अजमेर दरगाह ब्लास्ट
राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुए बम विस्फोट मामले में सीबीआइ कोर्ट जयपुर ने बुधवार को फैसला सुना दिया।
कोर्ट ने धमाके के मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद सहित सात आरोपियों को जहां बरी कर दिया, वहीं तीन आरोपियों देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को षड्यंत्र के लिए दोषी माना है।
इनमें से सुनील जोशी की मौत हो चुकी है। देवेन्द्र व भावेश पटेल जेल में हैं। दोषियों की सजा का फैसला 16 मार्च को आएगा।
यह धमाका अक्टूबर 2007 में रमजान के दौरान हुआ था जिसमें तीन जायरीन की मौत हो गई थी और पंद्रह घायल हो गए थे।
मामले की सुनवाई छह फरवरी को पूरी हो गई थी और 25 फरवरी को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन जज उस दिन तक फैसला पूरा नहीं लिख पाए थे। फैसला करीब 577 पेज का है। ऐसे में उन्होंने आठ मार्च की तारीख तय की थी।
बुधवार को सुबह से ही कोर्ट में हलचल थी। जज ने भोजनावकाश के बाद फैसला सुनाए जाने की घोषणा की। आरोपियों को तीन बजे कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया।
यहां जज ने आरोपी असीमानंद, चंद्रशेखर, लोके श शर्मा, मुकेश वासानी, हर्षद, भरतेश्वर उर्फ भरत, मेहुल को बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष इनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत पेश नहीं कर पाया।
इसके अलावा बड़ी संख्या में गवाह भी पक्षद्रोही हो गए। इस मामले में कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से तीन आरोपियों को दोषी व सात को बरी करने के आदेश दिए गए हैं। तीन आरोपी फरार हैं और एक जमानत पर है।
इस मामले में पुलिस को जांच में दरगाह परिसर में एक लावारिस बैग मिला था। जिसमें टाइमर डिवाइस वाला जिंदा बम था। बम निरोधक दस्ते ने जिंदा बम को वहां से हटाकर निष्क्रिय किया।
इसकी जांच पहले सीबीआइ को दी गई लेकिन बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंप दी गई। एनआइए ने स्वामी असीमानंद, भावेश पटेल समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया था।
एनआइए की ओर से पेश चालान के मुताबिक, अजमेर दरगाह बम धमाके स्थल की जांच में क्षतिग्रस्त मोबाइल व सिम मिली।
वहीं थैले में मिले जिंदा बम के साथ लगी मोबाइल सिम की आइडी से आरोपियों तक पहुंचने में सफलता मिली। ये सिम बिहार व झारखंड से जारी हुई थी। सभी सिम दूसरे व्यक्तियों के नाम से कूटरचित दस्तावेज से ली गई। वास्तविक लोग सामान्य व मजदूर पेशे से जुड़े मिले थे।
इस बीच एक राजनीतिक दल के नेता से भी पूछताछ की गई। मामले की सुनवाई के दौरान 149 गवाह एनआइए ने पेश किए, जिसमें 26 गवाह पक्षद्रोही भी हो गए। 451 दस्तावेज भी कोर्ट में पेश किए गए।