छत्तीसगढ़ के व्यापारी चाहते हैं कि कम्पोजिशन टैक्स का दायरा बढ़ाया जाए। 60 लाख की जगह 1 करोड़ पर लिया जाए। व्यापारियों के उत्थान के लिए व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन और व्यवसायिक व औद्योगिक कल्याण कोष की भी स्थापना करना चाहिए। व्यापारी वर्ग चाहता है कि जीएसटी लागू होने से पहले ही कराधान से संबंधित सारे मामलों को सुलझा लिया जाए। इस सबके साथ दस सूत्रीय सुझाव चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने राज्य शासन को भेजा है। चेम्बर का कहना है कि इन मांगों पर ध्यान दिए जाने से व्यापार जगत के साथ ही आम उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी।
कारोबारियों का कहना है कि केंद्र सरकार के बजट से टैक्स दरों में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन वह नाकाफी है। अब पूरी उम्मीद राज्य शासन के बजट से है। उनका कहना है कि साइकिल और साइकिल पार्ट्स पर वैट की छूट 31 मार्च को समाप्त हो रही है, जिसे बढ़ाना चाहिए। शक्कर में लगने वाले प्रवेश कर को समाप्त किया जाना चाहिए। इससे यहां शक्कर महंगी है। ई-पेमेंट के लिए सभी राष्ट्रीयकृत व निजी बैंकों को अधिकृत किया जाना चाहिए। ई-पेमेंट को सभी प्रकार के शुल्क से मुक्त रखा जाना चाहिए।
चेम्बर के सुझाव में प्रमुख बिंदु
छत्तीसगढ़ में एसएमई सेक्टरों को बढ़ावा देने के लिए कच्चे माल पर लगने वाले प्रवेश कर से पूर्ण रूप से छूट मिलनी चाहिए। साथ ही उद्योगों को केपिटल सब्सिडी मिलनी चाहिए। जीएसटी लागू होने के पहले कराधान से संबंधित सारे विवादित प्रकरण निष्पादित होने चाहिए। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी 6 प्रतिशत से 3 प्रतिशत है, इसे स्थायी रूप से लागू किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों जैसे वीडियो गेम्स, आईपेड,बच्चों की खेल सामग्री पर वैट 14 फीसदी के स्थान पर 5 फीसदी लगे। कन्फेक्शनरीज पर वैट की दर 14 से घटाकर 5 फीसदी की जाए।सोया बड़ी, सोया नगेट्स को करमुक्त किया जाए।अगरबत्ती, धूप को करमुक्त किया जाए।बिल्डरों को वाणिज्यिक कर में कम्पोजिशन संबंधी सुविधा दी जाए।
चेम्बर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष अमर पारवानी कहते हैं राज्य शासन से बजट से राहत मिलने की उम्मीद है। आशा है कि चेम्बर की मांगों पर राज्य शासन ध्यान देगी।