महिलाओं व बच्चों के हक में मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश महिलाओं और नौनिहालों के कल्याण एवं उन्हें और अधिक मजबूती देने वाला राज्य बन चुका है। अनेक ऐसी अनूठी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं जो न सिर्फ सीधे-सीधे तौर पर महिलाओं का हित साध रही हैं बल्कि उनके पक्ष में मध्यप्रदेश में एक नया वातावरण भी बन रहा है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के दृढ़ संकल्प को फलीभूत और मातृ शक्ति को उसके महत्व के अनरूप आकार देने की तैयारी राज्य सरकार ने की हुई है। म.प्र. सरकार ने महिलाओं के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर हुई महिला पंचायत में आम राय से तय हुई अनूठी योजनाओं को मूर्तरूप दिया गया है। कुल मिलाकर अब मध्यप्रदेश महिला अत्याचार के लिये नहीं बल्कि महिला कल्याण के लिये जाना जाता है। महिलाओं के विकास से जुड़ा मुद्दा अब सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। सरकार इस बात के लिये पूर्ण रूप से संकल्पित है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चों का जीवनस्तर न सिर्फ सुधरे बल्कि उन्हें आगे बढ़ने का निरंतर मौका भी मिले। मातृशक्ति को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की पूरी-पूरी तैयारी शिवराज सरकार ने की हुई है।समेकित बाल विकास परियोजनाएंआंगनवाड़ी केन्द्रमिनी आंगनवाड़ी केन्द्रलाभान्वित हितग्राही45378,92912,07087,00,000(लगभग)नारी शक्ति और बच्चों के विकास के प्रति मध्यप्रदेश सरकार का सोच एवं चिंतन सबसे आगे है। वर्ष 2009-10 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट प्रावधान 1655.18 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर वर्ष 2010-11 का बजट प्रावधान 1717.79 करोड़ रुपये किया गया है। इस वर्ष समेकित बाल विकास सेवा हेतु 444.64 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र पर गठित सहयोगिनी मातृ समिति से 9.45 लाख महिलाएं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई हैं। पूरक पोषण आहार व्यवस्था हेतु इस वर्ष 701.98 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इस व्यवस्था के तहत बच्चों को लोकल फूड मॉडल के आधार पर सुबह का नाश्ता एवं दोपहर का भोजन पृथक-पृथक मीनू अनुसार दिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में साझा चूल्हा के माध्यम से स्वादिष्ट व्यंजन पूरक पोषण आहार के रूप में बच्चों को मिल रहा है। गंभीर कुपोषित बच्चों को तीसरा मील भी दिया जा रहा है। पूरक पोषण आहार की दर में इस साल से हुई वृद्धि के फलस्वरूप 6 वर्ष तक के बच्चों के लिये 4 रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन, गंभीर कुपोषित बच्चों के लिये 6 रुपये एवं गर्भवती/धात्री माता एवं किशोरी बालिकाओं के लिये 5 रुपये प्रति हितग्राही पोषण आहार दिया जा रहा है। दर वृद्धि के उपरांत 6 माह से तीन वर्ष तक के बच्चों तथा गर्भवती/धात्री माताओं को टेकहोम राशन भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही नाश्ता एवं खाने के मीनू में प्रोटीन एवं कैलोरी की दर भी बढ़ाई गई है।मंगल दिवसप्रथम मंगलवार -द्वितीय मंगलवार -तृतीय मंगलवार -चतुर्थ मंगलवार -गोदभराईअन्नप्राशनजन्मदिवसकिशोरी बालिका दिवसप्रदेश सरकार ने गंभीर कुपोषित बच्चों के इलाज के लिये पोषण पुनर्वास केन्द्र की व्यवस्था की है। बाद में ऐसे बच्चों का इलाज अस्पतालों में विशेष देखरेख में कराया जाता है। सरकार के सार्थक प्रयासों का परिणाम है कि महिला एवं बाल विकास विभाग अब पिंजीरी और दलिया विभाग की छवि से मुक्त हो चुका है। पंजीरी वितरण को बंद कर उसके स्थान पर स्वादिष्ट पौष्टिक आहार के रूप में खिचड़ी, लाप्सी आदि बच्चों को उपलब्ध कराई जा रही है।