बुरकापाल हमले के बाद नक्सलियों को उनकी मांद में घेरने की तैयारी के साथ फोर्स जंगलों में निकल चुकी है। नक्सलियों की तलाश में चिंतागुफा, बुरकापाल और चिंतलनार कैंपों से जवान शनिवार शाम से जंगल में घुसे हैं। सड़क पर जवानों की मौजूदगी नहीं दिख रही। आसपास के गांवों में भी हलचल नहीं है। फोर्स के इस अभियान को गोपनीय रखा गया है। सीआरपीएफ ने कहा है कि हम ऐसे अभियानों की जानकारी साझा नहीं कर सकते।
आंतरिक सुरक्षा सलाहकार विजय कुमार ने शनिवार को सुकमा में अफसरों की बैठक लेकर रणनीति तैयार की। तय किया गया कि फिलहाल फोर्स रोड ओपनिंग का काम नहीं करेगी। नक्सलियों पर सीधे अटैक की कार्रवाई होगी। इसके तुरंत बाद शाम को ही फोर्स को जंगलों में उतार दिया गया।
दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर पड़ने वाले कैंपों से सीआरपीएफ की अलग-अलग टुकड़ियों को चारों दिशाओं में रवाना किया गया है। रविवार शाम तक फोर्स जंगल से नहीं लौटी थी। 15 दिन तक जवान जंगलों की खाक छानेंगे।
दंतेवाड़ा जिले में बैलाडीला के पहाड़ पर नक्सल नेताओं के जमावड़े की सूचना पर किरंदुल से फोर्स रवाना की गई। दंतेवाड़ा और सुकमा को जोड़ने वाले कटेकल्याण के गाटम कैंप से डीआरजी और जिला पुलिस के दस्ते जंगल भेजे गए हैं। अरनपुर से भी जगरगुंडा की ओर एक दल रवाना किया गया है।
बीजापुर में गंगालूर से डीआरजी के जवानों ने शनिवार रातभर जंगलों में जगह-जगह छापा मारा। सुबह यह दल वापस लौट आया है। बासागुड़ा की तरफ से भी जवानों को रवाना किया गया है।
डीआईजी सीआरपीएफ डीपी उपाध्याय ने बताया दंतेवाड़ा में पुलिस का बहुत दबाव है। बैलाडीला पहाड़ पर नक्सलियों के होने की संभावना कम है। फोर्स ऑपरेशन में निकली है या नहीं, ऐसी जानकारियां हम साझा नहीं करते।