मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां बौद्ध धर्मगुरू श्री दलाई लामा से मुलाकात की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उन्हें प्रदेश में आनंद विभाग तथा नदी संरक्षण के लिये चल रही नर्मदा सेवा यात्रा की जानकारी दी। श्री दलाई लामा ने कहा कि भौतिक विकास से ज्यादा जरूरी मन का विकास है क्योकि वह चिरस्थायी है। प्रदेश में आनंद विभाग का गठन बहुत अच्छा कदम है। नर्मदा सेवा यात्रा एक अभिनंदन करने योग्य कार्य है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रसन्नता बाहर से नहीं अंदर से निकलती है। मध्यप्रदेश में आनंद विभाग ने इस दिशा में गतिविधियों शुरू की है। जिनके पास जरूरत से ज्यादा सामग्री है वो जरूरतमंदों को देने के लिये आनंदम केंद्र बनाये गये है। आनंद उत्सव के तहत खेल कूद और सांस्कृतिक गतिविधियां शुरू की गयी है। अल्प विराम कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके अलावा ध्यान, योग, प्राणायाम जैसी गतिविधियां शुरू की गयी है। पाठ्यपुस्तकों में प्राचीन मनोविज्ञान निष्काम कर्मयोग के संदेश और बुद्ध की शिक्षाओं को शामिल किया गया है। यह अच्छा जीवन जीने की कला है।
नदी संरक्षण का दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन नर्मदा सेवा यात्रा
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है। यह प्रदेश को पेयजल, सिंचाई और बिजली देती है। इसे पवित्र नदी मानते है। क्षेत्र में पेड़ों के कटने से इसकी धारा कम हो गयी है। नर्मदा सेवा यात्रा में समाज को जागृत कर नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर एक हजार किलोमीटर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया जायेगा। सीवेज का पानी नर्मदा नदी में नहीं मिले इसके लिये ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जायेंगे। नर्मदा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिये इसमें पूजन सामग्री नहीं डालने के लिये लोगों को जागरूक किया जा रहा है। आगामी एक अप्रैल से नर्मदा नदी के तटों के ग्रामों में शराब की दुकानें बंद कर दी जायेगी। धीरे-धीरे शेष रहे ग्रामों को भी नशामुक्त किया जायेगा। प्रदेश में बेटी बचाओं अभियान चलाया जा रहा है। लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना शुरू की गयी है जिससे हर बेटी 21 साल की होने पर लखपति बनती है। नर्मदा के दोनों तटों के ग्रामों को खुले में शौच मुक्त किया जा रहा है। नर्मदा सेवा यात्रा अब जनता का आंदोलन बन गयी है। समाज का हर वर्ग और साधु संत इसमें शामिल हो रहे है। आगामी 2 जुलाई को अमरकंटक से लेकर बड़वानी तक एक साथ लाखों पेड़ लगाये जायेगें। नदी संरक्षण का यह दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया है।
प्रदेश के सभी गांवों में सड़क कनेक्टिविटी, 24 घंटे बिजली, सिंचाई के साधन, शिक्षा की व्यवस्था की गयी हे। ग्रामीण युवाओं को लघु-कुटीर उद्योग लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिये मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना शुरू की गयी है। महिलाओं के स्व सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में अंतर्जातीय विवाह करने पर 50 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
भारत की मनोविज्ञान पद्धतियां सबसे उत्तम
श्री दलाई लामा ने कहा कि भौतिक विकास बाहरी है, इसके साथ मन का विकास होना चाहिये। मन में सुख है तो गरीब भी प्रसन्न है और मन में सुख नहीं तो अमीर भी प्रसन्न नहीं है। भारत की मनोविज्ञान की पद्धतियां सबसे उत्तम है। मानसिक सुख चाहते है तो प्राचीन मनोविज्ञान पर ध्यान देना होगा। भारतीय पद्धति में मनोविज्ञान महत्वपूर्ण विषय है। मनोविज्ञान को धर्म का विषय नहीं मानकर शिक्षा पद्धति में सम्मिलित किया जाये। पाश्चात्य वैज्ञानिक भी प्राचीन मनोविज्ञान की ओर आकर्षित हो रहे है। इस तरह की पद्धति भारत में पहले से ही है। प्राचीन समय से भारत में उपस्थित सर्व धर्म समभाव की परम्परा आज के समय में बहुत कारगर है।
श्री दलाई लामा ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा में नर्मदा तट के किनारे के ग्रामों में शराब की दुकानें बंद करना सराहनीय पहल है। नर्मदा नदी के तटों पर वृक्षारोपण के बहुत अच्छे परिणाम होंगे। नदी संरक्षण की यह पहल अभिनंदनीय है। भारत की सभी महत्वपूर्ण नदियों के लिये इस तरह की पहल होना चाहिये। तिब्बत में जल के उपयोग रखरखाव और पर्यावरण संरक्षण की परम्परा रही है। परन्तु इन दिनों वहां वृक्षों के कटने से बाढ़ जैसी आपदा आ रही है। ग्लोबल वार्मिंग की बड़ी वजह वृक्षों को काटना भी है। इससे मौसम में वैश्विक परिवर्तन हो रहे है। पर्यावरणविदों को तिब्बत जाकर वहां भी नदियों के संरक्षण के बारे में जागरूक करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि शहरों मे विकास के साथ गांवों का विकास भी होना चाहिये। बालिका शिक्षा के लिये मध्यप्रदेश शासन की प्रयास सराहनीय है। जातियों के आधार पर भेदभाव की बात ठीक नहीं है। सभी धर्मों के आचार्यों को जनता के बीच जाकर लोगों को समझाना चाहिये कि ईश्वर ने सभी को एक समान बनाया है। जाति व्यवस्था बीते समय की बात है। समाज के प्रभावी लोगों को जातियों को छोड़ना चाहिये।
श्री दलाई लामा ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बुद्ध प्रतिमा भेंट की और आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध दार्शनिक, विचारक और समाज सुधारक के अलावा भारत के प्राचीन वैज्ञानिक है जो हर बात को तर्क की कसौटी पर कसने की शिक्षा देते है।चर्चा के दौरान अपर मुख्य सचिव आनंद विभाग एवं उर्जा श्री इकबाल सिंह बैंस और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री एस.के.मिश्रा भी उपस्थित थे।