पिथौरा में विगत पांच साल से सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा झेल रहे आदिवासियों ने अनुसूचित जनजाति आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए न्याय की गुहार लगाई है। साथ ही उन्होंने पुलिस थाना तुमगांव, पुलिस अधीक्षक महासमुंद में भी आवेदन देकर उचित कार्रवाई की मांग की है।
मामला सिरपुर क्षेत्र के ग्राम सुकुलबाय एवं मरौद का है। यहां के आदिवासी समाज के बसंत पिता पलटन गोंड़ (सुकुलबाय), मंशाराम पिता बिसौहा गोंड़, मिलन पिता आनंद गोंड़ व लखेश्वर पिता हुमन गोंड़ (सभी ग्राम मरौद) ने आवेदन में बताया है कि बिना किसी ठोस कारण से करीब पांच वर्षों पूर्व समाज व गांव से बहिष्कृत कर दिए जाने एवं हुक्का-पानी बंद कर देने से परिवार का जीना दूभर हो गया है, जिसके चलते अब पीड़ित परिवारों से समाज का कोई भी व्यक्ति रोटी-बेटी का लेन-देन नहीं कर रहे हैं।
फलस्वरूप परिवार की जवान बेटी-बेटों का विवाह नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं परिवार के किसी शोक कार्यों में भी गांव व समाज की भागीदारी नहीं हो पा रही है। इस वजह से सभी पीड़ित मानसिक प्रताड़ना के साथ भयभीत हैं। इस मामले को सुलझाने की दिशा में सामाजिक संगठन भी कमजोर दिखाई दे रही है, जिसके कारण सभी पीड़ितों ने थक हार कर अब शासन-प्रशासन के पास अपनी फरयाद की है।
पीड़ितों के मुताबिक आज से लगभग पांच वर्षों पूर्व सिरपुर क्षेत्र में स्थित आदिवासी समाज के प्रसिद्ध देव स्थल सिंघाध्रुवा से बोरिद निवासी एक व्यक्ति अचानक लापता हो गया। जिसका आज तक पता नहीं चल सका है। उक्त गुम इंसान के लापता होने का ठीकरा पीड़िता परिवारों पर फोड़ा गया और यहां के करीब आठ परिवारों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सामाजिक एवं ग्राम स्तर पर दंडित करते हुए सामाजिक बहिष्कार के अलावा हुक्का पानी बंद करने का फरमान सुनाया।
तब से अब तक पीड़ित आठ परिवारों में से बोरिद के तुलसीराम ध्रुव एवं बिसाहू ध्रुव, पासिद के प्रदीप ध्रुव, चुहरी के बिसहत ध्रुव को बाद में समाज में शामिल कर लिया गया। लेकिन इन पीड़ित परिवारों को आज तक न तो समाज में शामिल किया गया और न ही ग्रामवासियों ने उन्हें ग्राम में जीने का हक दिया, जिसके चलते अब सभी पीड़ित परिवार बहिष्कार की जिंदगी जीने मजबूर है। बहरहाल, सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा झेल रहे पीड़ित चारों व्यक्तियों ने पुलिस थाना तुमगांव, पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर महासमुंद के अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग को पत्र प्रेषित कर न्याय की फरियाद की है।
विश्राम ध्रुव, अध्यक्ष ध्रुव गोंड़ समाज सिरपुर राज ने कहा मामला बहुत पुराना है। पूर्व के पदाधिकारियों द्वारा लिए गए इस निर्णय के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। सामाजिक एकता स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।