अपनी भाषा चलती है। अपनी क्षेत्रीय भाषा को गर्व से प्रस्तुत करते हैं लेकिन हम छत्तीसगढ़िया छत्तीसगढ़ी बोलने से परहेज क्यों करते हैं। मंच पर मौजूद प्रदेशभर के साहित्यकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रम्हलीन पवन दीवान पृथक छत्तीसग़ढ़ आंदोलन के नेतृत्वकर्ता थे। इसके लिए उन्होंने अनेक लड़ाइयां लड़ी। भागवत कथा के माध्यम से छत्तीसगढ़ी को जन जन तक पहुंचाया।