मोहंती के खिलाफ EOW की जांच हाईकोर्ट से खारिज
ias mohanti

 

एमपी के एसीएस और माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष एसआर मोहंती के खिलाफ चल रही ईओडब्ल्यू की जांच को हाईकोर्ट ने आज खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के जस्टिस गंगेले और जस्टिस श्रीवास्तव की डबल बेंच ने साफ कहा कि ईओडब्ल्यू की जांच सुप्रीम कोर्ट के निदेर्शों के मुताबिक नहीं हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि पूरे मामले की जांच नए सिरे से होनी चाहिए लेकिन ईओडब्ल्यू ऐसा नहीं कर रही है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मोहंती के खिलाफ जारी की गई अभियोजन की मंजूरी को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि जब सुप्रीम कोर्ट का निर्देश फ्रेश इन्क्वायरी करने का था तब वर्ष 2004 से वर्ष 2011 के बीच के दस्तावेजों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा था? हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर ईओडब्ल्यू को दोबारा जांच करनी है तो वह नए सिरे से पूरी जांच को शुरू करे और 2011 के पहले की केस डायरी और दूसरे दस्तावेजों का उपयोग इसमें नहीं किया जाएगा। उसे पूरी जांच नए सिरे से करनी होगी और दस्तावेजों के लिए भी उसी तरह से काम करना होगा। गौरतलब है कि इस जांच के खिलाफ मोहंती हाईकोर्ट चले गए थे। जहां पर बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि मोहंती के खिलाफ जारी जांच को खारिज किया जाता है क्योंकि ईओडब्ल्यू ने नए सिरे से जांच नहीं की है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने नए सिरे से जांच करने के निर्देश दिए थे। इतना ही नहीं, अभियोजन की मंजूरी को भी खारिज कर दिया है।

दरअसल कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू 1994 में कैबिनेट के उस फैसले का प्रूफ नहीं दे पाया जिसके आधार पर यह मामला बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक ईओडब्ल्यू ने कहा है कि 1994 में कैबिनेट ने यह निर्णय लिया था कि एमपीएसआईडीसी व्यापारियों को कोई लोन नहीं देगा। जब कैबिनेट के इस फैसले की कापी कोर्ट ने मांगी तो ईओडब्ल्यू के अफसर इसे पेश नहीं कर पाए। सूत्रों का कहना है कि 1994 में कैबिनेट का इस तरह का कोई फैसला हुआ ही नहीं था।

ईओडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में 719 करोड़ रुपए के घोटाले की बात कही थी लेकिन यह फिगर वह अपनी रिपोर्ट में साबित नहीं कर सका। दरअसल जिस आकंड़े को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया था, वह फर्जी निकला। इसी आधार  पर मोहंती को हाईकोर्ट से राहत मिल गई।

उनके खिलाफ पिछले दिनों अभियोजन की मंजूरी सरकार की ओर से उस समय जारी की गई थी जब उनका नाम मुख्य सचिव के लिए चल रहा था। इसे सरकार के अंदर अफसरों की खींच-तान से जोड़कर देखा जा रहा था।

मध्यप्रदेश के चुनिंदा और आक्रामक शैली के अफसरों में एसआर मोहंती का नाम गिना जाता रहा है। मोहंती के खिलाफ राजनीतिक लोग कम सक्रिय दिखाई दिए बल्कि उनकी बिरादरी से जुड़े कई आईएएस अफसरों ने उन्हें अपने-अपने स्तर पर उलझाए रखने की हर संभव कोशिश की ताकि वे प्रदेश के मुख्य सचिव न बन सकें। बुधवार को कोर्ट के फैसले के बाद यही अफसर बगलें झांकते हुए दिखाई दे रहे हैं।