बीजापुर में एक बार फिर सरकार और देश को हिला देने वाली नक्सलियों द्वारा रची गई एक बड़े साजिश का खुलासा हुआ है। पिछले सप्ताह नक्सलियों ने जनसमस्या निवारण शिविर से बीजापुर कलेक्टर डॉ अय्याज ताम्बोली और संयुक्त कलेक्टर केआर भगत के अपहरण की योजना बनाई थी परंतु उस दिन बीजापुर कलेक्टर उस शिविर में नहीं पहुंचे थे जबकि इसकी भनक लगते ही तेलंगाना पुलिस ने संयुक्त कलेक्टर को तेलंगाना में ही रोककर नक्सलियों द्वारा रचे गए एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया।
नक्सली एक बार एलेक्स पाल मेनन अपहरण काण्ड को दोहराकर सरकार को बड़ा झटका देने की तैयारी में थे परन्तु नक्सलियों के इस साजिश की भनक तेलंगाना पुलिस को लग चुकी थी जिसके चलते नक्सलियों के मंसूबो पर पानी फिर गया।
जब इस सनसनीखेज नक्सली साजिश की जानकारी मिली तो नईदुनिया की टीम ने करीब 5 दिनों तक खबर की सत्यता की पूरी पड़ताल किया चूँकि मामला बेहद ही संवेदनशील और गंभीर था। पड़ताल के दौरान नईदुनिया की टीम ने शिविर में जाने वाले सभी जिला स्तर के अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस अधिकारी और तेलंगाना के सूत्रों से बात कर जानकारी जुटाई तब जाकर नक्सलियों के इस सनसनीखेज साजिश का पता चल पाया।
पूरी पड़ताल के बाद जानकारी मिली की 25 मार्च को छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर बसे बीजापुर जिले का गांव कोत्तापल्ली में जिला स्तरीय जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था जहां बीजापुर कलेक्टर डॉ अय्याज ताम्बोली व संयुक्त कलेक्टर व बीजापुर एसडीएम केआर भगत सहित सभी अधिकारी कर्मचारियों को जाना था परन्तु कार्यालयीन कार्य के चलते कलेक्टर डॉ अय्याज तम्बोली उस शिविर में नहीं जा पाए जबकि संयुक्त कलेक्टर केआर भगत, भोपालपटनम तहसीलदार शिवेंद्र बघेल के साथ तारलागुड़ा के रास्ते तेलंगाना होते हुए कोत्तापल्ली के लिए रवाना हुए थे।
संयुक्त कलेक्टर केआर भगत ने नईदुनिया से चर्चा करते हुए बताया की उन्होंने तेलंगाना के वेंकटापुरम से आगे करीब 10 किलोमीटर का सफर तय किया ही था की उनके साथ चल रहे पटनम के तहसीलदार के पास तारलागुड़ा टीआई सुशील पटेल का फोन आया और उनके द्वारा बताया गया कि वे उस शिविर में न जाएं क्योंकि नक्सली उस शिविर से उनका अपहरण करने वाले हैं।
ऐसी जानकारी तेलंगाना पुलिस द्वारा दी गयी है उसके बाद केआर भगत वापस तेलंगाना के वेंकटापुरम थाना पहुंचे जहां उनकी मुलाकात वहां के सर्कल इंस्पेक्टर कुमार भेण्डारी से हुई तब उन्होंने बताया की नक्सलियों द्वारा कोत्तापल्ली शिविर से कलेक्टर और संयुक्त कलेक्टर के अपहरण की साजिश रची गई है और इस समय शिविर में ग्रामीण वेशभूषा में करीब 40 से 50 नक्सली मौजूद हैं जो अपहरण की घटना को अंजाम देने की तैयारी में हैं। इस अपहरण को अंजाम देने के लिए नक्सलियों के बड़े केडर ने मिलीशिया कमाण्डर सहदेव, चुकैया, रैनु और पड़ेदु को जिम्मेदारी सौंपी गई है जो अपने साथियों के साथ शिविर में ही मौजूद हैं। इतनी जानकारी देने के बाद सर्कल इंस्पेक्टर ने यह भी कहा की उनके थाने में बल कम होने के कारण शिविर तक जाने के लिए वे सुरक्षा मुहैया नहीं करा पाएंगे इसीलिए वे वापस लौट जाएं।
उसूर के रास्ते मोटर सायकलों के माध्यम से कोत्तापल्ली पहुंचे अधिकारियों की टीम से जब नईदुनिया ने बात की तो उन्होंने बताया कि शिविर में महिलाओं की संख्या बहुत ही कम थी जबकि 20 से 30 वर्ष आयु के युवाओं की संख्या वहां ज्यादा थी जो लुंगी और लोवर पहने हुए थे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब 3-4 दिन पहले ही नक्सलियों को कोत्तापल्ली शिविर की जानकारी मिल गयी थी और उसके बाद ही नक्सलियों ने कलेक्टर सहित संयुक्त कलेक्टर के अपहरण की साजिश रची थी। यह भी बताया जा रहा है की नक्सलियों ये जानकारी भी जुटा ली थी की कौन-कौन अधिकारी किस-किस वाहन में आ रहे हैं और कितने अधिकारियों के वाहन में नंबर प्लेट नहीं हैं और वाहन किस रंग की है।
हालांकि तेलंगाना पुलिस और बीजापुर पुलिस की सतर्कता के चलते समय रहते नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को टाल दिया गया। इस मामले में बीजापुर कलेक्टर का कहना है कि उस दिन कार्यालयीन व्यस्तता के चलते वे उस शिविर में नहीं गए थे और उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है अगर ऐसा है तो पुलिस को वे बधाई देते हैं कि उनकी सतर्कता के चलते एक बड़े हादसे को टाल दिया गया।
21 अप्रैल 2011 में नक्सलियों ने सुकमा के तात्कालीन कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का अपहरण कर राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक को हिला दिया था जिन्हें बाद में मध्यस्ता का रास्ता अपनाकर रिहा कराया गया था और इस बार बीजापुर कलेक्टर का अपहरण कर नक्सली मेनन अपहरण काण्ड को दोहराना चाहते थे।