बदल रही हैं मध्यक्षेत्र के गावों की तस्वीर
देवेन्द्र जोशी कुछ साल पहले तक विकास की बाट जोह रहे मध्यप्रदेश के हजारों गाँव अब तरक्की के नये आयाम छू रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गाँवों की तस्वीर और ग्रामीणों की तकदीर बदलने के मकसद से जो अनेक कल्याणकारी योजनाएँ और कार्यक्रम शुरू किए हैं, उनसे ग्रामीण अंचलों में तरक्की के साथ-साथ सुखद बदलाव साफ नजर आ रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से अब ग्रामीण इलाकों में विकास का नया सफर शुरू हो रहा है और पंचायतों को अब ई-पंचायत के रूप में देश, प्रदेश और दुनिया से जोड़ने की नई पहल शुरू हो चुकी है।संपर्क विहीन गाँवों की तरक्की के लिए राज्य में चहुँ ओर बारहमासी सड़कों का निर्माण तेज गति से हो रहा है। पहुँच विहीन और दुर्गम इलाकों के गाँवों के लिए पहुँच मार्गों के निर्माण से अब वे विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं। गाँवों में स्वच्छता और पर्यावरण सुधार के लिए आंतरिक मार्ग और नालियों का निर्माण प्राथमिकता से हो रहा है। पंचायत भवनों की मरम्मत, नए पंचायत भवनों का निर्माण, आँगनवाड़ी भवन और पंचायत भवनों में अतिरिक्त कमरों के निर्माण से गाँव नए स्वरूप में नज़र आ रहे हैं। गरीब तबकों के आर्थिक उत्थान के मकसद से उन्हें आजीविका के नए साधन सुलभ कराए जा रहे हैं। ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के रोजगार का भी खास ख्याल रखा जा रहा है।पंच परमेश्वर योजनापंच परमेश्वर योजना में ग्राम पंचायतों को वित्तीय वर्ष में जनसंख्या के मान से एकजाई राशि मिलेगी। वर्ष 2011-12 में राज्य की 23 हजार 12 ग्राम पंचायतों को करीब 1500 करोड़ और वर्ष 2012-13 में करीब 1900 करोड़ सहित दो वर्षों में लगभग 3400 करोड़ रूपये मिलेंगे। योजना में दो हजार तक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत को 5 लाख तक, दो हजार एक से पाँच हजार तक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत को 8 लाख तक, पाँच हजार एक से दस हजार तक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत को 10 लाख तक और दस हजार एक से अधिक की जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत को 15 लाख तक की एकजाई राशि प्रदान की जाएगी।अब तक पंचायतों को विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली राशि टुकड़ों में मिलती थी इस वजह से गाँवों के विकास के काम भी टुकड़ों में होते थे। योजना से इस खामी को दूर करने में मदद मिलेगी और एकजाई राशि से विकास के काम तेजी से पूरे होंगें। नई योजना के जरिये अब प्रत्येक पंचायत को तेरहवें वित्त आयोग और तीसरे राज्य वित्त आयोग के अनुसार राशि मिलेगी। जिन पंचायतों को पंच परमेश्वर योजना में इन दोनों योजनाओं में कम राशि मिलेगी उनमें इस कमी को अब स्टॉम्प ड्यूटी और खनिज से मिलने वाली राशि से पूरा किया जायेगा। जिन पंचायतों को अब तक ज्यादा राशि मिल रही है वे योजना में मिलने वाली राशि के उपयोग के बाद अतिरिक्त राशि ले सकेंगी।