अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिन्दी के प्रति कुंठित मानसिकता को बदलने की जरूरत बताई है। उन्होंने आव्हान किया है कि अंग्रेजी का ज्ञान श्रेष्ठता का प्रतीक है, इस गुलाम मानसिकता को समाप्त किया जाये। हिन्दी में काम करने पर गर्व की अनुभूति हो, ऐसा वातावरण बनायें। श्री चौहान अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में 126 विद्यार्थियों को विद्या निधि स्नातकोत्तर एवं स्नातक प्रतिष्ठा की उपाधि प्रदान की गई। इसके साथ ही 156 विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र, पत्रोपाधि एवं स्नातकोत्तर पत्रोपाधि दी गईं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि निज भाषा सब उन्नतियों का मूल है। हिन्दी के उदभट विद्वान के नाम पर देश का प्रथम हिन्दी विश्वविद्यालय प्रदेश की धरती पर है। यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की सभी जरूरत को पूरा किया जायेगा। हिन्दी विश्वविद्यालय से चिकित्सा, अभियांत्रिकी आदि विश्वविद्यालयों को सम्बद्ध करवाने के प्रयास भी किये जायेंगे। उन्होंने देश-प्रदेश के विद्वानों से हिन्दी विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय की श्रेणी में खड़ा करने के लिए मार्गदर्शन और सहयोग का अनुरोध किया।
श्री चौहान ने कहा कि भारतीय ज्ञान, परम्परा, विज्ञान अदभुत है। जब विश्व के आधुनिक राष्ट्रों में सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था। उनके निवासी पत्तों-पेड़ों की छाल से तन ढँकते थे, तब-भारत के ऋषि-मुनि वेदों की ऋचाओं की रचना कर रहे थे। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे, जहाँ सारी दुनिया के मनीषी अध्ययन के लिये आते थे। उन्होंने कहा कि भौतिकता की अग्नि से पीड़ित समाज को शांति का पथ प्रदर्शन भारतीय ज्ञानदर्शन से ही होगा, जो प्राणियों में सदभावना और देश के नहीं विश्व के कल्याण की कामना करता है। उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी प्रतिभा की उन्नति में बाधक नहीं हो,इसके लिए मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना लागू की है। इस योजना में चिकित्सा, अभियांत्रिकी, विज्ञान, कला, विधि आदि संकायों की उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की फीस राज्य सरकार द्वारा भरे जाने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि योजना में बिना जात-पांत, धर्म-सम्प्रदाय के भेदभाव के सभी बच्चों को लाभान्वित किया जायेगा। श्री चौहान ने कहा कि \' सर्वे भवन्तु सुखिन:\' का उदघोष सिर्फ भारत में हैं।
मुख्यमंत्री ने 2014-15 एवं 2015-16 की सभी परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाली कु. स्वेच्छा मिश्रा को \'अटल स्वर्ण पदक\' प्रदान किया। उन्होंने श्री नित्यानंद तिवारी को \'स्व. श्री मोतीलाल गंगादेवी छीपा स्वर्ण पदक\' दिया।
मुख्यमंत्री ने स्मारिका दीक्षा, अटल संवाद, भारतीय ज्ञान परम्परा पुस्तक, सिंहस्थ-2016 का सर्वेक्षण, भारतीय ब्रह्म विज्ञान और विश्वविद्यालय के विकास कार्यों की सीडी का विमोचन किया। भारतीय ज्ञान परम्परा में योगदान के लिए स्वामी गोविंद देव गिरि को विश्वविद्यालय की प्रथम उपाधि से विभूषित किया गया।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के माध्यम से संस्कृति को पुर्नस्थापित करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि हिन्दी खत्म होगी तो संस्कृति खत्म होगी। संस्कृति खत्म होगी तो देश नहीं बचेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने दीक्षांत भाषण दिया। श्री पवैया ने कहा कि आगामी सत्र से सभी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह भारतीय परिधान में होंगे। उन्होंने आज का समारोह भारतीय परिधान में करवाने पर कुलपति की सराहना की। श्री पवैया ने कहा कि नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में जोड़ा जायेगा। उन्होंने शिक्षा और विद्या में फर्क बताया। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि बगैर आत्म-विश्वास के आगे नहीं बढ़ सकते। विद्यार्थी सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े। उन्होंने बताया कि सांसद के रूप में चिली में मैंने हिन्दी में भाषण दिया था।
विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मोहनलाल छीपा ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा को छोड़कर सभी पाठ्यक्रम हिन्दी में पढ़ाये जा रहे हैं। पाठ्यक्रम स्व-रोजगार आधारित हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को दीक्षा दिलायी।
स्वामी गोविन्द देव गिरि ने कहा कि विश्व को ज्ञान का प्रकाश भारत ने दिया है। उन्होंने कहा कि देश को राजनैतिक स्वतंत्रता तो मिली लेकिन दिमागी स्वतंत्रता नहीं मिली। श्री गिरि ने कहा कि इस क्षेत्र में पहला प्रयास मध्यप्रदेश में किया गया है। इस दौरान शिक्षाविद्, शिक्षक, अभिभावक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।