\'नमामि देवि नर्मदे\'\'-सेवा यात्रा मंडलेश्वर के समीप के गाँवों में पहुँची। पहले महेश्वर और आज मंडलेश्वर के गाँव जलूद, छोटी खरगोन, धरगाँव, नांद्रा, कतरगाँव, कोगाँवा, पिपल्या बुजुर्ग और बरलाय में यात्रा का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। इन गाँवों में नर्मदा संरक्षण के इस अभियान में अपनी भागीदारी के लिए जन-सैलाब घरों से बाहर निकल आया। बड़ी संख्या में महिलाओं की मौजूदगी नर्मदा संरक्षण के प्रति उनकी गहरी आस्था और विश्वास को प्रकट कर रही थी। रविवार होने के बावजूद स्कूलों के विद्यार्थियों में उत्साह देखा गया। समाज के सभी वर्ग सेवा यात्रा के मार्ग में स्वागत के लिए मौजूद थे।
यात्रा मंडलेश्वर से आज जलूद पहुँची, जहाँ भव्य स्वागत हुआ। नर्मदा कलश और ध्वज का पूजन किया गया तथा नर्मदा सेवा यात्रियों पर फूलों की वर्षा की गई। धरगाँव के हायर सेकेण्डरी स्कूल में नर्मदा की स्तुति के साथ कलश एवं ध्वज का पूजन किया गया। यहाँ विधायक श्री राजकुमार मेव एवं अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष एवं सेवा यात्रा प्रभारी श्री भूपेंद्र आर्य ने ग्रामवासियों को नर्मदा को प्रदूषण से मुक्त रखने का संकल्प दिलवाया। श्री भूपेंद्र आर्य ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू किए गए इस अभियान की चर्चा अब विश्व में होने लगी है।
इसके पहले धरगाँव पहुँचने पर मार्ग के दोनों ओर स्थित निजी प्रतिष्ठानों, दुकानदारों, समाज के विभिन्न वर्ग के प्रतिनिधियों ने पुष्प-वर्षा और हर-हर नर्मदे के उदघोष के साथ सेवा यात्रा का स्वागत किया।नांद्रा गाँव पहुँचने पर बड़ी संख्या में महिलाओं एवं बालिकाओं ने कलश के साथ अगवानी की। धरगाँव और नांद्रा में भारी संख्या में भीड़ उमड़ने से आयोजन स्थल छोटे पड़ गए। श्रीराम मंदिर प्रांगण में हुए कार्यक्रम को श्री राजकुमार मेव एवं श्री भूपेंद्र आर्य ने संबोधित किया।
कतरगाँव, कोगाँवा, पिपल्या बुजुर्ग, बरलाय, बंजारी और धारेश्वर में भी आस्था और विश्वास की इस यात्रा के पहुँचने पर स्वागत किया गया। गाँवों की प्रवेश सीमा से लेकर आयोजन स्थल तक हुआ स्वागत किसी उत्सव या त्यौहार से कम नहीं था। फूलों की वर्षा, बैंड-धुन एवं आतिशबाजी के साथ पूरा कस्बा यात्रा के स्वागत में मार्ग के दोनों और मौजूद था। सड़क मार्ग से गुजरने पर यात्रा और नर्मदा भक्त हर वर्ग का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब हुए।
ग्राम नांद्रा में निमाड़ की वास्तविक पहचान के साथ सेवा यात्रा का परिचय कराया गया। यहाँ ग्रामवासियों ने अमाड़ी की भाजी और मक्का की रोटी के साथ कड़ी, खिचड़ी भोजन का प्रबंध किया था। सेवा यात्रियों और सेवक दोनों ने निमाड़ का पारंपरिक भोजन ग्रहण किया।