निजी क्षेत्र में सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष होगी
सभी निर्माण श्रमिकों का पंजीयन किया जाय मध्यप्रदेश के निजी क्षेत्रों में सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की जायेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिये हैं कि मजदूरों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय। श्रम कानूनों को सरलीकृत कर निवेशक मित्र बनाया जाय। मजदूरों के पंजीयन का संख्यात्मक लक्ष्य निर्धारित करने के बजाय शत-प्रतिशत पंजीयन का लक्ष्य बनाया जाय।श्रम विभाग बैठक में बताया गया कि 100 दिवसीय कार्य-योजना में मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना तथा श्रम कल्याण निधि के अंतर्गत सभी संस्थानों को ऑनलाइन आवेदन करने तथा इलेक्ट्रॉनिक फार्म संधारण की अनुमति दी गई है। लायसेंस जारी करने और नवीनीकरण को लोक सेवा अधिनियम के दायरे में लाया गया है। प्रदेश के सभी जिलों में श्रम कल्याण केन्द्र प्रारंभ किये गये हैं। ठेका श्रमिकों को चेक से भुगतान मिलने लगा है। निर्माण श्रमिकों के लिये ग्रामीण क्षेत्र में एक लाख 20 हजार और शहरी क्षेत्रों में साढ़े तीन से पाँच लाख रुपये लागत की आवासीय योजना प्रारंभ की गई है। वस्त्र और आई.टी. में महिलाओं को रात्रि पाली में कार्य करने की छूट देने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।बैठक में उप कर संग्रह का लक्ष्य 200 करोड़ से बढ़ाकर 300 करोड़ किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भवन निर्माण से प्राप्त होने वाले उप कर निर्धारण में किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिये मेकेनिज्म बनाया जाय। श्रम अधिकारियों के रिक्त पद भरने की कार्रवाई की जाय।मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा मजदूर महा-पंचायत में की गई घोषणा के अनुसार भोपाल शहर के पास कान्हासैया ग्राम में निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिये 100 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक शिक्षा सुविधाओं से युक्त आवासीय एजुकेशन सिटी बनायी जायेगी। इसके लिये 36 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। श्री चौहान ने कहा कि इस विद्यालय की रूपरेखा पर व्यापक चर्चा हुई है। मजदूरों के मेधावी बच्चों को उत्कृष्ट शिक्षा देकर डाक्टर, इंजीनियर सहित तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के योग्य बनाने की यह महत्वाकांक्षी परियोजना समय-सीमा निर्धारित कर पूर्ण की जाय। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले कारीगर-शिल्पियों के लिये शहरी क्षेत्र में आश्रय गृह बनाने की घोषणा पर अमल के निर्देश दिये। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव श्रम एम.के. वार्ष्णेय और श्रम आयुक्त के.सी. गुप्ता उपस्थित थे।