आदि शंकराचार्य के दर्शन पर आधारित पाठ स्कूल पाठयक्रम में शामिल होगा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन को आम लोगों तक पहुँचाने और इसे व्यवहार में लाने के लिये ओंकारेश्वर में संतों के मार्गदर्शन में वेदांत संस्थान की स्थापना की जायेगी। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य के जीवन और दर्शन पर आधारित पाठ स्कूल पाठयक्रम में पढ़ाया जायेगा। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा की स्थापना की जायेगी। इस प्रतिमा के लिये प्रदेश के हर घर से धातु का संग्रहण किया जायेगा। श्री चौहान ओंकारेश्वर में \'नमामि देवि नर्मदे\'\' नर्मदा सेवा यात्रा के आगमन पर आदि शंकराचार्य स्मरण प्रसंग पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि आदि शंकराचार्य ने नर्मदा के तट पर ओंकारेश्वर में दीक्षा प्राप्त की थी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन के कारण ही भारत की सांस्कृतिक एकता और अखंडता कायम हुई थी। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर, नर्मदा और आदि शंकराचार्य के महत्व को बताने वाला लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम प्रारंभ किया जायेगा। आदि शंकराचार्य जी की गुफा का संत समाज के मार्गदर्शन में पुनरुद्धार होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों के सहयोग और मार्गदर्शन से काम करना भी सरकार का काम है। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर में एक संग्रहालय और इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना भी की जायेगी। विष्णुपुरी, ब्रह्मपुरी और ममलेश्वर मंदिरों को जोड़ने वाला आकाश मार्ग स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि ममलेश्वर मंदिर में सभी नागरिक सुविधाओं का इंतजाम किया जायेगा। देवसर मंदिर और चन्द्रमौली मंदिर का भी मूल स्वरूप में उद्धार किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने ओंकारेश्वर नगर पंचायत द्वारा तीर्थ-यात्रियों से लिये जाने वाले कर को समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नगर पंचायत को इससे होने वाली आय की भरपाई राज्य सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदि शंकराचार्य के स्मरण प्रसंग पर आयोजित संगोष्ठी एक अदभुत अवसर है। यह आध्यात्मिक, धार्मिक और दर्शन का संगम है। उन्होंने कहा कि आदि शंकारचार्य के अद्वैत दर्शन के कारण सनातन धर्म अपने स्वरूप में विद्यमान है। उन्होंने नर्मदा सेवा यात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में नदियों को जननी कहा गया है। नदियों का केवल भौगोलिक अस्तित्व नहीं है, वे आध्यात्मिक जीवन का अंग है।श्री चौहान ने कहा कि अद्वैत दर्शन में सभी जीवों को ब्रह्म का रूप माना गया है। यही आत्मिक प्रसन्नता का स्त्रोत है।
जूना अखाड़ा के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि आदि शंकराचार्य के दर्शन ने सभी प्रचलित कुरीतियों पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि संसाधनों के त्यागपूर्वक उपभोग की भारतीय संस्कृति रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्याकुलताएँ सिर्फ अज्ञानता के कारण हैं। यह जीवन के सत्य को अनावृत करने का दर्शन है।
स्वामी अवधेशानंद गिरि ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के नर्मदा नदी को प्रदूषणमुक्त करने के संकल्प की चर्चा करते हुए कहा कि सिंहस्थ भी उनके संकल्प से निर्विघ्न संपन्न हुआ था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान राजा विक्रमादित्य, हर्षवर्धन और राजा भोज की तरह अपने राजधर्म का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य की स्मृति में जो काम प्रदेश सरकार ने करने का संकल्प लिया है उससे दक्षिण और उत्तर के बीच संवाद सेतु का निर्माण होगा। इस काम में सारे सन्यांसी और संत समाज उनके साथ हैं। नर्मदा सेवा यात्रा को पूरे संत समाज का समर्थन है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस समय आध्यात्मिक वातावरण विद्यमान है। इससे न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के भाग्य का जागरण होगा। यदि संत समुदाय, समाज और सरकार मिल जाए तो बडे़ से बड़ा आंदोलन चला सकते हैं। मुख्यमंत्री के संकल्प का संत समाज स्वागत करता है। स्वामी अवधेशानंद ने संतों की प्रतिनिधि संस्था आचार्य सभा की सहमति से मुख्यमंत्री को रूद्राक्ष की माला भेंट की ताकि उनका संकल्प पूरा हो।
स्वामी जी ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाने के लिये प्रत्येक घर से धातु के रूप में योगदान लेने का सुझाव दिया ताकि अद्वैत दर्शन का संदेश घर-घर पहुँच सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाने के लिये प्रत्येक घर से धातु संग्रह करने का अभियान नर्मदा सेवा यात्रा के साथ चलेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने कहा कि भारत में भावनात्मक एकता सदा से विद्यमान है। उन्होंने कहा कि अनुभूति के बिना शब्द अर्थहीन होते हैं। उन्होंने कहा कि अद्वैत दर्शन को जीवन में अभिव्यक्त होना चाहिये। उन्होंने कहा कि बुराई को नहीं छोड़ने और अच्छाई को नहीं अपनाने के कारण समस्याएँ निरंतर बनी रहती हैं। श्री सोनी ने कहा कि अद्वैत दर्शन सारी समस्याओं का समाधान साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक, शासक, माता, पिता और संत मिलकर आध्यात्म पर आधारित समाज का निर्माण कर सकते हैं।
चिन्मय मिशन के प्रमुख स्वामी श्री तेजोन्मयानंद ने कहा कि मिशन आदि शंकाराचार्य के दर्शन को लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करने में राज्य सरकार को पूरी मदद करेगा। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के पूर्व कुलपति श्री कुटुम्ब शास्त्री ने कहा कि नर्मदा नदी का उल्लेख ऋगवेद में हुआ है। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य की गुफा का जीर्णोद्धार करने का संकल्प सराहनीय है।
फिल्म निर्माता डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि संवादहीनता ही सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने आदि शंकराचार्य के जीवन-दर्शन को स्कूली पाठयक्रम में शामिल करने का स्वागत करते हुए कहा कि नई पीढ़ी को वेदांत दर्शन से परिचित करवाने का यह पहला कदम है। उन्होंने कहा कि संस्कृति की रक्षा करना साहित्य और कला का काम है। उपनिषदीय विरासत से नई पीढ़ी को परिचित करवाना वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है।
साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि अद्वैत दर्शन ही विश्व को बचा सकता है। पृथ्वी के श्रंगार के लिये उसे शस्य श्यामला रखना, कन्याओं की रक्षा करने का संकल्प लेना और नदियों को पवित्र रखना धार्मिक महत्व का काम है। उन्होंने आग्रह किया कि रसायनयुक्त प्रतिमाओं को नदी में प्रवाहित न करें। जल प्रदूषित करने वाली सामग्री का उपयोग न करें।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में संत समाज के प्रतिनिधि, राम कृष्ण मिशन के संत स्वामी निर्विकारानंद, सांसद एवं भाजपा के अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, जिले के प्रभारी मंत्री श्री पारस जैन, संस्कार भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अमीर चंद एवं बडी संख्या में जन-प्रतिनिधि, भक्त और नर्मदा परिक्रमावासी उपस्थित थे।