मौजूदा वर्ष में आंगनवाड़ी केन्द्रों में होने वाले मंगल दिवस, गोदभराई, अन्नप्राशन, जन्मदिवस, किशोरी बालिका दिवस कार्यक्रमों पर इस वर्ष 19.13 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बन चुकी लाड़ली लक्ष्मी योजना में अब तक पांच लाख बाईस हजार बालिकाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। सरकार ने इसकी लोकप्रियता को देखते हुए अगले बजट में इसके लिये 302.97 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है, जबकि वर्ष 2009-10 में इस योजना के लिये 276 करोड़ का प्रावधान था। लाड़ली लक्ष्मी योजना को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की भी सरकार की तैयारी है। उषा किरण योजना में इस साल 3.10 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। उषा किरण योजना के तहत 453 बाल विकास परियोजनाओं में 453 संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति की जा चुकी है। मार्च 2008 से प्रारंभ हुई इस योजना के तहत अब तक 6,313 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिनमें से 4,069 शिकायतों का निराकरण हो गया है। 167 महिलाओं को आश्रयगृह की सेवाएं उपलब्ध कराई गई है। इस योजना से प्रदेश के 47 जिलों में पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र को पंजीकृत किया गया है, शेष तीनों जिलों को नजदीक के जिलों से जोड़ा गया है।मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं और बच्चों के विकास के लिये अनेक ऐसे कार्य किये हैं, जिनकी सराहना राष्ट्रीय स्तर पर भी हुई है। लाड़ली लक्ष्मी योजना, आंगनवाड़ियों में मंगल दिवसों का आयोजन, उषा किरण योजना की प्रशंसा भारत सरकार सहित अन्य प्रदेशों द्वारा भी की गई तथा उनके द्वारा भी इन्हें अपनाया गया है। समेकित बाल विकास सेवा योजना और आंगनवाड़ियों का विस्तार गांव-गांव तक हुआ। इससे न सिर्फ हजारों महिलाओं को रोजगार के अवसर मिले बल्कि बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण में भी सुधार हुआ है। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती रंजना बघेल का महिला और मां होने के नाते एक अलग ही दृष्टिकोण है। वे महिलाओं और बच्चों से जुड़े हर कार्यक्रम को पूरी ईमानदारी, निष्ठा और तत्परता से क्रियान्वित कराती हैं। नियमित मानीटरिंग के साथ ही हर जिले, अधिकारी और मैदानी अमले से उनका सीधा सम्पर्क होता है। समय-समय पर आंगनवाड़ियों के किये गये निरीक्षण से भी सेवाओं में गुणात्मक सुधार परिलक्षित हुआ है।सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों की वृद्धि की निगारानी हेतु नवीन डब्ल्यु.एच.ओ. ग्रोथ स्टेंडर्ड लागू किये गये हैं, जिनमें आयु अनुसार वजन का निर्धारण किया जाता है। आंगनवाड़ी केन्द्रों की पूरक पोषण आहार व्यवस्था हेतु वर्ष 2009-10 में जहां 740.49 करोड़ का प्रावधान था वहीं इस साल 701.98 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। शहरी क्षेत्र की बाल विकास परियोजनाओं में 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को स्व-सहायता समूह, महिला मण्डल, मातृ सहयोगिनी समिति के द्वारा लोकल फूड माडल के आधार पर सुबह का एवं दोपहर का भोजन पृथक-पृथक मीनू अनुसार पूरक पोषण आहार के रूप में दिये जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के बच्चों को साझा चूल्हा के माध्यम से नाश्ता एवं दोपहर का भोजन पूरक पोषण आहार के रूप में प्रदाय किये जा रहे हैं। इसी योजनान्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों की सेवाओं में सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक आंगनवाड़ी केन्द्र पर 12 सदस्यीय सहयोगिनी मातृ समिति गठित की गई है। जिससे लगभग 9 लाख 45 हजार महिलाएं आंगनवाड़ी केन्द्रों के संचालन से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई हैं।