मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सांस्कृतिक एकता के जन आंदोलन के प्रणेता आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना की तैयारियों की समीक्षा की। आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा ओंकारेश्वर में स्थापित की जायेगी। अष्टधातु से निर्मित होने वाली 108 फीट ऊँची इस प्रतिमा के लिये घर-घर से धातु का संग्रहण किया जायेगा। धातु संग्रहण का व्यापक अभियान जून माह में चलाया जायेगा। प्रदेश में एक मई को आचार्य शंकर दिवस मनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आदि शंकराचार्य भारतीय सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं। उनकी प्रतिमा निर्माण में जन-जन की सहभागिता के लिये घर-घर से धातु इकट्ठी की जायेगी। उन्होंने कहा कि जो भी धातु जिस रूप में दी जाये, उसे संकलित किया जाये। प्रतिमा स्थापना के लिये स्थान के चयन में संतों की भागीदारी हो।
बताया गया कि प्रतिमा 108 फीट ऊँची होगी। प्रतिमा के लिये धातु और धनराशि दोनों रूप में सहयोग स्वीकार किया जायेगा। आचार्य शंकर प्राकट्य पंचमी एक मई को आचार्य शंकर जयंती मनाई जायेगी। इस अवसर पर आचार्य शंकर के मूल्यों और भारतीय एकता में उनके योगदान के माध्यम से संपूर्ण भारत की मूलभूत सांस्कृतिक एकता को रेखांकित किया जायेगा। रन फॉर कल्चरल यूनिटी, निबंध, चित्रकला और नारे लेखन की प्रतियोगिताएँ की जायेगी।
धातु संग्रहण अभियान के क्रियान्वयन के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में लोक न्यास गठित किया जायेगा। न्यास में भारतीय ज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त तथा विभिन्न क्षेत्रों के सामाजिक कार्यकर्ता न्यासी सदस्य होंगे। लोक न्यास परामर्शदात्री मंडल की स्थापना की जायेगी। धातु संग्रहण का कार्य आगामी एक जून से 30 जून तक चलेगा।
बैठक में प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मनोज श्रीवास्तव, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव जनसंपर्क श्री एस.के. मिश्रा, मुख्यमंत्री के उप सचिव श्री नीरज वशिष्ठ और विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी श्री मनीष पांडे उपस्थित थे।