ग्राम पंचायतों को अब आबादी के मान से पहले दो वर्ष के लिए अतिरिक्त एकीकृत कार्य योजना बनाने का सुझाव भी दिया गया है। कार्य योजना में गाँवों में नाली सहित आंतरिक रोड और जिन गाँवों में पहले से आँगनवाड़ी भवनों की मंजूरी मिल चुकी है वहाँ भवनों का निर्माण होगा। ग्राम पंचायतों के पुराने भवनों में ई-पंचायत व्यवस्था के लिए निर्धारित नक्शों के अनुसार 200 वर्गफीट आकार के ई-पंचायत कक्ष का निर्माण होगा। ग्राम पंचायत दस फीसदी राशि परिसम्पत्तियों के रख-रखाव और सफाई कार्यों पर खर्च कर सकेगीं।महात्मा गाँधी रोजगार गारंटी योजनाराज्य में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के जरिये शुरूआत से अब तक बुनियादी विकास कार्यों और ग्रामीणों की बेहतरी के लिये 17 हजार 730 करोड़ 26 लाख की राशि खर्च की गई है। इससे 9 लाख 78 हजार से अधिक कार्य हुए हैं। ग्रामीण मजदूरों को 132 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। योजना के बेहतर क्रियान्वयन और सतत पर्यवेक्षण से जहाँ ग्रामीण अँचलों के आर्थिक विकास को नई दिशा मिली है, वहीं रोजगार के अभाव में ग्रामीण श्रमिकों के पलायन को भी रोकने में कामयाबी मिली है।मनरेगा में मजदूर और सामग्री अनुपात में 60 और 40 का अनुपात सख्ती से लागू किया गया है। मनरेगा में ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक विकास की कई अनूठी योजनाएँ प्रदेश में शुरू की गई हैं, वहीं हितग्राहीमूलक योजनाओं के अनूठेपन से अन्य राज्यों में भी उनका अनुसरण किया जा रहा है। आंतरिक-पथ नाम से शुरू की गई ऐसी ही एक उप-योजना में ग्रामीण अँचलों में अधोसंरचना सुदृढ़ीकरण कार्यों के जरिए ग्रामों के आंतरिक मार्गों को बनाया जा रहा है। इसी तरह शांतिधाम उप-योजना में ग्रामीण अँचलों में श्मशान घाट और कब्रिस्तान की भूमि का विकास किया जा रहा है।कामधेनु उप योजना में इन गौ-शालाओं के पहुँच मार्ग, कूप, लघु तालाब, चारागाह विकास और खाद की आपूर्ति के लिये खंती का निर्माण कार्य करवाया जाता है।कपिलधारा योजना पात्र हितग्राहियों को निजी स्वामित्व की कृषि भूमि पर सिंचाई सुविधाएँ सुलभ करवाई जा रही हैं। इनमें सिंचाई कूप, स्टॉप-डेम, खेत-तालाब, लघु तालाब आदि शामिल हैं। प्रदेश में इस योजना में अब तक इस तरह की 2 लाख 16 हजार संरचनाएँ बनाई जा चुकी हैं। इन पर 2,341 करोड़ 69 लाख की राशि व्यय की गई है।नंदन फलोद्यान उप-योजना में आम, अंगूर, केला के फलोद्यान विकसित करने के 31 हजार 987 कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं। इन पर 97.33 करोड़ की राशि खर्च हुई है। मीनाक्षी योजना में पात्र हितग्राहियों की निजी भूमि पर सिंचाई तालाब अथवा पोखर द्वारा सिंचाई के साथ ही मत्स्य-पालन और मत्स्य-बीज उत्पादन की अतिरिक्त गतिविधियों से ग्रामीणों की आजीविका को सुदृढ़ बनाया जा रहा है।वनवासी संवर्द्धन योजना में वनवासियों के खेतों में कपिलधारा कूप, खेत-तालाब, लघु तालाब, भूमि-समतलीकरण, भूमि को सीढ़ीनुमा विकसित कर उपजाऊ बनाने, मेढ़-बँधान, नाडेप पिट और नंदन फलोद्यान योजनाओं से लाभान्वित किया जायेगा।