धान के सिलसिले में शिवराज ने लिखा पासवान को खत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर भारतीय खाद्य निगम के सरप्लस धान को राज्य उपार्जन एजेंसियों से सीधे प्राप्त कर अपने स्तर से मिलिंग करवाये जाने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि 2 वर्ष पहले तक मध्यप्रदेश में धान का अधिक मात्रा में उपार्जन नहीं होता था। इस वजह से मिलिंग के बाद प्राप्त होने वाले चावल का उपयोग राज्य में ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हो जाता था। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में हुए सुधार के कारण धान के उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इस वृद्धि से प्रदेश में होने वाला धान उपार्जन हमारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता से अधिक है। इस कारण सरप्लस धान भारतीय खाद्य निगम को प्रदाय किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अपने पत्र में कहा है कि पिछले वर्ष भारतीय खाद्य निगम को धान प्रदाय करने में प्रदेश की एजेंसियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। निगम ने 'एफ.ए.क्यू.'' के न्यूनतम मापदण्ड से बाहर जाकर चावल के लाट रिजेक्ट किये, चावल की गुणवत्ता के परीक्षण में एक-तरफा निर्णय लिये। प्रदेश के कुछ स्थानों पर चावल जमा करने के डेढ़ से दो माह बाद पुन: गुणवत्ता के नाम पर उसे निरस्त किया है। निगम की इस प्रकार की गतिविधियों से प्रदेश में एक नकारात्मक माहौल पैदा हुआ है, जिससे मिलर्स उपार्जित धान की मिलिंग नहीं करना चाहते हैं। इन्हीं कारणों से प्रदेश में धान की मिलिंग में काफी कठिनाई आ रही है।
मुख्यमंत्री चौहान ने पत्र के माध्यम से सुझाव दिया है कि भारतीय खाद्य निगम के लिये चावल परिदान प्राप्ति के लिये लक्ष्य निर्धारित किया जाये। मुख्यमंत्री ने चावल के गुणवत्ता परीक्षण के लिये राज्य की उपार्जन एजेंसी के साथ संयुक्त परीक्षण की प्रक्रिया निर्धारित किये जाने का भी अनुरोध किया है।