आईएएस बाबूलाल अग्रवाल की डीपीसी को लेकर अब खुलासा हुआ है कि विधि विभाग के प्रमुख सचिव ने इस पर दो बार आपत्ति जताई थी। तब सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने महाधिवक्ता (एजी) से सकारात्मक अभिमत ले, उनको पदोन्नति देकर प्रमुख सचिव बना दिया। सीबीआई ने इस मामले की भी जांच शुरू कर दी है।
आईएएस अग्रवाल के ठिकानों पर 2012 में आयकर का छापा, फिर सीबीआई में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। पदोन्नति भी रोक दी गई। इसके बावजूद जीएडी ने अग्रवाल की पदोन्नति के लिए पहले तो विधि विभाग के प्रमुख सचिव सामंत रे से राय मांगी। रे ने आपराधिक प्रकरण होने से आपत्ति कर दी। जीएडी ने दूसरी बार तर्क बदलकर फिर से राय मांगी, तब भी रे ने आपत्ति की। इस पर जीएडी ने सीधे हाईकोर्ट महाधिवक्ता जेएस गिल्डा को पत्र भेजा। गिल्डा ने भी मंशा के अनुरूप सकारात्मक अभिमत दे दिया।
आईएएस बाबूलाल की न्यायिक अभिरक्षा 17 मार्च को खत्म हो रही है। सीबीआई पटियाला हाउस कोर्ट में उनके नार्को टेस्ट के लिए आवेदन कर सकती है। अभी तक पूछताछ और जांच में सीबीआई के हाथ कोई ठोस सबूत नहीं आया है, जिससे साबित हो कि बाबूलाल ने पीएमओ को रिश्वत देने की कोशिश की है। इधर 21 फरवरी को बिलासपुर हाईकोर्ट के जज ने बाबूलाल की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। 17 मार्च को अग्रवाल परिवार दोबारा जमानत आवेदन लगाने की तैयारी में है।