मंगल दिवसों के आयेजन में हितग्राहियों में आंगनवाड़ी केन्द्रों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इस योजना हेतु वर्ष 2009-10 में जहां 14.22 करोड़ का प्रावधान था, वहीं इस साल 19.13 करोड़ की राशि रखी गई है। बच्चों की प्रतिभा के विकास के लिये संचालित जवाहर बाल भवन में चित्रकला, हस्तकला, संगीत, नृत्य, नाटक, खेलकूद, मूर्तिकला, कम्प्यूटर, एयरो माडलिंग, विज्ञान आदि गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। राष्ट्रीय बालश्री सम्मान के लिये चार बच्चों का एक साथ चयन होना प्रदेश के लिये गौरवपूर्ण उपलब्धि है। भोपाल एवं अन्य संभागीय भवनों में लगभग 5 हजार बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल रहा है। मध्यप्रदेश महिला वित्त एवं विकास निगम की तेजस्विनी योजना के तहत 11 हजार 724 महिला स्व-सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। जिनमें एक लाख 47 हजार 356 महिलाओं को शामिल किया गया है। महिलाओं से संबंधित कानूनों की जानकारी, लिंग अनुपात में कमी, बाल विवाह, दहेज प्रथा, दैनिक स्वच्छता की जानकारी हेतु जागृति शिविर आयोजित किये जा रहे हैं।महिलाओं एवं बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु जिलों में शासकीय रहवासी संस्थाएं भी संचालित की जा रही हैं। इनमें गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं और बच्चों के लिये 19 सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र, 6 सह संस्कार केन्द्र एवं झूलाघर हैं। वैश्यावृत्ति उन्मूलन हेतु संचालित जाबाली योजना में बच्चों के लिये आश्रम शाला, महिलाओं के लिये आर्थिक कार्यक्रम, स्वास्थ्य जांच उपचार तथा जनचेतना और प्रचार-प्रसार संबंधी गतिविधियां शामिल हैं। महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों, हिंसा, उत्पीड़न की शिकायतों के निराकरण तथा निर्धन महिलाओं को विधि परामर्श की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये महिला आयोग सक्रियतापूर्वक कार्य कर रहा है। आयोग द्वारा वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा है। आयोग द्वारा प्रत्येक जिले में बैंच का आयोजन किया जाता है, जिससे पीड़ित महिला को शिकायत करने और सुनवाई के लिये भोपाल न आना पड़े। राज्य सरकार ने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये सजग प्रहरी, मुखर प्रवक्ता के रूप में उनके संवैधानिक हितों को सुरक्षित करने हेतु बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना की है। प्रदेश के 14 जिलों में कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को दूर करने और जन-सामान्य में इस बुराई के प्रति जन-जागरूकता लाने के लिये लाड़ली रथ चलाये गये तथा नुक्कड़ नाटकों का प्रदर्शन किया गया।महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिये जुटे इस विभाग की विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिये एम.आई.एस. सिस्टम को व्यवस्थित किये जाने की भी योजना है। जिसमें योजनाओं की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त हो सकेगी तथा उसका मूल्यांकन एवं विश्लेषण का कार्य भी हो सकेगा। विभाग ने अपने अमले में वृद्धि करते हुए 520 संविदा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की कार्यवाही की गई है। विभागीय मंत्री श्रीमती रंजना बघेल द्वारा ली गई रुचि के फलस्वरूप जिला संवर्ग स्तर पर पदोन्नति एवं क्रमोन्नति, समयमान वेतनमान की कार्यवाही भी पूर्ण की गई। शासन, संचालनालय स्तर पर राज्य संवर्ग के लंबित पदोन्नति, क्रमोन्नति आदि के प्रकरणों का निराकरण भी किया गया है।