मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है नर्मदा सेवा यात्रा अब एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है। नर्मदा सेवा जीवन का मिशन है। यह राजनैतिक कर्मकांड नहीं है। उन्होंने कहा कि नदियों, पर्यावरण और जल को बचाना सरकार और हर नागरिक का कर्तव्य है। इस काम में सरकार और समाज दोनों को साथ-साथ चलना होगा।
श्री चौहान ने कहा कि अगले साल से सभी नदियों को बचाने का अभियान चलेगा। यदि समाज नदियों के संरक्षण में जुट गया तो उत्कृष्ट परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अब सोने का नहीं जागने का समय है। यदि नदियों को बचाने की आत्म प्रेरणा उत्पन्न हो जाये तो लक्ष्य पूरा होने में समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि जो देश पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं उनकी आलोचना करने के बजाए अपना नागरिक धर्म निभाने पर ध्यान देना ज्यादा उपयुक्त है।
वे आज यहां प्रशासनिक अकादमी में नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण मंथन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस मंथन का आयोजन पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन और जनअभियान परिषद द्वारा आयोजित किया गया था। इस मंथन में जल संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र में वन मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार, अपर मुख्य सचिव वन श्री दीपक खांडेकर, नर्मदा मर्मज्ञ श्री अमृतलाल बेगड़ एवं नदी संरक्षण विशेषज्ञ उपस्थित थे।
नर्मदा सेवा मिशन के अंतर्गत भविष्य की कार्य योजना की रूपरेखा बताते हुये श्री चौहान ने कहा कि अमरकंटक में 15 मई को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों इसका विमोचन होगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा मैया शाश्वत है। उन्हें नुकसान पहुंचाने वालों को दंड मिलेगा। नर्मदा जी को जीवंत अस्तित्व माना गया है। नर्मदा माँ के जीवन के लिये हरियाली बढ़ाने, प्रदूषण रोकने के सभी कार्य किये जायेंगे। दो जुलाई को दोनों तटों पर वृहद वृक्षारोपण होगा। नर्मदा की क्षीण होती धारा को समृद्ध किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अब समाज ने स्वीकार कर लिया है कि जीवन देने वाली नारी का जीवन बचाना जरूरी है। प्राकृतिक संसाधनों का अन्यायपूर्वक दोहन ठीक नहीं है। राज और समाज दोनों को साथ-साथ काम करना पड़ेगा।
हर छोटी नदी को जीवंत बनाने का अभियान चले
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि मध्यप्रदेश पूरे देश में नदी एवं जल संरक्षण का उदाहरण प्रस्तुत करेगा। उन्होंने कहा कि यदि पहाड़ों, जंगल, पर्यावरण को नहीं बचायेंगे तो नर्मदा नदी क्रिकेट का मैदान बन जायेगी। उन्होंने कहा कि नर्मदा के अलावा जीवन में कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि हर छोटी नदी को जीवंत बनाने का अभियान चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो नदी प्यास बुझाती है वही गंगा है। गांवों के समीप बहने वाली नदियों, गांवों के तालाबों, पोखरो को बचाने की जरूरत है। नर्मदा नदी के कछार क्षेत्र को समृद्ध बनाने की जरूरत है। समाज बिना सरकारी सहयोग के भी यह काम आत्मप्रेरणा से कर सकता है। करीब एक लाख किलोमीटर कैचमेंट एरिया में जल स्त्रोतों को जीवन देने का काम आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि नदियों और जल स्त्रोतों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये प्राकृतिक खेती पर भी ध्यान देना होगा। यदि स्वास्थ्य बचाना है तो रसायन मुक्त खेती जरूरी है।
नीर, नारी और नदी का सम्मान किया मुख्यमंत्री ने
जल पुरुष और मैगासेसे आवार्ड सम्मानित श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नदियों को बचाने के काम से राज, समाज और संतों जोड़कर उल्लेखनीय काम किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने नदी और पर्यावरण संरक्षण के वे सब काम अपने हाथ में ले लिये हैं जो संतों द्वारा किये जाते हैं। उन्होंने इसके लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान और उनके मंत्रीमंडलीय सहयोगियों और अधिकारियों को बधाई दी। श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के माध्यम से न सिर्फ नर्मदा बल्कि अन्य नदियों के संरक्षण के प्रति भी समाज को जागृत किया है। उन्होंने कहा कि जब नीर, नारी और नदी का सम्मान होगा तभी नदियो का भी सम्मान होगा। उन्होंने कहा कि नदियों ने राजनीति को दिशा दी। पहले नदियां मैला साफ करने वाली थीं आज मैला ढ़ोने वाली मालगाड़ी बन गई। नदियों को आजादी चाहिए। उन्हें स्वतंत्र विचरण चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने नीर-नदी और नारी के सम्मान को समाज में पुन: स्थापित किया है। इस काम से पूरे समाज को जोड़ा है। उन्होंने नर्मदा को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है।
श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नर्मदा के साथ-साथ सहायक नदियों को भी संरक्षण की भी जरूरत है। सभी सहायक नदियों को जीवन देने की आवश्यकता है और इस काम में हृदय से जुड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने व्यवहार से सभी को नर्मदा भक्त बना दिया है।
सिने अभिनेता जैकी श्राफ सिने अभिनेता जैकी श्राफ ने कहा कि भविष्य की पीढ़ी को देखते हुये अभी से जल चिंता करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भूमि जल का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है। मिट्टी को नुकसान हो रहा है। सबको यह सोचने की आवश्यकता है कि हम भविष्य के लिये कैसा पर्यावरण छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को विशेष अवसरों पर पौधा रोपण आवश्यक करना चाहिए और यही संस्कार बच्चों को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शालाओं और महाविद्यालयों में भी यही शिक्षा देनी चाहिए और पर्यावरण चेतना संपन्न नहीं पीढ़ी का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नदियों का बचाना है यह कहने की नहीं समझने की बात है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान की पहल की सराहना की।
मुख्य सचिव ने नर्मदा सेवा यात्रा और नर्मदा सेवा मिशन की पृष्ठ भूमि रुपरेखा पर प्रस्तुतिकरण देते हुए बताया कि अब अन्य जिलों में बहने वाली नदियों को बचाने के लिये भी स्थानीय स्तर पर अभियान चलने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 78 हजार नर्मदा सेवकों का पंजीयन हो चुका है। 148 दिन की नर्मदा सेवा यात्रा में 1846 उप यात्राएं शामिल हुई । उन्होंने बताया कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिये टेण्डर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विश्व बैंक से इस काम के लिये लोन लेने की भी तैयारी हो चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ने् नर्मदा एवं सहायक नदियों का संरक्षण की चुनौतियां एवं समाधान, नर्मदा सेवा मिशन की कार्य योजना, नर्मदा पर निर्भर अर्थतंत्र और नर्मदा सेवा मिशन के संस्थागत स्वरूप पर विभिन्न समूहों की चर्चा में भाग लिया।