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भोपाल के पास बुदनी-मिडघाट इंडियन रेलवे का ऐसा सेक्शन है जो किसी घने वन्य प्राणी अभयारण्य से गुजरता है। करीब 20 किमी के इस सेक्शन में गत दो वर्षों में छह टाइगर, दर्जन भर चीतल या हिरण सहित कई वन्य प्राणी चलती टेÑनों से कट मरे हैं। इस समस्या से निजात के लिए अब रेलवे और वन विभाग मिल कर कार्ययोजना बना रहे हैं। ऐसे ठिकानों को चिन्हित कर वहां लोहे की मजबूत जाली लगाने के अलावा दूसरे उपाय करेगा। ज्ञात हो कि चार दिन पूर्व बुदनी-मिडघाट सेक्शन पर एक युवा टाइगर की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। इसी लाइन से रातापानी अभयारण्य लगा हुआ है। यहां बरखेड़ा से बुदनी-मिडघाट तक घना जंगल लगा हुआ है। इस सेक्शन पर खासतौर से टाइगर्स की ट्रेन कटिंग से वन विभाग और रेलवे ने चिंता व्यक्त कर इस दिशा में संयुक्त रूप से काम करना तय किया है। इससे इनकी मौतें रूकेंगी।
वन्यप्राणियों की ट्रेन कटिंग की बढ़ती घटनाओं के संदर्भ में भोपाल रेल मंडल के डीआरएम आलोक कुमार ने वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी दीपक खांडेकर से भेंट की। अब रेलवे और वन विभाग अपने स्तर पर उन ठिकानों को चिन्हित करेगे जहां से वन्य प्राणियों का मूवमेंट ज्यादा होता है। विशेष रूप से टाइगर टेरेटरी वाले इलाके पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। रातापानी इलाके के टाइगर मूवमेंट का ऐसा इलाका जो पटरी पार जाता है वहां लोहे की जाली लगाई जाएगी। अंडर ब्रिज बनाने के विकल्प पर काम हो रहा है। लोको पायलटों को काशन आर्डर भी जारी किया जाएगा।
MadhyaBharat
6 April 2017
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