नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा है। यह भारतीय उप महाद्वीप की पाँचवीं सबसे बड़ी नदी होने के साथ ही भारत की सात पवित्र नदियों में से एक है। मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी 16 जिले और 51 विकासखण्ड से होती हुई 1077 किलोमीटर का मार्ग तय करती है। राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देशन में प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये \'नर्मदा सेवा मिशन\' गठित किया है।
उद्देश्य-मिशन वृक्षारोपण के जरिये नदी तटीय क्षेत्र का संरक्षण, उन्नत स्वच्छता, तरल एवं ठोस अपशिष्ट और सामुदायिक एवं व्यक्तिगत स्वच्छता प्रबंधन, जल-संरक्षण एवं नदी कछार क्षेत्र विकास, प्रदूषण नियंत्रण एवं प्रबंधन, जैविक खेती और गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिस को प्रोत्साहन, संवेदनशील एवं स्वच्छ कृषि का विकास, नर्मदा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन को आजीविका से जोड़ना, नदी संसाधनों का यथोचित उपयोग, नदी क्षेत्र में स्वस्थ पारिस्थितिकीय तंत्र का विकास, नर्मदा नदी के संरक्षण- संवर्धन के लिये समाज का क्षमता वर्धन एवं सहभागिता सुनिश्चित करना और नर्मदा तटीय क्षेत्र में नशामुक्त समाज के निर्माण जैसे कार्य करेगा।
राज्य क्रियान्वयन समिति-नर्मदा सेवा मिशन के संचालक अपर मुख्य सचिव योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी होंगे। संचालक की अध्यक्षता में स्तरीय क्रियान्वयन समिति मिशन कार्य की सतत मॉनिटरिंग करेगी। मिशन समन्वयक प्रमुख सलाहकार अथवा सलाहकार, राज्य योजना आयोग होंगे।
समिति के सदस्यों में वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नर्मदा घाटी विकास और ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, जल संसाधन, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण, पर्यावरण, पर्यटन, नगरीय विकास तथा आवास, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य-विकास, पशुपालन, ग्रामोद्योग, राजस्व, खनिज, संस्कृति, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार और सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव, कार्यपालक निदेशक जन अभियान परिषद, मुख्यमंत्री द्वारा नामांकित पाँच विषय-विशेषज्ञ एवं नर्मदा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन में कार्यरत स्वयंसेवी/ समाज सेवी संगठनों के पाँच प्रतिनिधि इस समिति के सदस्य होंगे।
21 विभाग के जरिये होगी उद्देश्य की पूर्ति-मिशन इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु नर्मदा तटीय क्षेत्र में 20 विभागों द्वारा संचालित कार्यों का मूल्यांकन एवं समन्वय करने के कार्य करेगा। मिशन नर्मदा तटीय क्षेत्र में वानस्पतिक आच्छादन एवं वन क्षेत्र बढ़ाने के लिये निजी एवं शासकीय भूमि में वृक्षारोपण, नर्मदा तटीय क्षेत्र में मनुष्य की स्वच्छ जीवन शैली जैसे - खुले में शौच से मुक्ति आदि की दिशा में, कृषि की आधुनिक पद्धतियों से नदी एवं पर्यावरण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर वैकल्पिक कृषि जैसे जैविक खेती को प्रोत्साहन आदि पर कार्य करेगा। साथ ही प्रदूषण के कारकों की पहचान कर उनके निवारण, नर्मदा के संरक्षण एवं संवर्धन में आजीविका सुनिश्चित करते हुए समाज की सहभागिता बढ़ाने की दिशा में, संरक्षण एवं संवर्धन हेतु नवीनतम तकनीकों का विकास, अनुसंधान एवं अंगीकरण, \'नमामि देवि नर्मदे\' - सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा की गई घोषणाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का कार्य भी मिशन करेगा।
