कोरबा /वेदना में जन गायब
राजेंद्र जायसवाल

राजेंद्र जायसवाल

 

नोटबंदी से जनता को हुई पीड़ा बताने कांग्रेसी वार्ड-वार्ड में जनवेदना पंचायत लगाकर प्रधानमंत्री मोदी का मुखौटा पहनाकर बिठा रहे हैं। पंचायत में कांग्रेस की वेदना तो जरूर सुनने को मिल रही है, लेकिन अपेक्षित जनता की वेदना गायब है। जनवेदना में सरकार को कई मुद्दों पर कांग्रेसी घेर रहे हैं और जनता सिर्फ उनकी वेदना सुनकर घर लौट रही है। 

फिर आया सुराज

गर्मी का मौसम शुरू होते ही मुख्यमंत्री के लोक सुराज की तस्वीर जेहन में उभर जाती है। इस बार भी लोक सुराज का मौसम तो आ गया लेकिन नजारा बदला-बदला रहेगा। सुराज से पहले समाधान शिविरों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग शिकायतों का पुलिंदा डालकर पेटी को भरने जुटे हैं। पार्षद, पंच, सरपंच को दी और बताई जाने वाली समस्या अब सीधे मुख्यमंत्री, मंत्री और कलेक्टर को बता रहे हैं। इस सुराज में मंत्री, नेता आएंगे जरूर लेकिन लोकार्पण-शिलान्यास नहीं बल्कि समस्या का समाधान करने।

अध्यक्ष के भतीजे का खौफ

एक नगर पंचायत के अध्यक्ष के भतीजे के खौफ से महकमे के अधिकारी और कर्मचारी तक काफी खौफजदा हैं। आलम तो यह है कि इनकी मर्जी के बगैर पत्ता तक नहीं हिलता और नगर पंचायत के बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी इनका कोपभाजन बनने से बचने इशारों पर काम करने की विवशता बताते हैं। पूरे पंचायत महकमे में इन महाशय की टूटी ऐसे बोल रही है कि कोई अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं कि कब कौन सी गाज गिरवा दें?

रामपुर में दिखी ताकत

जिले में राजनीति के विकेन्द्रीकरण का गढ़ बने रामपुर में मुख्यमंत्री की सभा और इस बहाने हुआ पंचायत महासम्मेलन सफल रहा। इस सफलता पर सत्ता पक्ष और संगठन अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रहे लेकिन इस बात से सब वाकिफ जरूर है कि महासम्मेलन सह सभा में भीड़ कैसे और कहां-कहां से अधिकारियों ने बटोरी। 

सिरदर्द बनी शराब

जिंदगी से हताश और निराश लोगों का सिरदर्द दूर करने वाली शराब इन दिनों शासन-प्रशासन का सिरदर्द बनी हुई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए शराब ताजा मुद्दा है और जनता भी खूब हवा दे रही है। पहले खाकी अवैध शराब बिक्री रोकने के लिए परेशान रहती थी, अब शराब के नये ठीहे बनवाने के लिए सुरक्षा में मगजमारी कर रही है। जगह-जगह आंदोलन के पीछे भी गजब की कहानी है। कुछ तो अपनी तरफ दुकान खुलवाने के लिए पुरानी जगह में हो रहे आंदोलन को हवा दे रहे हैं। वैसे इस चुनौती से निपटना भी एक चुनौती बन गई है। 

एक सवाल आप से❓

जोगी कांग्रेस की वह कौन नेत्री है जिसने कांग्रेस का दामन तो एक साथ छोड़ा लेकिन उनकी पार्टी में वापसी के बाद जमकर अपनी भड़ास लौटने वाली नेत्री पर उतारी ?

और अंत में ❗

आबकारी विभाग से दूसरे विभागों में जा-जाकर वनवास झेल रहे कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे हैं। सरकार के फैसले के बाद अब ये अपने मूल विभाग में लौटने के लिए छटपटा रहे हैं। समाधान शिविर के जरिये भी अपनी मंशा लंबे-चौड़े आवेदन के साथ जताने की भी तैयार की है। अब तो इनका एक ही सपना है कि कैसे भी करके अपने विभाग में लौट आयें।