किसी के न हुए रजक
राजेंद्र जायसवाल

राजेंद्र जायसवाल

कोसगई सेवा संस्थान के अध्यक्ष शंकर रजक किसी के न हुए और कोई उनका होता नजर नहीं आ रहा। कभी इसका तो कभी उसका दामन थामकर नजदीकी बढ़ाने वाले रजक ने पहाड़ पर ही सही, अतिक्रमण कर बनाये गये मंदिर व निर्माण को तोडऩे से कहीं ज्यादा गौशाला के तोड़े जाने का दुख और मलाल कर अपना इस्तीफा हाई कमान अजीत जोगी को भेज दिया। अब रजक के गौशाला रूपी जख्म पर कोई मरहम लगाये या न लगाये लेकिन सरकार की गौसेवा आयोग के अध्यक्ष ने मरहम लगाने की ठानी है। अब इनके मरहम से जख्म कब तक और किस हद तक भरेगा या नासूर बनेगा? यह तो वक्त बताएगा। 

केबिनेट मंत्री दर्जा का राज

जिले को एक केबिनेट मंत्री दर्जा वाला भारी भरकम दायित्व मिल ही गया। वैसे तो चुनाव के दौरान मिले दायित्व को निभाने की बात पर पंडित जी खरे उतरे तो वचन निभाने की दुहाई को पूरा कर उन्हें हस्तशिल्प बोर्ड का सदस्य बना दिया गया। सदस्य के रूप में अच्छा परफार्मेंस दिखा रहे पंडित जी अब केबिनेट मंत्री दर्जा के ऊंचे ओहदे पर पहुंच चुके हैं। जिले की जनता यह जानने को आतुर है कि उनके केबिनेट मंत्री बनाये जाने का आखिर राज क्या है?

नाम बड़े और दर्शन छोटे

कोयला लदान से आमदनी ने बिलासपुर जोन में शामिल कोरबा रेलवे ने खूब नाम तो कमाया लेकिन जहां से कमा रहे हैं, वहां के लोगों के प्रति कृतज्ञता का भाव जाहिर करने में कोताही दिखा रहे हैं। कोरबा की जनता को रेलवे क्रासिंग का जाल बिछाकर और बार-बार रेल फाटक बंद कर तकलीफों का दंश दे रहे रेलवे को यात्री सुविधाओं की भी चिंता नहीं है। अब रेलवे का नाम भले कोरबा के बलबूते देश में बड़ा है लेकिन उसके दर्शन तो छोटे हैं। 

बालको को घुड़की और मान-मनौव्वल

बालको वेदांता प्रबंधन को यूं तो जनप्रतिनिधि घुड़की देने और आलोचना करने से नहीं चूकते लेकिन प्रबंधन का अमला भी इनसे एक कदम आगे चलने से परहेज नहीं करता। घुड़की और आलोचना को निंदक नियरे राखिये की तर्ज पर मानकर प्रबंधन भी सभी को किसी न किसी बहाने से अपने पास बुलाकर प्रशंसा कराने और अखबारों में सुर्खियां बटोरने से नहीं चूकता। 

 एसईसीएल का सच

सामुदायिक विकास मद से खदान प्रभावित क्षेत्रों में काम करने के एसईसीएल के दावों की पोल आखिरकार संसदीय सचिव ने खोलकर रख दी। प्रभावित लोगों की समस्याओं पर बीच-बीच में कोयला कंपनी को टारगेट में लेने वाले संसदीय सचिव ने वह राज खोल दिया जो बहुत कम लोग जानते हैं। पुनर्वास गांव विजयनगर में 30 साल पहले के विकास की रूपरेखा को अभी तक अधिकारियों के सामने एसईसीएल वाले दिखाते और भुनाते आ रहे हैं। संसदीय सचिव ने प्रशासन के साथ पुनर्वास गांवों की सूरत देखने की बात कही है, तब उजागर होने वाले सच की कल्पना से कंपनी के लोग सहमे-सहमे से हैं कि कब, कौन टारगेट में आ जाए।

और अंत में❗

प्र्रदेश में कोचिया बंदी खत्म करने के लिए तत्पर मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने ग्राम बिरदा के समाधान शिविर में जो घुड़की दी और घुट्टी पिलाई, उसका असर यहां भी दिखने लगा है। शराब के अवैध ठिकाने भले ही न मिलें हो पर दूसरे तरीके से नाक के नीचे से गुजर कर नशा परोसने वालों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही से यह राज जरूर खुला है कि अपनी धनलिप्सा को बुझाने किस तरह युवा वर्ग को दलदल में धकेला जा रहा है। बच्चों में बढ़ते नशे की लत और यत्र-तत्र पीठ पर बोरियां लादकर कचरे में दो वक्त की रोटी तलाशने वाले बचपन को भी अभियान के रूप में सुरक्षित करने की जरूरत है।

एक सवाल आप से ❓

आबकारी विभाग की सरपरस्ती में किन चुनिंदा कर्मचारियों ने भर्ती के दौरान अभ्यर्थियों से हजारों रूपये वसूले हैं? एक ने तो अपने सगे रिश्तेदार को भी नहीं बख्शा।