जगदलपुर में बीमार होने के कारण अनसर पर गए भगवान जगन्नाथ को प्रतिदिन पांच औषधियों का मिश्रण मुक्ति मंडप में दिया जा रहा है। वहीं भगवान को दवा तीखी न लगे इसलिए काजू किसमिस भी मिलाया जा रहा है। पिछले नौ दिनों से दवा ले रहे भगवान के लिए मंदिर के पुजारी अभी छह दिन और दवा कूटेंगे।
बस्तर में गोंचा महापर्व की रस्में गत नौ जून से जारी है। चंदन यात्रा के बाद इस पर्व की दूसरी रस्म भगवान का 15 दिनों के लिए अनसर पर जाना होता है। इस रस्म को भगवान का बीमार होना कहा है। भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ प्रतिमाओं को मुक्ति मंडप में रखा जाता है। स्थानीय जगन्नाथ मंदिर के मुक्ति मंडप में इन देवताओं की 21 प्रतिमाओं को रखा गया है।
जगन्नाथ मंदिर बड़े गुड़ी के पुजारी भूपेन्द्र जोशी ने बताया कि बीमार भगवान के लिए प्रतिदिन कुंठी आदा (सोंठ), भुईलिंम (चिरायता), कालीमिर्च, पिपली और अजवाईन को कूट कर दवा तैयार की जाती है। पांच औषधियों का यह मिश्रण काफी तीखा होता है, दवा भगवान को तीखी न लगे इसलिए भावनात्मक रूप इसमें काजू किसमिस भी कूट कर मिलाया जाता है।
अनसर के दौरान भगवान की सेवा करने वाले कुरंदी के बृजलाल विश्वकर्मा की उपस्थिति में पिछले नौ दिनों से भगवान को यह दवा अर्पित की जा रही है। अगले छह दिनों तक यह प्रक्रिया और चलेगी। आगामी 24 जून को नेत्रोत्सव के दिन भगवान को स्वस्थ माना जाएगा वहीं 25 जून को बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथारूढ़ होकर नगर भ्रमण करेंगे। तत्पश्चात सात दिनों तक जनकपुरी में रहने के बाद तीन जुलाई की शाम मंदिर लौटेंगे।