पुलिस ने कहा- पोड़ियाम पंडा ने सरेंडर किया
पोड़ियाम पंडा

 

सुकमा जिले के चिंतागुफा के पूर्व सरपंच तथा सीपीआई के जिला परिषद के सदस्य पोड़ियाम पंडा को सुकमा पुलिस ने 15 दिन से अवैध हिरासत में रखा है। बस्तर संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि पंडा को पुलिस ने गांव से उठाया और परिजनों को कई दिनों तक इसकी सूचना नहीं दी।

पंडा की पत्नी जब हाईकोर्ट पहुंची तो पुलिस ने आनन- फानन में उसे समर्पित नक्सली बता दिया। इधर सुकमा एसपी का कहना है पंडा नक्सली है। वह बुरकापाल, ताड़मेटला सहित कई बड़ी नक्सल वारदातों में शामिल रहा है। हम तो यह पता कर रहे हैं कि सीपीआई के कितने नेता हैं जो नक्सलियों की तरफ से हथियार उठा चुके हैं।

बस्तर संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बुधवार को आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक संकेत ठाकुर, सीपीएम के संजय पराते, सीपीआई नेता चितरंजन बख्शी और आरडीसीपी राव, पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.लाखन सिंह तथा हाईकोर्ट की वकील प्रियंका शुक्ला ने मीडिया के सामने पंडा की पत्नी पोड़ियम मुये तथा उसके भाई कोमल को पेश किया।

मुये ने गोंडी में बताया कि पंडा 15 साल तक चिंतागुफा के सरपंच रहे। वे पुलिस की भी मदद करते थे। गांव में हेलिपैड बनाने, सीआरपीएफ का कैंप खुलवाने सहित कई काम कराए। 2005 में नक्सलियों ने 7 सीआरपीएफ जवानों का अपहरण किया था तो पंडा छुड़ाने गए थे।

कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन के अपहरण के समय भी सरकार की मदद दी। 2016 में नक्सली पंडा को उठाकर जनअदालत ले गए थे और उनसे काफी मारपीट की। मुये का कहना है 3 मई को वह मिनपा के पास खेत में मछली पकड़ने गया था। तभी पुलिस ने उसे पकड़ लिया और मौके पर ही जमकर मारपीट की। फिर उसे उठाकर ले गए।

एसपी अभिषेक मीणा ने  कहा कि पंडा कई नक्सल वारदातों में शामिल रहा। उसने मीडिया के सामने कबूल किया है। वह पिछले साल भी सरेंडर करना चाहता था लेकिन नक्सलियों का भनक लग गई और उसके पीछे गार्ड लगा दिए। उसने 9 मई को सरेंडर किया था लेकिन हमने मामले को गोपनीय रखा। बुधवार को सरेंडर घोषित किया है। उसे सरेंडर पॉलिसी के तहत सभी मदद मिलेगी।