छत्तीसगढ़ में काला धन जमा करने वाले कारोबारियों पर आयकर विभाग ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। आयकर विभाग ने प्रदेश के नौ शहरों में 15 अलग-अलग कारोबारियों के ठिकानों पर बुधवार को एक साथ सर्वे की कार्रवाई शुरू की।
मुख्य आयकर आयुक्त केसी घुमरिया ने नईदुनिया को बताया कि नोटबंदी के दौरान खातों में लाखों रुपए जमा करने वालों के खिलाफ विभाग ने कार्रवाई शुरू की है। इसके तहत रायपुर सहित बिलासपुर, राजनांदगांव, भिलाई, महासमुंद, कांकेर, जगदलपुर, बेमेतरा और भाटापारा में कार्रवाई की गई है। आयकर विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि बस्तर के कारोबारियों पर पहली बार कार्रवाई हो रही है।
आदिवासी बहुल कांकेर और जगदलपुर के रियल एस्टेट और सराफा कारोबारी कार्रवाई जद में आए हैं। नोटबंदी के दौरान मनमाने पैसा जमा करने पर देशभर के 12 लाख कारोबारियों से जवाब मांगा गया था। लेकिन अधिकांश कारोबारियों ने जवाब नहीं दिया। इनमें सबसे ज्यादा सराफा और रियल एस्टेट कारोबारी हैं।
कई कारोबारियों ने बोगस कंपनियां बनाकर करोड़ों स्र्पए जमा किए हैं। बोगस कंपनी संचालकों की ओर से कोई जवाब नहीं आया। अब ऐसी कंपनियों की भी जांच शुरू कर दी गई है।
अधिकारियों ने बताया कि कई बोगस कंपनियों के पते की जांच की गई। राजधानी सहित राजनांदगांव और बिलासपुर में बोगस कंपनियों के पते पर टीम पहुंची तो कंपनी मिली ही नहीं। आसपास के लोगों ने ऐसी कोई कंपनी नहीं होना बताया। ये सभी जांच की जद में हैं।
नोटबंदी के बाद आयकर की टीम ने आठ सर्वे किए, जिनमें कारोबारियों ने 15 करोड़ की अघोषित आय सरेंडर की है। रायपुर, राजनांदगांव और तिल्दा में जांच पूरी हुई है। अधिकारियों ने बताया कि राजनांदगांव के बरड़िया ज्वेलर्स में 1 करोड़ 70 लाख स्र्पए सरेंडर किए हैं।
आयकर इन्वेस्टिगेशन विंग ने मार्च में चार सर्वे किए, जिनमें कारोबारियों ने छह करोड़ स्र्पए सरेंडर किए हैं। सीसीआईटी केसी घुमरिया ने बताया कि इस वर्ष 4200 करोड़ के राजस्व वसूली का टारगेट है, जिसमें से अब तक 2800 करोड़ की वसूली हो गई है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च तक सर्वे की कार्रवाई में तेजी रहेगी।