महाशीर एमपी की राज्य मछली
प्रदेश की नदियों और जलाशयों में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी ‘महाशीर’ प्रजाति की मछली को ‘राज्य मछली’ का दर्जा दिया जायेगा। महाशीर के संवर्धन और प्रजाति को बचाने के लिये यह निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की।एम पी की कृषि केबिनेट ने मत्स्य पालन को आर्थिक उद्यमिता के रूप में बढ़ावा देने और मत्स्य पालन अधोसंरचना का विकास करने के लिये राज्य मत्योद्योग विकास योजना को भी मंजूरी प्रदान की। योजना के लिये सालाना 15 करोड़ रूपये का बजट उपलब्ध कराया जायेगा।उल्लेखनीय है कि साठ के दशक में प्रदेश की नदियों में बहुतायत में महाशीर मछली पाई जाती थी। महाशीर मछली नर्मदा, केन, बेतवा, टोंस, ताप्ती, चंबल में पाई जाती है। नर्मदा में महाशीर का उत्पादन 10 से 15 प्रतिशत ही रह गया है। तवा जलाशय में भी महाशीर के उत्पादन में कमी हुई है। इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरर्वेशन आफ नेचर ने महाशीर को विलुप्त माना है। इसके अलावा नेशनल ब्यूरो आफ फिश जैनेटिक रिसोर्स लखनऊ ने भी महाशीर प्रजाति के विलुप्त होने पर चिन्ता जताई है।कृषि केबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय से महाशीर के संरक्षण और संवर्धन के लिये हेचरी निर्माण और बीज निर्माण गतिविधियों को प्रमुख रूप से बढ़ावा मिलेगा। केरवा जलाशय में महाशीर बीज का संचय करना शुरू कर दिया गया है।कृषि केबिनेट द्वारा अनुमोदित राज्य मत्स्योत्पादन विकास योजना के अनुसार मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिये पेरिफेरल माडल का विकास किया जायेगा जिसमें बड़े तालाबों का जलाशयों के बाजू में मत्स्य बीज उत्पादन के लिये छोटे तालाब बनाये जाते हैं। इसके लिये 57 जलाशयों को चुना गया है जिनका जलक्षेत्र 200 हेक्टेयर से ज्यादा है। यह पेरिफेरल माडल जल संसाधन विभाग के सहयोग और मार्गदर्शन में विकसित किया जायेगा। वर्तमान में शहडोल जिले में यह प्रयोग किया गया है। इसके अलावा मत्स्य बाजारों का विकास किया जायेगा।