बारहमासी सड़कों का निर्माणप्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में अब प्रदेश में 800 से 999 की आबादी वाले 2,494 गाँवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने का कार्य शीघ्र शुरू होगा। योजना में इन गाँवों को सड़कों से जोड़ने के लिये 8,338 किलोमीटर लम्बी सड़कें बनेंगी। उल्लेखनीय है कि योजना में एक हजार की आबादी वाले सभी गाँवों को सड़कों से जोड़ने के उद्देश्य से वर्ष 2009 तक केन्द्र से मंजूरी हासिल हो गई थी। अब प्रदेश में 800 से 999 तक की आबादी वाले गाँवों को सड़कों से जोड़ने के प्रस्ताव भेजे जाने के बारे में केन्द्र की सहमति मिल चुकी है। केन्द्र ने एक हजार से कम आबादी के गाँवों में 4 हजार किलोमीटर लम्बाई की सड़कें और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के बकाया रह गये 169 पुलों के निर्माण के लिये सैद्धांतिक सहमति दे दी है। मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य है जिसे 800 से 999 आबादी वाले गाँवों को सड़कों से जोड़ने की स्वीकृति सबसे पहले मिली है। इन सड़कों के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की निर्मित सड़कों पर छूटे हुए 169 बड़े पुलों के निर्माण की सैद्धांतिक स्वीकृति भी प्रदेश को दी गई है। इन पुलों से प्रदेश के सभी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के ग्रामों को बारहमासी सम्पर्क की सुविधा मिल जायेगी। योजना में अब तक 48 हजार 376 किलोमीटर सड़कें बनाकर प्रदेश योजना के क्रियान्वयन मेंे देश में अग्रणी है।प्रदेश में इस योजना में एडीबी की सहायता से 22 जिलों में 1,187 किलोमीटर की 234 बारहमासी सड़कों का भी निर्माण होगा।मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजनामुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में वर्ष 2013 तक राज्य के पहुँचविहीन 9109 गाँवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ दिया जायेगा। योजना के जरिए तीन चरणों में 3296 करोड़ की लागत से पुल-पुलियों सहित 19 हजार 386 किलोमीटर लम्बी 7575 ग्रेवल रोड का निर्माण होगा। राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लाभ से वंचित सामान्य क्षेत्र के 500 तक के आबादी वाले गाँव और आदिवासी बहुल अंचलों के 250 से कम आबादी वाले गाँव इस योजना में शामिल किये गये हैं।प्रदेश में अब तक 16 जिलों में 106 किलोमीटर लम्बी 59 बारहमासी सड़कों और 2883 पुलियों का निर्माण पूरा हो चुका है। साथ ही 3326 किलोमीटर इम्बैकमेंट कार्य तथा 1719 किलोमीटर सबग्रेड कार्य पूरा कर लिया गया है । मौजूदा वर्ष के अंत तक प्रदेश के 77 गाँव पक्की सड़कों से जुड़ जायेंेगे। राज्य के जो ग्राम अब तक पक्की सड़कों से जुड़ चुके हैं उन्हें शीघ्र ही सीसी रोड के रूप में मुख्य सड़कों से जोड़ा जायेगा।नक्सल प्रभावित गाँवों के विकास की एकीकृत कार्ययोजनानक्सल प्रभावित अँचलों में जनहित से जुड़े विकास कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने में मध्यप्रदेश देश के आठ अन्य राज्यों से अग्रणी बना हुआ है। प्रदेश में एकीकृत कार्ययोजना (आईएपी) के जरिये बड़े पैमाने पर बारहमासी पक्की सड़कों, बिजली, पेयजल, आँगनवाड़ी भवन जैसे निर्माण तेजी से पूरे हो रहे हैं। योजना के सतत पर्यवेक्षण से निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित हुई है।इस केन्द्रीय योजना में मध्यप्रदेश के अनूपपुर, मण्डला, बालाघाट, डिण्डोरी, सिवनी, शहडोल, उमरिया तथा सीधी और सिंगरौली जिले शामिल किये गये हैं। योजना में प्रदेश को अब तक सवा 290 करोड़ रुपये की राशि हासिल हुई है। अब तक सवा 419 करोड़ लागत के पाँच हजार से ज्यादा विकास कार्य इन जिलों में चल रहे हैं। अब तक 1429 काम पूरे हो चुके हैं। नक्सल प्रभावित अंचलों में खासकर ग्रामीण सड़कों, पेयजल, बिजली, आँगनवाड़ी भवन निर्माण जैसे कार्य प्रमुखता से करवाये जा रहे हैं।