कोरबा क्यों लौटी बसंत बहार !
कोरबा  राजेंद्र जायसवाल

राजेंद्र जायसवाल 

चुनावी नाराजगी से कांग्रेस का दामन छोड़ उषा तिवारी व अखलाख खान ने पार्टी को महापौर चुनाव में उषा तिवारी ने कांग्रेस प्रत्याशी को टक्कर भी दी और चुनावी बोल ऐसे थे मानो अब कभी दोस्ती नहीं होगी। बढ़ती दूरियों से कयास भी कुछ ऐसा ही लगने लगा था। पतझड़ की तरह कांग्रेस की डाल से टूटे ये दोनों पत्ते एक बार फिर अपनी शाख से जुड़ बसंत में जुड़ गये। अब संगठन से लेकर नगरजन भी ये जानने को बेताब हुए जा रहे हैं कि आखिर यह बसंत बहार क्यों लौटी।

कंबल दें तो, न दें तो मुसीबत

लॉकअप में बंदी को कंबल देना और नहीं देना दोनों हालात में पुलिस के लिए मुसीबत है। ठंड और मच्छरों से बचाने इन्हें कंबल न मिले तो मानवाधिकार का झण्डा उठाने वाले डंडा तान लेते हैं और कंबल दे दो तो तरह-तरह के जतन कर खुदकुशी का जुगाड़ बंदी बना लेते हैं। अब खाकी मुसीबत में है कि आखिर इन्हें दें तो क्या दें?

कप्तान के फरमान से पशोपेश में प्रभारी

हवालात में मौतों ने कप्तान को इतना गंभीर कर दिया कि जिस नियम को जानकर भी थानेदार फालो नहीं करते थे उसकी याद दिला दी। अब हवालात में कोई भी बंदी रहा तो थाना-चौकी प्रभारी को वहीं बोरिया बिस्तर लगाना पड़ेगा। इस फरमान से थानेदार पसोपेश में पड़ गये हैं और अब तो ऐसा भी हो सकता है कि किसी आरोपी को थाना-चौकी लाकर पूछताछ के बाद रात से पहले तू भी घर जा और मैं भी घर जाऊं की तर्ज पर किसी भी रिस्क से बचा जाए। 

काम न आई नेतागिरी

समाज सेवक शंकर रजक आज तक वैसे तो स्पष्ट नहीं कर पाये कि वे किस पार्टी के हैं और उनका नेता कौन है। भले ही वर्तमान में अजीत जोगी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं और यह कहने से भी नहीं चूकते थे कि उनका घर द्वार उनके कहने से बचा है। अब जब बुलडोजर चल गया तो समझ नहीं पा रहे कि आखिर ऐसा कैसे हो गया? इस बात का मलाल गाहे बगाहे जरूर उभर जाता है कि उनके अपने ही चहेते भस्मासुर बन गये।

छापा से दहशत

कोयले की नगरी में अकूत अघोषित चल अचल संपत्ति बनाने वालों की नींद उड़ी हुई है कि कब उनके घर इन्कम टैक्स या एन्टी करप्शन ब्यूरो का छापा पड़ जाए। वैसे तो पिछले ही दिनों मुख्य आयकर अधिकारी केसी घुमारिया ने अच्छी खासी घुट्टी नगर के धनाढयों को पिलाई और अब एंटी करप्शन और इन्कम टैक्स के छापा दर छापा से ऐसे लोगों की हवा खराब हो रखी है।

एक सवाल आप से ❓

वह कौन सा अधिकारी है जो ठेकेदारों से टेंडर का कमीशन ले लेने के बाद ठेका निरस्त कर देने के लिए प्रशासनिक और ठेका गलियारे में सुर्खियों में है। 

और अंत में❗

कोरबा जिले को स्मोकलेश बनाने जिले के मुखिया गंभीरता से जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर अधीनस्थ अधिकारी और महिकमों के मैदानी अमले के कारण इस निर्देश को धुएं की तरह उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। सघन बस्तियों में इस अभियान को तत्परता से लाना है पर यहां शाम के धुंधलके में धुआं ही धुआं अब भी तैरता है और सर्वे तो अभी तक दूर की कौड़ी बनी हुई है। उज्जवला में आवेदन जमा कर सिलेंडर का इंतजार करते लोगों को दल से आस है पर दल इनके बीच न पहुंचकर निराश किये हुए है।