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मध्य प्रदेश कांग्रेस ने प्रदेश के निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने निर्वाचन आयोग पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं उन्होंने मध्य प्रदेश कॉडर की आईएएस अफसर और प्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह को तत्काल हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने एक बार फिर ईवीएम की जगह पर मतपत्रों से अटेर और बांधवगढ़ का चुनाव करवाने की मांग भी की है। मिश्रा ने आज प्रदेश कार्यालय में कहा कि सलीना सिंह अटेर में ईवीएम को चैक करने गई थी। उन्होंनें चार नंबर की बटन दबाई, इसमें वोट भाजपा को जाना बताया गया। कई बार ऐसा हुआ। इसके बाद सलीना सिंह ने वहां पत्रकारों को धमकाया। मिश्रा ने कहा कि उन्हें हटाकर गैर भाजपा, कांग्रेस शासित प्रदेश के किसी अफसर को जिम्मेदारी सौंपी जाए। उन्होंने कल जिस तरह से पत्रकारों को धमकाया है वह उनकी गोपनीय चरित्रावली में दर्ज करते हुए उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। कांग्रेस ने प्रमाणित शिकायतें निर्वाचन आयोग को की हैं। गौरतलब है कि यूपी चुनाव के बाद ईवीएम की गड़बड़ी की शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने कहा था कि ऐसा संभव नहीं है। अब चुनाव आयोग के इसी दावे पर सवाल उठने लगे हैं।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी आज भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि अटेर और बांधवगढ़ में ईवीएम की जगह पर बैलेट पेपर से वोट कराया जाए। वहीं उन्होंने भी सलीना सिंह को तत्काल हटाने की मांग भारत निर्वाचन आयोग से की है।
मामले में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी सक्रिय हो गए हैं। एआईसीसी ने दिल्ली में भारत निर्वाचन आयोग से इस संबंध में शिकायत करने के लिए समय मांगा है। इस शिकायत के लिए प्रदेश कांग्रेस से सभी जरुरी दस्तावेज दिल्ली बुला लिए गए हैं। दस्तावेजों के साथ ही सलीना सिंह का कल सोशल मीडिया पर जारी हुआ एक वीडियो भी एआईसीसी को भेजा गया है।
सलीना ने दी सफाई
मध्यप्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह का कहना है कि अटेर-बांधवगढ़ चुनावों में पहली बार वीवीपेट मशीन का उपयोग हो रहा है। मशीन से मतदाता जान सकेंगे कि उन्होंने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है वह उसके पक्ष में गया है या नहीं। भिंड में इस मशीन के डेमो के दौरान बटन दबाए जाने पर एक बार कमल और दूसरी बार पंजे चिन्ह की पर्ची निकल कर आई थी। कुछ लोग इसका दुष्प्रचार कर रहे है। यह मशीन पूरी तरह सुरक्षित है और स्वच्छ एवं निष्पक्ष चुनाव को प्रमाणित करती है। प्रदेश टुडे से चर्चा में सीईओ ने कहा कि भिंड में कलेक्टर और चुनाव आर्ब्जवर, मीडिया की मौजूदगी में मशीन के प्रदर्शन के दौरान दो बार बटन दबाने पर अलग-अलग चुनाव चिन्हों की पर्चियां निकली। मशीन से दो बार मतदाता पर्चियां निकालकर बताई गई। एक पत्रकार का यह कहना था कि पहली बार में कमल क्यौं निकला। हमने उन्हें बताया कि रेंडम आधार पर पहली बार में कोई भी चुनाव चिन्ह निकल सकता है। इस मशीन के बारे में गलत प्रचार करने पर जेल भेजने का प्रावधान है। मैने यही मीडिया को बताया था। पूरे मामले की रिपोर्ट भारत निर्वाचन आयोग को भेज दी है।
मध्यप्रदेश का ईवीएम मशीन वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि ‘बटन कोई भी दबाओ, वोट कमल को पड़ेगा...पर्ची में कुछ भी आए, प्रेस में नहीं आना चाहिए... नहीं तो पत्रकार को थाने में बिठा देंगे। लोकतंत्र खत्म।’ वहीं पत्रकार एक्टिविस्ट आनंद राय ने ट्वीट किया कि ‘मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह द्वारा ईवीएम और वीवीपीएटी डिमॉस्ट्रेशन ने भाजपा की पोल खोल दी’। वहीं पत्रकार आशुतोष मिश्रा ने ट्वीट किया ‘ईवीएम में फ्रॉड का पहला और बड़ा सबूत खुद एमपी की मुख्य चुनाव अधिकारी ने दे दिया’।
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