छत्तीसगढ़ में किसानों के चक्काजाम को भारतीय किसान संघ समर्थन नहीं देगा। रायपुर में किसान संघ के प्रभाकर केलकर ने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि हिंसा से निकले आंदोलन को संघ का समर्थन नहीं है। प्रदेशभर के किसान 16 जून को चक्काजाम कर रहे हैं। किसानों के इस आंदोलन को कांग्रेस, जोगी कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन है।
भारतीय किसान संघ ने सरकार का पक्ष लेते हुए समर्थन नहीं देने का निर्णय लिया है। केलकर ने बताया कि किसानों को धान को लागत मूल्य पर खरीदी की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें किसानों के सभी उत्पाद की खरीदी लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य पर करने की मांग की गई है।
केलकर ने भाजपा सरकार से चुनाव घोषणापत्र में धान का समर्थन मूल्य 2100 स्र्पए और 300 स्र्पए बोनस का वादा पूरा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सभी कृषि उत्पाद की समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था वर्षभर हो। कृषि मंडियों में किसानों के फसल विक्रय के पश्चात 24 घंटे के अंदर बैंक के माध्यम से भुगतान हो। कृषि सिंचाई पंपों पर बिजली बिल 50 स्र्पए फ्लैट किया जाए। कृषि भूमि के विवाद को निपटारे के लिए कृषि न्यायालय बनाया जाए। पारिवारिक बंटवारे और कृषि भूमि का आपसी अदला-बदली पर स्टांप और पंजीयन शुल्क न लिया जाए। रसायन मुक्त खेती के लिए गोपालन एवं पशुपालन नीति बनाकर गोचर भूमि का संरक्षण, संवर्धन कर सस्ता चारा उपलब्ध कराया जाए। किसानों के लिए कृषक बीमा, कृषक भविष्य निधि एवं कृषक पेंशन योजना लागू किया जाए।
केलकर ने मध्यप्रदेश में हिंसा के दौरान मारे गए किसानों को सरकार की तरफ से एक करोड़ स्र्पए मुआवजा देने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में अराजक स्थिति पैदा होगी। आंदोलनों में मुआवजा का लालच देकर किसानों की हत्या भी शुरू हो जाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि किसानों की आकस्मिक मृत्यु पर उनके परिवार को दस लाख स्र्पए की सहायता राशि प्रदान की जाए।