बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में खरीफ फसल के लिए विभिन्न् समितियों में खाद परिवहन के नाम पर 25 करोड़ स्र्पए का घोटाला सामने आया है। बैंक प्रबंधन ने परिवहन के लिए बगैर टेंडर जारी किए चहेतों को काम दे दिया। समितियों में खाद आपूर्ति के एवज में ट्रांसपोर्टरों द्वारा जारी मनमुताबिक बिल को विपणन अधिकारी ने पास भी कर दिया। स्पेशल ऑडिट टीम ने बीते पांच वर्ष के दौरान खाद परिवहन के नाम पर 25 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का खुलासा किया है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत बिलासपुर,मुंगेली,जांजगीर-चांपा व कोरबा जिले को शामिल किया गया है। खरीफ फसल के दौरान बैंक की विभिन्न् समितियों में पंजीकृत किसानों को बैंक द्वारा खाद व बीज के लिए कर्ज दिया जाता है।
खाद व बीज के अलावा किसानों को खेती किसानी के लिए नगद ऋण की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। कृषि विभाग के कैलेंडर के अनुसार प्रदेश में 15 जून से मानसून की शुरुआत हो जाती है। इसके पूर्व समितियों के गोदामों में खाद व बीज का भंडारण कर लिया जाता है।
राज्य शासन की व्यवस्था पर नजर डालें तो सहकारी संस्थाओं के प्रदेशभर के गोदमों में खाद व बीज भंडारण के लिए टेंडर जारी करना अनिवार्य है। निविदा जारी कर परिवहनकर्ताओं को आमंत्रित किया जाना है। निविदा प्रपत्र में किस समिति के किस गोदाम में खाद व बीज का भंडारण करना है इसका स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा।
इसके अलावा जिला कार्यालय से दूरी का जिक्र करना भी जरूरी है। दूरी के अलावा शासन द्वारा प्रति किलोमीटर दर की घोषणा बैंक द्वारा करना होगा। इसी आधार पर परिवहनकर्ताओं से निविदा बुलाई जाएगी। इसके बाद टेंडर खोला जाएगा। सबसे कम रेट वाले परिवहनकर्ताओं को गोदामों में खाद व बीज भंडारण के लिए वर्कआर्डर जारी किया जाएगा।
इसके बाद ही ट्रांसपोर्टर भंडारण का काम शुरू करेंगे। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में बीते पांच वर्षों से खाद व बीज भंडारण के लिए तय नियमों का पालन ही नहीं किया जा रहा है। चहेते ट्रांसपोर्टरों को काम देकर संबंधित अधिकारियों ने शासन को लाखों का चूना लगा दिया है। बिना टेंडर मुंहजुबानी गोदामों में खाद व बीज का भंडारण करा लिया।
इसका खुलासा विशेष ऑडिट टीम की जांच में हुआ है। आश्चर्य की बात है कि वर्ष 2012 से 2016 के बीच बिना टेंडर बैंक के अंतर्गत आने वाले चारों जिलों की समितियों में खाद व बीज भंडारण के लिए ट्रांसपोर्टरों को बिना टेंडर काम दे दिया गया है। जांच दल में शामिल एक आला अधिकारी के अनुसार एक वर्ष में परिवहन के नाम पर चारों जिले में तकरीबन पांच करोड़ स्र्पए का घोटाला किया है। पांच वर्ष में 25 करोड़ का घोटाला सामने आया है।
बगैर टेंडर जारी किए ट्रांसपोर्टरों को खाद व बीज भंडारण का काम देने के बाद ट्रांसपोर्टरों ने समितियों में भंडारण किया। उसके बाद बैंक के विपणन अधिकारी के समक्ष बिल पेश कर दिया। बगैर किसी मापदंड के बैंक के आला अफसराें के इशारे पर विपणन अधिकारी ने बिल पास कर दिया। ट्रांसपोर्टरों ने संबंधित ब्रांच में बिल जमा कर दिया। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के विपणन अधिकारी द्वारा पास बिल के एवज में ब्रांच मैनेजरों ने खाद व बीज भंडारण के एवज में ट्रांसपोर्टरों को बगैर पतासाजी किए बिल का भुगतान भी कर दिया ।
राज्य शासन द्वारा तय किए गए मापदंड के अनुसार समितियों में पंजीकृत किसानों को प्रति एकड़ 15 हजार स्र्पए का कर्ज दिया जाता है। इसमें 6 हजार स्र्पए का खाद व बीज व 9 हजार स्र्पए कृषि कार्य के लिए नगद दिया जाता है। खाद के रूप में किसानों को यूरिया,डीएपी,सुपर फास्फेट व पोटाश का विकल्प दिया जाता है। लिमिट के अनुसार किसान अपने मनमुताबिक खाद ले सकते हैं।
बीते पांच वर्ष के दौरान बैंक की विभिन्न् समितियों में खाद व बीज परिवहन के संबंध में परिवहनकर्ताओं को जारी किए गए बिल संबंधी फाइल गायब कर दी गई है। विशेष जांच दल द्वारा फाइलों के संबंध में बैंक प्रबंधन को लगातार नोटिस जारी किया है। इसके बाद भी फाइल जांच दल के हवाले नहीं की जा रही है।
उप पंजीयक, सहकारी संस्थाएं केएल ढारगवे ने बताया राज्य शासन के निर्देश पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कामकाज को लेकर विशेष ऑडिट की जा रही है। इसके लिए अलग-अलग बिंदु तय किए गए हैं। जांच के दौरान बीते पांच वर्ष के दौरान खाद व बीज परिवहन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। जांच जारी है।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के सीईओ अभिषेक तिवारी का कहना है विशेष ऑडिट टीम द्वारा बैंक के कामकाज को लेकर जांच की जा रही है। खाद व बीज परिवहन के संबंध में फाइल मांगी है। तत्कालीन विपणन अधिकारी को फाइल उपलब्ध कराने नोटिस जारी किया गया है। प्रथमदृष्टया बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जानकारी मिली है।