सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले में बुधवार को बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि भाजपा के बड़े नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित कई नेताओं पर आपराधिक साजिश का मामला चलाया जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में चल रहे दो अलग-अलग केस को एक साथ मिला दिया जाए और रायबरेली में चल रहा मामला लखनऊ में ही चलेगा। बताया जा रहा है कि आडवाणी सहित 12 नेताओं पर चलेगा केस, जिसमें से तीन के खिलाफ आपराधिक साजिश का केस चलेगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चूंकि कल्याण सिंह फिलहाल राज्यपाल के संवैधानिक पद पर हैं, इसलिए उनपर मुकदमा नहीं चलेगा।
यह फैसला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब जल्द ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाला है और इस पद के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का नाम प्रमुखता से ऊपर आ रहा था। जानते हैं इस फैसले का इन नेताओं पर क्या असर पड़ेगा।
कल्याण सिंह
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान के गवर्नर हैं। इसके साथ ही उन्हें हिमाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। राज्यपाल के पद पर होने के कारण उन पर मुकदमा नहीं चल सकता। ऐसे में उन पर नैतिक दबाव बनाया जा सकता है कि वह इस्तीफा दें और केस का सामना करें।
मुरली मनोहर जोशी
कानपुर से सासंद चुने गए मुरली मनोहर जोशी का नाम राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार के तौर पर आगे चल रहा है। वह भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। मगर, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब विपक्ष उन पर नैतिक दबाव बन सकता है कि वह पद छोड़कर केस का सामना करें। इससे उनके राष्ट्रपति बनने की मंशा पर पानी फिर सकता है।
लाल कृष्ण आडवाणी
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पथ प्रदर्शक रहे लाल कृष्ण आडवाणी भी राष्ट्रपति पद के दूसरे संभावित उम्मीदवार हैं। विपक्ष सरकार पर दबाव बना सकती है कि उनकी सांसद सदस्यता रद्द की जाए। राष्ट्रपति पद की इस मंशा पर भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला पानी फेर सकता है।
उमा भारती
सांसद उमा भारती पर आपराधिक साजिश का केस चलाने और धाराएं जोड़ने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विपक्ष सरकार पर दवाब बना सकता है कि उमा भारती को कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ने के लिए कहा जाए।