स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे बच्चे जिनका अब तक जन्म प्रमाणपत्र नहीं बना है, उनके लिए अच्छी खबर है। शिक्षा विभाग जल्द शासकीय व निजी स्कूलों में बर्थ सर्टिफिकेट बनाने की तैयारी कर रहा है। प्रत्येक स्कूल के एक शिक्षक को जन्म प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके लिए अब सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनाने पर जोर दिया जाएगा। चूंकि ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव के वक्त बच्चों की पैदाइश घरों में पुराने तरीके से कराई जाती है। ऐसे में जागरूकता की कमी से बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र स्कूलों में आकर भी नहीं बन सका है।
शासन के निर्देश पर जिला सांख्यिकी विभाग व शिक्षा विभाग की संयुक्त टीम अब जन्म प्रमाणपत्र विहीन बच्चों को लक्ष्य कर उनका सर्टिफिकेट बनाने का अभियान शुरू करने जा रहा है। इसके तहत शासकीय व निजी सभी स्कूलों को टारगेट कर प्रमाणपत्र बनाने की कार्रवाई की जाएगी।
माना जा रहा है कि ज्यादातर निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश का आधार जन्म प्रमाणपत्र होता है। बावजूद इसके मुहिम से निजी स्कूलों को जोड़ते हुए शासकीय स्कूलों में विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इनमें स्कूल के शिक्षक प्रमाणपत्र बनाने आवेदन भरने में पालकों की मदद करेंगे। इस प्रक्रिया के शिक्षकों को पहले विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को फोकस करते हुए वहां के छूटे बच्चों को विशेष कैंप लगाकर पहले प्रमाणपत्र बनाया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 से जन्म-मृत्यु पंजीयन किया जा रहा है। इससे पहले के वर्षों में जन्म लेने बच्चों का रिकार्ड पंचायतों में नहीं है। जन्म प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया के लिए विशेष तौर पर विभाग ने स्कूलों में उपलब्ध रिकार्ड के आधार पर ऐसे बच्चों का सर्वे कराया है। जिसके जरिये बिना प्रमाणपत्र उन बच्चों का चिन्हांकन कर लिया गया है।
शिक्षा विभाग द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की मदद से पहले हरेक ब्लॉक को कवर करते हुए जिलेभर के शासकीय मिडिल व प्राइमरी स्कूलों का सर्वे कराया जाएगा। विभाग का मानना है कि सरकारी व निजी स्कूलों में करीब 40 हजार बच्चे ऐसे हैं जिनका प्रमाणपत्र अब तक नहीं बना है। ऐसे में सर्टिफिकेट बनाने शिक्षा विभाग पहले प्रस्तावित करेगी। इसके बाद विशेष बच्चों का सर्टिफिकेट बनाने का काम प्रारंभ किया जाएगा।
डीईओ, रायगढ़ आरएन हीराधर ने बताया वर्तमान में स्कूलों में जन्म प्रमाणपत्र को अनिवार्य किया गया है। ऐसे में विभाग द्वारा स्कूल के शिक्षकों को पहले ट्रेनिंग दी जाएगी, उसके बाद स्कूल स्तर पर ही प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे। आदेश मिलने के उपरांत कार्य प्रारंभ किया जाएगा।