बिलासपुर प्रवास पर पहुंचे शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अयोध्या में यह काम जल्द से जल्द होना चाहिए। यह हमारी आस्था व संस्कृति से जुड़ा मामला है। उन्होंने अब तक मंदिर नहीं बन पाने का कारण राजनीतिकरण को बताया।
शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि अयोध्या में विक्रमादित्य ने भी मंदिर का निर्माण कराया था। कारसेवकों ने जब अयोध्या में ढांचे को तोड़ा तो भी वहां मंदिर के अवशेष मिले थे। वहीं मस्जिद बनने या बाबर के वहां आने का कोई प्रमाण नहीं मिला। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी सहमति देते हुए मंदिर के निर्माण की बात कही और उसके पक्ष में अपना निर्णय दिया।
उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने 65 एकड़ जमीन सरकार के अधिकार में ली थी और कहा था कि इसे मंदिर निर्माण के समय संतों और राम भक्तों को दे दी जाएगी। इस संबंध में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने भी चर्चा की, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई।
भगवान राम की जन्मभूमि में मंदिर निर्माण को लेकर विशाल धर्मसभा हुई थी, जिसमें काशी और पुरी के शंकराचार्यों ने भी मंदिर के पक्ष में सहमति जताई थी। संतों और भक्तों की सहमति और कोर्ट के फैसले के बाद भी राजनीतिकरण की वजह से ही मंदिर निर्माण में देरी हो रही है।
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि स्कंद पुराण में भगवान राम के अवतार और उनकी जन्मभूमि अयोध्या को पावन बताया गया है। भगवान के जन्म स्थान पर देवताओं का वास है और यह हमारी आस्था व संस्कृति से जुड़ा अहम हिस्सा है। इस स्थान पर मंदिर का जल्द ही निर्माण होगा। तभी देश में एक बार फिर राम राज्य की स्थापना होगी।