समग्र स्वच्छता अभियानसमग्र स्वच्छता अभियान में राज्य में पाँच हजार की आबादी वाले सभी गाँव के शत-प्रतिशत घरों में शौचालयों का निर्माण सुनिश्चित किया जा रहा है। बड़ी तादाद में ग्राम पर्यावरण सुधार और स्वच्छता के कार्यक्रमों को लागू कर निर्मल ग्राम बन रहे हैं।बेेघरों को मकानकेन्द्र द्वारा इंदिरा आवास योजना में मध्यप्रदेश को बिहार, आन्ध्रप्रदेश और केरल जैसे राज्यों की तुलना में बहुत कम इंदिरा आवास आवंटित किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश जैसे विशाल राज्य में रहने वाले बेघर ग्रामीणों के स्वयं के घर का सपना पूरा करने के मकसद से प्रदेश में मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास मिशन का क्रियान्वयन किया जा रहा है। आवास योजना में अनुसूचित जाति/जनजाति के प्रत्येक हितग्राही को 45 हजार रूपये का अनुदान दिया जा रहा है। आवास मिशन में आवासहीन ग्रामीणों को 30 हजार रूपये का बैंक ऋण तथा 30 हजार रुपये अनुदान एवं 10 हजार रूपये हितग्राही अंशदान के रूप में रखा गया है।बैंकिंग सुविधाओं का विकासराज्य के सभी 52 हजार गाँवों तक बैंक सुविधाएँ सुलभ कराने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अब हर पाँच किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। ग्रामीणों को विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके, इस मकसद से अब एक ही बैंक खाते में विभिन्न योजनाओं की राशि जमा कराने की व्यवस्था सुनिश्चित होगी।आजीविका और रोजगारप्रदेश के चुनिंदा जिलों में जिला गरीबी उन्मूलन परियोजना पर सफलता से अमल किया जा रहा है। परियोजना वर्ष 2014 तक जारी रहेगी। परियोजना का द्वितीय चरण चुनिंदा 14 जिलों में अक्टूबर 2009 से शुरू हुआ है। पाँच वर्षीय इस चरण की लागत लगभग रूपये 540 करोड़ है। परियोजना से ग्रामीण गरीब परिवारों विशेषकर महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी आय वृद्धि में बड़ी सफलता मिली है। अब तक करीब दो लाख गरीब महिलाओं को लगभग 16 हजार 466 स्व-सहायता समूहों के रूप में संगठित कर उनका क्षमतावर्धन कर विभिन्न आजीविका गतिविधियों में 72 करोड़ का निवेश किया जा चुका है। वर्ष 2014 तक ग्रामीण गरीब महिलाओं के तीस हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों का गठन किया जायेगाा तथा बीस हजार से अधिक ग्रामीण युवाओं को नियोजन के अवसर उपलब्ध करवाए जायेंगे।रोजगार मेलेइस परियोजना के माध्यम से प्रदेश में 122 रोजगार मेले लगाए गए हैं। मेलों के जरिए बीस हजार सदस्यों को रोजगार देने के लक्ष्य के बदले करीब 62 हजार सदस्यों को लाभ दिया गया है।ग्रामीण आजीविका परियोजनाप्रदेश के 9 आदिवासी बहुल जिलों में ग्रामीण आजीविका परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। परियोजना मार्च 2012 तक चलेगी। परियोजना के माध्यम से गरीबों को आजीविका के नए संसाधन सुलभ कराने में सफलता मिल रही है। प्रथम चरण में जून 2007 की अवधि में 815 गाँवों के हितग्राहियों को आजीविका के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए करीब 115 करोड़ की राशि व्यय हुई। दूसरे चरण में अब तक प्रथम चरण के 815 गाँवों सहित कुल 2901 गाँवों के हितग्राहियों को आजीविका के संसाधन उपलब्ध करवाने पर 360 करोड़ रूपये खर्च होंगे।