मिशन नर्मदा नदी के अस्तित्व की चुनौतियों को कम करने की दिशा में सतत् प्रयास, नदी के संरक्षण, वानस्पतिक एवं जल-संरक्षण की प्राचीन पारम्परिक पद्धति का संकलन एवं दस्तावेजीकरण, नर्मदा कछार में जैव विविधता के संरक्षण के लिये शासनाधीन संस्थानों द्वारा किये जा रहे कार्यों को गति देने, प्रदेश में वर्तमान में नर्मदा सेवा के लिये कार्यरत स्वैच्छिक एवं सामाजिक संगठनों की शासन के साथ सहभागिता सुनिश्चित करना, समाज के समस्त वर्गों को नदी के संरक्षण के प्रति साक्षर करने के लिये नर्मदा सेवा केन्द्रों अथवा ज्ञान केन्द्रों की स्थापना एवं संचालन और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को नर्मदा संरक्षण के कार्यों से जोड़ने का कार्य करेगा।
मिशन द्वारा नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्र में धार्मिक परिवेश की पवित्रता अक्षुण्ण बनी रहने, नर्मदा के संरक्षण में शासन के साथ समाज की सहभागिता सुनिश्चित करने, नदी के संरक्षण के लिये अनुदान राशि स्वीकार करने एवं नर्मदा संरक्षण के लिये वर्तमान तक पंजीकृत महोत्सवों जैसे वन एवं नदी महोत्सव आदि के आयोजन के लिये संबंधित विभागों एवं संस्थाओं से समन्वय, नर्मदा तटीय क्षेत्र में स्वच्छ पारिस्थितिकीय तंत्र विकसित करने और ऐसे सभी कार्य अथवा ऐसे कृत्य जो मिशन के लक्ष्य एवं उद्देश्य की प्राप्ति के लिये आवश्यक हों, किये जायेंगे।
विभागीय गतिविधियों का कियान्वयन एवं समन्वय
वन विभाग को गर्मियों में जंगल में सूखे पत्तों के कारण आग लगने की घटनाओं पर नियंत्रण के लिये कार्य योजना तैयार कर क्रियान्वयन करना, वन क्षेत्र में जल संग्रहण हेतु उपयुक्त स्थानों का चिन्हांकन कर लघु एवं बड़ी संरचनाओं और वन क्षेत्र में उपयुक्त स्थानों का चिन्हांकन कर वनों के विकास एवं वन्य-प्राणियों हेतु लघु एवं बड़ी संरचनाओं के निर्माण का दायित्व रहेगा। वन उपयोग हेतु अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त इंदौर में एक टिश्यू कल्चर लैब का योजनाबद्ध तरीके से विस्तार भी विभाग करेगा।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग- इस विभाग के दायित्वों में नर्मदा के किनारे स्थित ग्रामों को खुले में शौच जाने से मुक्त करवाना, मनरेगा में वृक्षारोपण, ग्राम पंचायतों में Biodegradable and non- biodegradable कचरा प्रबंधन यूनिट की स्थापना, नर्मदा एवं नर्मदा की सहायक नदियों के संरक्षण के लिये ग्राम पंचायतों की भूमिका का निर्धारण करवाना शामिल किया गया है। साथ ही सभी धर्मों के त्यौहारों पर मूर्तियों एवं ताजिये आदि के विसर्जन के लिये पृथक से कुण्ड एवं स्थान तैयार करवाना, नर्मदा में मिलने वाले नाले एवं कचरों के बिन्दुओं की पहचान कर, उन्हें रोकने का कार्य, नर्मदा तटीय स्थलों पर शवों का जलदाग के स्थान पर अग्निदाग के लिये मुक्तिधाम की स्थापना और नर्मदा तट पर निर्मित घाटों पर महिलाओं के लिये वस्त्र बदलने हेतु पृथक चेंजिंग रूम के साथ सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाना भी विभाग के कार्यों में शामिल किया गया है
