किसान आंदोलन की राजनीति का असर
kisan andolan

 

 

मध्यप्रदेश में किसानो के आंदोलन के उग्र रूप लेने से शिवराज सिंह को सियासी दांव खेलना पड़ रहे हैं। पहले जहाँ शिवराज सरकार के पास किसानों की समस्याएं सुनने का वक्त नहीं था अब वही सरकार  22 जिलों में  समर्थन मूल्य पर प्याज की खरीदी करेगी। इसके लिए सरकार ने राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) को जिम्मा सौंपा है। वहीं, गर्मी की मूंग खरीदने के लिए कृषि विभाग ने केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है।

खरीदी नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नाफेड) या भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) कर सकता है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बैंक से कर्ज लेने वाले वाले किसानों के लिए ऐच्छिक बनाने केंद्र से सहमति लेनी पड़ सकती है।

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई उच्च स्तरीय बैठक में मूंग समर्थन मूल्य पर खरीदने को लेकर बात हुई। अधिकारियों ने कहा कि गर्मी की मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र घोषित नहीं करता है। इसे खरीफ की मूंग के लिए तय 5 हजार 225 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदना होगा।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि अपने स्तर से तैयारी कर ली जाए। प्याज की खरीदी के साथ इसके भंडारण का इंतजाम किया जाए। दरअसल, पिछले साल भी सरकार ने छह रुपए किलोग्राम के हिसाब से 10 लाख क्विंटल प्याज खरीदी थी। भंडारण का पुख्ता इंतजाम न होने से अधिकांश सड़ गई थी, जिसे फेंकना पड़ा था।

सहकारी बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र की है, इसलिए इसमें बदलाव करने से पहले उसकी सहमति लेनी पड़ सकती है। योजना में अभी बैंक से फसल के लिए कर्ज लेने वाले किसानों का बीमा करना अनिवार्य है। इसके पीछे मंशा कर्ज को सुरक्षित करना है। यही वजह है कि जब भी फसल बीमा की राशि किसानों को मिलती है तो सबसे पहले बैंक इससे अपना कर्ज वसूल करता है। ऐच्छिक करने पर बैंक के पास कर्ज की वापसी का एक विकल्प छिन जाएगा।

प्याज की खरीदी भोपाल सहित 22 जिलों में की जाएगी। इनमें सीहोर, विदिशा, रायसेन, राजगढ़, हरदा, इंदौर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, उज्जैन, देवास, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर-मालवा, सागर, शिवपुरी, झाबुआ और टीकमगढ़ शामिल हैं।