एशिया की सबसे लंबी चिनैनी-नाशरी टनल उपयोग के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मोदी 2 अप्रैल को इसे देश को समर्पित करेंगे। फिलहाल इस टनल में किसी को जाने की इजाजत नहीं है और यहां की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है।
करीब नौ किलोमीटर लंबाई बाले इस टनल का निर्माण कार्य करीब साढ़े चार साल पहले शुरू हुआ था। इस पर तीन हजार दो सौ करोड़ रुपये खर्च आए हैं। टनल का निर्माण करने वाली कंपनी आइएफ एंड एफएस के रीजनल हेड आशुतोष चांदवार ने बताया कि अपनी तरह का यह पहला टनल है और इसके निर्माण में विश्व की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हुआ है।
कुल 19 किलोमीटर टनल का निर्माण किया गया है। नौ किलोमीटर मुख्य टनल के साथ-साथ नौ किलोमीटर ही एस्केप टनल और एक किलोमीटर क्रास पैसेज शामिल है। टनल के निर्माण में तीन हजार दो सौ करोड़ रुपये खर्च आए हैं। इस टनल के खुलने से चिनैनी से नाशरी तक का रास्ता 31 किलोमीटर कम हो जाएगा। टनल को खोलने के लिए सभी प्रबंध कर लिए गए हैं।
टनल की कुल लंबाई नौ किलोमीटर है, जो कि एशिया में सबसे लंबा टनल है। अगर कोई दुर्घटना होती है तो टनल के साथ एस्केप टनल बनाया गया है। इस टनल से ही यात्रियों को बाहर निकला जाएगा। टनल में आयल टैंकर या फिर गैस टैंकर को चलने की इजाजत नहीं होगी। टनल के बीच एसओएस बनाए गए हैं। इनमें कोई भी समस्या आने पर यात्री तुरंत यहां बटन दबाकर कंट्रोल रूम को सूचित कर सकता है। टनल पूरी तरह से मानव रहित होगा और इसका पूरा संचालन कंट्रोल रूम से होगा। पर्यावरण को विशेष ध्यान रखा गया है। टनल के बाहर केवल स्वच्छ हवा ही जाएगी ताकि पर्यावरण प्रदूषित न हो। टनल के आने और जाने का एक ही रास्ता है। बारह हजार टन स्टील और पैंसठ लाख सीमेंट की बोरियां इस्तेमाल हुई हैं।