जिला क्रियान्वयन समिति -नर्मदा सेवा मिशन के क्रियान्वयन के लिये जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति भी गठित की गई है। समिति में जिला कलेक्टर जिला मिशन अध्यक्ष होंगे। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, जिला वन मण्डलाधिकारी, उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास, उप/सहायक संचालक उद्यानिकी, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, उप संचालक पशुपालन, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन, उप/सहायक संचालक मत्स्य विभाग, जिला खनिज अधिकारी, जिले की समस्त स्थानीय निकायों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, डिवीजनल इंजीनियर ऊर्जा विभाग, उप संचालक कुटीर एवं ग्रामोद्योग, जिला समन्वयक जन अभियान परिषद, जिला योजना अधिकारी आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग और जिला कलेक्टर द्वारा नर्मदा नदी के संरक्षण एवं संवर्धन में कार्यरत स्वयंसेवी/समाजसेवी संगठनों के पाँच प्रतिनिधि सदस्य होंगे।
कृषि विकास तथा किसान कल्याण विभाग- विभाग के कार्यों में जैविक कृषि के प्रमाणीकरण के लिये कृषकों का पंजीयन करवाना (प्रतिवर्ष प्रत्येक ग्राम पंचायत में 50 एकड़ भूमि), कृषि से निकलने वाले कचरे से खाद बनाने की तकनीकी जानकारी देना एवं प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक यूनिट स्थापित करवाना, नरवाई न जलाने के लिये जन-जागरूकता एवं प्रतिबंध, किसानों को कृषि वानिकी में प्रशिक्षित करवाना तथा कृषि वानिकी की दृष्टि से उपयोगी पौधे वन विभाग से प्राप्त कर इच्छुक कृषकों को उपलब्ध करवाना शामिल किया गया है। इसी तरह जल एवं मृदा प्रबंधन की तकनीकी जानकारी का कृषकों के मध्य प्रचार-प्रसार, विविध खेती को प्रोत्साहित करने के लिये किसानों को प्रशिक्षित करना तथा विविध खेती के सफल मॉडल प्रदेश में प्रत्येक ब्लॉक में स्थापित करना, खाना बनाने के लिये लकड़ी का उपयोग करने के लिये प्रत्येक ग्राम पंचायत में 200 गोबर गैस एवं बायोगैस संयंत्रों की स्थापना, नर्मदा केचमेंट एरिया से संबंधित समस्त खेतों में मेढ़ बंधान, जैविक कृषिगत उत्पादों के विक्रय के लिये संबंधित क्षेत्रों की मंडियों में पृथक से विपणन व्यवस्था और मृदा प्रबंधन संबंधी कार्य भी विभाग करेगा।
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य-विकास विभाग -विभाग के कार्यों में मछली पालन नीति 2008 के अनुसार नदियों में विष, डायनामाईट, विद्युत प्रभाव से मत्स्याखेट के विरूद्ध दण्ड का प्रावधान, मध्यप्रदेश मत्स्य उद्योग पुनरीक्षित अधिनियम 1981 में निहित प्रावधानों का कड़ाई से पालन, मैदानी अधिकारियों को मत्स्य-पालन एवं मत्स्याखेट करने वालों को इस अधिनियम के पालन के लिये निर्देशित करवाना, मछुआरों को भी नदी एवं जल संरक्षण के संबंध में प्रशिक्षित कर उन्हें इस संबंध में जिम्मेदारी दी जाना और मत्स्य-पालन नीति अनुसार नदियों में प्राकृतिक मत्सिकी के संरक्षण एवं अभिवृद्धि के लिये सुझाव दिये जाना शामिल किया गया है।
नर्मदा घाटी विकास विभाग -इस विभाग के नर्मदा तटों पर बड़े घाटों का निर्माण एवं मरम्मत करवाना, नर्मदा केचमेंट एरिया में सघन सर्वे के बाद बड़े स्तर पर तालाबों का निर्माण, निर्माणाधीन बाँधों के कारण नदी का पारिस्थितिकीय बहाव बाधित न हो, यह सुनिश्चित करना इस विभाग का मुख्य कार्य होगा। नर्मदा केचमेंट एरिया में सघन सर्वे केचमेंट एवं नदी जोड़ों क्षेत्र में तालाबों और नर्मदा किनारे रैन बसेरों का निर्माण भी विभाग को सौंपा गया है।
