मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की दशा और उनमें शिक्षा का स्तर सुधारने में नाकाम सरकार अब कम छात्रों की संख्या वाले सरकारी स्कूलों को बंद करने जा रही है। इन स्कलों को आसपास के बड़े स्कूल में मर्ज किया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग बाकायदा सर्वे करा रहा है। सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद स्कूलों का बंद करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। शुरुआती दौर में यह निर्णय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में लागू किया जाएगा। सरकार के इस निर्णय पर अमल हुआ तो अगले शिक्षण सत्र से करीब दस हजार प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल बंद हो जाएंगे।
प्रदेश में करीब सवा लाख से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं। इनमें से अधिकांश स्कूल शिक्षकों और संसाधन की कमी से जूझ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कई सरकारी स्कूलों के पास अपने भवन है पर छात्र संख्या बेहद कम है। स्कूल शिक्षा विभाग अब ऐसे स्कूलों का सर्वे करा रहा है जिनमें छात्र संख्या 20 से कम है। इन स्कूलों को बंद कर इनके छात्र-छात्राओं को समीप के अन्य ऐसे स्कूल में मर्ज किया जाएगा जो पांच किलोमीटर के दायरे में हों। बताया जाता है कि इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है।
बंद स्कूलों के बच्चों को आसपास के स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। इन बच्चों के लिए निशुल्क वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और छठवीं और आठवीं के बच्चों को साइकिल से स्कूल आने कहा जाएगा। खाली स्कूल भवनों को आंगनबाड़ी और पंचायत विभाग को किराए पर दिया जाएगा और इसे पैसे को इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं बढ़ाने पर खर्च किया जाएगा।
सर्वे के प्रारंभिक दौर में जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक बड़े और छोटे शहरों की पॉश कालोनियों के आसपास के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बेहद कम है। कई स्कूल ऐसे सामने आए हैं जहां बच्चों की संख्या दस से पंद्रह ही है और यहां राजनीतिक पहुंच के चलते दो से तीन शिक्षक तैनात हैं। इन्हें सबसे पहले बंद किया जाएगा।
राज्यमंत्री स्कूल शिक्षा दीपक जोशी ने कहा जिन स्कलों में छात्र संख्या बेहद कम है उन्हें बंद करने पर विचार किया जा रहा है। इन स्कूलों के बच्चों को आसपास के स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा। यह शिक्षा के स्तर को गुणवत्तायुक्त बनाने के लिए किया जा रहा है। स्कूलों के खाली भवनों को हम आंगनबाड़ी और पंचायत विभाग को किराए पर देने पर भी विचार कर रहे हैं।