मध्यप्रदेश में 24 मरे ,फसलें बर्बाद ,मिले विशेष पैकेज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हाल ही में हुई ओलावृष्टि से प्रदेश में 6 लाख 36 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें और 6 लाख 20 किसान प्रभावित हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा में 24 लोगों की मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि वे आगामी 21 मार्च को प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री और गृह मंत्री से मिलकर प्रदेश के किसानों का पक्ष रखेंगें। केन्द्र शासन से संकट की इस घड़ी में किसानों का सहयोग करने और महाराष्ट्र की तरह विशेष पैकेज देने की मांग करेंगे।मुख्यमंत्री चौहान ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि मध्यप्रदेश इस वर्ष भयानक प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुआ है। प्रदेश में तीन दौर में ओलावृष्टि हो चुकी है। पहले दो दौर में भी 08 लोगों की मृत्यु हुई थी। इस तरह प्राकृतिक आपदा में कुल 32 लोगों की जान गई है और 240 पालतू पशु मरे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे कल से ओला प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। प्रदेश सरकार प्राकृतिक आपदा की इस घड़ी में किसानों के साथ है तथा उन्हें राहत पहुंचाने का हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश सरकार ने लगान की वसूली और कृषि ऋण वसूली स्थगित कर दी है। कृषि ऋण मध्यावधि ऋण में परिवर्तन किया जायेगा, साथ ही कृषि ऋण पर तीन वर्ष का ब्याज राज्य सरकार भरेगी। अगली खरीफ के लिये खाद-बीज की व्यवस्था की जायेगी। जहां पानी की उपलब्धता है वहां किसान गर्मी में एक फसल लें सकें उसके लिये आवश्यक प्रबंध किये जायेंगे। बिजली के बिलों पर सरचार्ज माफ किया जायेगा, मूल बिल का आधा राज्य सरकार भरेगी तथा शेष आधे को किसान दस किश्त में भर सकेगा।मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि केन्द्र सरकार 25 से 50 प्रतिशत के नुकसान को फसल हानि नहीं मानती है, पर यह नुकसान भी किसानों के लिये भारी होता है। प्रदेश सरकार 25 से 50 से प्रतिशत के नुकसान के लिये भी किसानों को राहत राशि देगी। प्रदेश सरकार ने 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान को शत-प्रतिशत नुकसान मानकर राहत राशि देना शुरू कर दिया है। केन्द्र सरकार गेहूँ पर 8 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर राहत राशि देती है, प्रदेश सरकार गेहूँ पर 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर राहत राशि देगी। उन्होंने कहा कि ओलावृष्टि से धनियां, अजवाइन, जीरा, राई की फसलों में भी काफी नुकसान हुआ है। इनको भी चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया गया है। केन्द्र सरकार से फसल हानि राहत देने के मापदंड बदलने का आग्रह किया जायेगा। आगामी 20 मार्च तक नुकसान के आंकलन का कार्य पूरा हो जायेगा।