नगरीय विकास विभाग -इस विभाग के कार्यों में नगरीय क्षेत्रों में नर्मदा के घाटों पर कचरा पेटी की स्थापना, मृत पशुओं के वैज्ञानिक निष्पादन हेतु इकाइयों की स्थापना, घाटों पर कपड़े, वाहन, पशुओं के नहलाने एवं स्नान में साबुन डिटर्जेंट के उपयोग को प्रतिबंधित कर मॉनिटरिंग की व्यवस्था, Solid waste इकाइयों और घाटों पर सार्वजनिक शौचालयों की स्थापना करवाना शामिल है। इसी तरह नर्मदा घाटों का सौंदर्यीकरण, सभी धर्मों के त्यौहारों पर मूर्तियों एवं ताजिये आदि के विसर्जन के लिये पृथक से कुण्ड एव स्थान तैयार करवाना, नर्मदा में गंदे नालों को मिलने से रोकना, नर्मदा तटीय स्थलों पर शव को नर्मदा में जलदाग के स्थान पर अग्निदाग कर सकें इसके लिये मुक्तिधाम स्थापित करवाना और शहरी/ नगरीय क्षेत्र के लिये नर्मदा तट पर महिलाओं एवं पुरुषों के लिये पृथक-पृथक वस्त्र बदलने के लिये चेंजिंग रूम के साथ सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाना भी विभाग का दायित्व होगा।
पशुपालन विभाग -यह विभाग पशुओं को जंगल में चरने के लिये खुला छोड़ने की प्रथा रोकने के लिये कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वयन करवायेगा। चारे की खेती के लिये कृषकों को प्रशिक्षित कर प्रोत्साहित करना, प्रत्येक विकासखण्ड में एक-एक पशु चारे की नर्सरी स्थापित कर नर्मदा क्षेत्र में चारा उपलब्ध करवाना और शुष्क पशुओं की ड्राय डेयरी यूनिट्स की स्थापना कर लोगों को यह संदेश भी विभाग देगा कि दुधारू पशुओं के समान ही शुष्क पशु भी उपयोगी हैं।
ग्रामोद्योग विभाग -विभाग को पेड़ों के पत्तों से दोने एवं पत्तलें बनाने की इकाइयों और मिट्टी से कुल्हड़ एवं प्लेट बनाने की आधुनिक छोटी-छोटी इकाइयों की स्थापना, मिट्टी से मूर्तियाँ बनाने का प्रशिक्षण करवाना और रेशम कीट पालन से कृषकों को जोड़ने का, कार्य दिया गया है।
राजस्व विभाग -इस विभाग को नर्मदा एवं सहायक नदियों की सीमाओं का सीमांकन करवाकर अतिक्रमण हटाने और ग्रामीण / शहरी / नगरीय नर्मदा के घाटों की साफ-सफाई करवाने का दायित्व दिया गया है।
खनिज विभाग -विभाग नदी जल की शुद्धता एवं नदी के संरक्षण के लिये रेत के महत्व के संबंध में इस व्यवसाय में लगे लोगों को जागरूक करने और अवैध उत्खनन को पूरी तरह नियंत्रित करने का कार्य करेगा।
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग -विभाग उद्यानिकी अपनाने के लिये लोगों से वचन-पत्र भरवाना, एम.पी. एग्रो के जरिये गोबर एवं बायोगैस संयंत्र निर्माण का अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षण देने एवं गोबर तथा बायोगैस प्लांट्स के निर्माण का कार्य करेगा। फलों, फूलों एवं सब्जियों की खेती के लिये लोगों को प्रशिक्षित कर उनके प्र-संस्करण की इकाइयों की स्थापना के लिये वातावरण निर्माण, नर्मदा नदी के दोनों तटों से एक किलोमीटर की दूरी में आगामी तीन वर्षों में 45 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फल पौधों का रोपण, फल-फूल-सब्जी-औषधीय एवं सुगंधित फसलों के बीज एवं पौधे कृषकों को उपलब्ध करवाने के लिये ब्लॉक स्तर पर एक नर्सरी की स्थापना और कृषि फसल की प्रतिस्थापना के एवज में कृषकों को तीन वर्षों तक आर्थिक सहायता देने का कार्य भी विभाग करेगा। विभाग मनरेगा से राशि उपलब्ध करवाने और रख-रखाव सहित पाँच वर्षों तक फल-पौध रोपण योजना भी संचालित करेगा।
पर्यावरण विभाग -राज्य सरकार ने पॉलिथिन एवं स्टाईरो फोम को प्रतिबंधित किया है। अत: यह विभाग पोलिथीन उपयोग के संबंध में अधिनियमों/ नियमों का नर्मदा तटीय क्षेत्रों में पालन, उद्योगों से निकलने वाले अवशिष्टों का अनिवार्यत: उपचार एवं सुरक्षित निपटारा, जल, नदी एवं वन्य-प्राणियों के संरक्षण अधिनियमों के संबंध में आमजनों को प्रशिक्षित, उद्योगों/ कारखानों का बहाव एवं नालों के माध्यम से ग्रामों एवं शहरों के कचरे के नदी में मिलने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों के संबंध में जागरूकता एवं स्थायी प्रचार-प्रसार की व्यवस्था करेगा। नर्मदा तथा सहायक नदी क्षेत्रों में संचालित उद्योगों से निकलने वाले औद्योगिक अवशिष्ट/ कचरे का उपचार के बाद सुरक्षित निष्पादन भी विभाग करेगा।