छत्तीसगढ़ में मीडिया दमन और अमेरिका
छत्तीसगढ़ में मीडिया दमन

अमेरिकी गृह विभाग ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर जारी 2016 की अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में मीडिया के दमन का भी जिक्र किया है। दंतेवाड़ा के पत्रकार प्रभात सिंह और दीपक जायसवाल के नाम का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि उन्हें सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने सरकार की आलोचना करने वाली एक पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर किया था।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत में आलोचना करने पर मीडिया के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने अमेरिका की इस रिपोर्ट का समर्थन करते हुए कहा है कि बस्तर में पत्रकारों का लगातार दमन किया जा रहा है।

ज्ञात हो कि अमेरिकी गृह विभाग की उक्त रिपोर्ट इन दिनों काफी चर्चा में है। इसमें भारत में कथित उत्पीड़न, रेप, मानवाधिकारों के हनन का जिक्र किया गया है। इसमें माओवादियों की भी आलोचना की गई है। कहा गया है कि माओवादी मासूम बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के मीडिया एंड एडवोकेसी ऑफिसर रघु मेनन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में काम करने वाले पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को राज्य व माओवादी दोनों ओर से परेशान किया जा रहा है। यह हम कई सालों से देख रहे हैं। 2015-16 में खासकर राज्य ने उन पत्रकारों को टारगेट किया जो सरकार के बारे में आलोचनात्मक लेख लिख रहे थे।

प्रभात सिंह और दीपक जायसवाल से पहले सोमारू नाग को भी ऐसे ही उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। छत्तीसगढ़ सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए। एनएचआरसी जैसी संवैधानिक संस्थाओं को भी ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। सरकार या राज्य की आलोचना करना कोई गुनाह नहीं है। यह हमारी अभिव्यक्ति की आजादी का अहम हिस्सा है।