महिला किसान सशक्तिकरण परियोजनाप्रदेश में एक अप्रैल 2012 से आरम्भ हो रहे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उप घटक के रूप में महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना का क्रियान्वयन साथ-साथ शुरू होगा। कृषि क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति में बदलाव और सुधार के मकसद से उनके सशक्तिकरण के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए यह परियोजना 16 जिलों, मण्डला, बालाघाट, डिण्डोरी, झाबुआ, बड़वानी, टीकमगढ़, छतरपुर, सीहोर, धार, सागर, बैतूल, दमोह, छिन्दवाड़ा, सिवनी, देवास और उमरिया में शुरू किया जाना प्रस्तावित है।एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधनइस कार्यक्रम में पिछले दो वर्ष में प्रदेश के 49 जिलों में 1462 करोड़ रूपये लागत की 215 परियोजनाएँ मंजूर हो चुकी हैं। इनसे 12 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि में जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन का लाभ मिलेगा।जल अभिषेक अभियानजन-सहभागिता से जल संरक्षण और संवर्धन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से राज्य में वर्ष 2006 से जल अभिषेक अभियान सफलता से चलाया जा रहा है। इसमें जन-सहभागिता से नदी पुनर्जीवन के साथ ही मौजूदा जल संग्रहण संरचनाओं की मरम्मत, नवीनीकरण और पुर्नरूद्धार के कार्य हो रहे हैं। इस अभियान में सार्मथ्यवान किसानों (भागीरथ कृषक) को सहभागी बनाने के लिए विशेष पहल की गई है। सामाजिक जुड़ाव के लिए ग्राम स्तर पर पीढ़ी जल संवाद के आयोजन होते हैं। अभियान के अंतर्गत राज्य में वर्ष 2006-07 से वर्ष 2009-10 तक 5186 करोड़ की लागत के जल संरक्षण और संवर्धन कार्य हो चुके हैं। भागीरथ कृषकों द्वारा भी 10 हजार जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया गया है। नदी पुर्नजीवन के 123 करोड़ के कार्य हुए हैं वहीं 1,346 करोड़ की लागत के अन्य जल संवर्धन कार्य हुए हैं। इनमें 61 करोड़ जन सहयोग राशि शामिल है।स्पर्श अभियानअभियान में अब तक 8 लाख नि:शक्तजनों की पहचान की गई है। इन्हें आवश्यकतानुसार शिक्षा और रोजगार के अवसर सुलभ कराने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। शासकीय विभागों में नि:शक्तजनों के लिए करीब डेढ़ लाख पदों को चिन्हित किया गया है। राज्यव्यापी अभियान चलाकर इन पदों पर शीघ्र ही नि:शक्त लोगों को नियुक्ति दी जायेगी। प्रदेश में 36 वर्षों में पहली बार इस तरह की पहल हुई है।विधवा एवं निराश्रित पेंशनप्रदेश में 60 वर्ष तक के निर्धन वृद्धजनों को प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है, जबकि केन्द्र द्वारा 65 वर्ष या अधिक आयु वर्ग के लोगों को यह सहायता दी जाती है। केन्द्र द्वारा मध्यप्रदेश का अनुसरण करते हुए अब 60 वर्ष तक के निर्धन वृद्धजनों को पेंशन कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इसी तरह केन्द्र द्वारा 45 वर्ष से अधिक आयु की विधवाओं को और मध्यप्रदेश में 18 वर्ष से अधिक आयु की विधवाओं को पेंशन दी जा रही है।