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग -सोलर एनर्जी के उपयोग के लिये जागरूकता फैलाना, नर्मदा नदी के किनारे सिंचाई के उद्देश्य से सोलर पम्प की और शहर, कस्बों एवं गाँवों में सौर ऊर्जा की रूफटॉफ परियोजनाओं की स्थापना, किनारे स्थित धर्मशालाओं आदि में सौर गर्म जल संयंत्रों, नदी के किनारे ऊर्जा दक्ष एल.ई.डी. बल्ब एवं अन्य ऊर्जा दक्ष संयंत्रों, बायोमॉस ऊर्जा संयंत्रों और नर्मदा तट स्थित शहरों में शहरी अपशिष्ट इत्यादि पर आधारित ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करवाने का कार्य यह विभाग करेगा।
पर्यटन विभाग -नर्मदा किनारे विभाग के होटल्स से निकलने वाले कचरे का वैज्ञानिक निष्पादन, पर्यटन हेतु सौर ऊर्जा नावों के उपयोग और नर्मदा किनारे कुछ ग्रामों/घाटों को चिन्हित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करवाने का कार्य करेगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग -इस विभाग का दायित्व सभी तरह के गचरे के निष्पादन हेतु छोटी-छोटी वैज्ञानिक तकनीकी को उपलब्ध कराने, नदी विज्ञान की नवीन विधा का विकास कर अनुसंधान, नव ज्ञान, सृजन, नव साहित्य सृजन और नदी स्वास्थ्य संकेतक प्रारूप विकसित कर दीर्घ काल में नदी स्वास्थ्य सुनिश्चित करवाना होगा।
सामाजिक न्याय विभाग नर्मदा तटीय क्षेत्रों में समाज को नशामुक्त बनाने की दिशा में कार्य करेगा।
संस्कृति विभाग -संत और समाज के बीच समन्वय एवं संवाद की स्थापना, सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन, नर्मदा घाटी सभ्यता एवं संस्कृति के पुरातात्विक पहलुओं का अन्वेषण, नर्मदा के किनारे प्रागैतिहासिक गुफाओं का उन्नयन और नर्मदा के किनारे वाले मेलों को सहायता देने का कार्य विभाग करेगा।
उद्योग विभाग -विभाग नर्मदा तथा सहायक नदी क्षेत्रों में संचालित उद्योगों से निकलने वाले औद्योगिक अवशिष्ट/कचरे का उपचार के बाद सुरक्षित निष्पादन सुनिश्चित करेगा।
योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग -चौपालों आदि का आयोजन कर जन्म एवं मृत्य प्रमाण-पत्र बाँट कर स्मृति में वृक्षारोपण हों इस दिशा में स्थानीय निकायों को प्रशिक्षित एवं निर्देशित करेगा। नर्मदा किनारे स्थित ग्राम पंचायतों की निर्माणाधीन विकेन्द्रीकृत योजना में ग्राम पंचायतों की भागीदारी, मिशन के अंतर्गत विभिन्न विभागों की गतिविधियों का आम जन के बीच व्यापक प्रचार-प्रसार, नर्मदा संरक्षण एवं संवर्धन में कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों को मिशन से जोड़ने एवं प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक नर्मदा सेवा समिति के गठन की दिशा में भी विभाग कार्य करेगा। नर्मदा नदी के संरक्षण के प्रति आमजन को साक्षर बनाने के लिये विकासखण्ड स्तर पर नर्मदा साक्षरता अथवा नर्मदा ज्ञान केन्द्रों की स्थापना भी यह विभाग करेगा।
जल संसाधन विभाग-विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि नर्मदा पर स्थित एवं निर्माणाधीन बाँधों से नदी का पारिस्थितिकीय बहाव (Ecological Flow) बाधित न हो।
ऊर्जा विभाग-इस विभाग का दायित्व नर्मदा तटीय स्थानों पर विद्युत प्रदाय के लिये आवश्यकतानुसार अधोसंरचना विद्युत नियामक आयोग के प्रावधानों के अंतर्गत विकसित करना होगा।