हिंसा पर उतारू भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षा बल अब प्लास्टिक की गोलियों का इस्तेमाल करेंगे। इससे जानमाल का नुकसान न के बराबर होगा।
आखिरी विकल्प के रूप में एजेंसियां पैलेट गन का इस्तेमाल करेंगी। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह के बाद उठाया गया है जिसमें उसने केंद्र को सलाह दी थी कि पैलेट गन के बजाए किसी और विकल्प का विचार करे, जिसमें जानमाल का नुकसान कम से कम हो।
सर्वोच्च अदालत के समक्ष वह मामले रखे गए थे जिनमें पैलेट गन से लोगों को भारी क्षति होने की बात कही गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि हजारों की तादाद में प्लास्टिक की गोलियां राज्य में तैनात सुरक्षा बलों के पास भेज दी गई हैं।
इन्हें इन्सास राइफलों से दागा जा सकता है। गौरतलब है कि आतंकियों की धरपकड़ या उनसे मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों पर अक्सर स्थानीय लोगों भीड़ पत्थरों से हमला कर देती है।
उनका मकसद आतंकियों की भागने में मदद करना होता है। उस दौरान सुरक्षा बलों के सामने आतंकियों के साथ लोगों हिंसा पर उतारू लोगों से निपटने की दोहरी जिम्मेदारी होती है।
चाढूरा में ऐसी ही घटना में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी। तब सुरक्षा बलों को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा था। ऐसी स्थिति में सुरक्षा बल पावा गन के साथ कुछ और ऐसे तरीकों का इस्तेमाल भी करते हैं जिससे पत्थरबाजी कर रहे लोगों को खदेड़ा जा सके।