राष्ट्रपति चुनाव को लेकर केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने दलित कार्ड खेलते हुए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया है। रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संवाददाता सम्मेलन में की। उन्होंने कहा कि रामनाथ कोविंद दलित व पिछड़े वर्गों के लिए हमेशा से ही संघर्ष करते रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने बताया कि सभी सहयोगी दलों व विपक्षी दलों के नेताओं को इस बारे में जानकारी दे दी गई है। साथ ही पीएम मोदी ने सोनिया गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी बात की है और सोनिया गांधी जी ने कहा है कि वे बातचीत करने के बाद आगे के फैसले के बारे में बताएंगी।
इसके पहले बैठक में राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार पर फैसला तो नहीं हुआ था लेकिन तय हुआ था कि नाम पर अंतिम मुहर पीएम मोदी और अमित शाह ही लगाएंगे।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए रामनाथ कोविंद का नाम सार्वजनिक किए जाने के बाद सभी तरफ से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के महासचिव नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कोविंद अजातशत्रु हैं और इनके नाम को कोई भी इन्कार नहीं कर सकता। उनकी छवि निर्विवाद रही है।
वहीं बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी ने कहा कि इस पद के लिए रामनाथ कोविंद सबसे अच्छा चुनाव हैं। राजनीतिक स्तर पर भी यह चयन बिल्कुल सही है। वो एक उदारवादी नेता हैं और संविधान के अच्छे जानकार हैं। इस पद के लिए वो बिल्कुल सही व्यक्ति हैं।
राम नाथ कोविन्द का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले (वर्तमान में कानपुर देहात जिला ) की तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में हुआ था। कोविंद का संबंद कोरी या कोली जाति से है, जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। वकालत की उपाधि लेने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। आठ अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर नियुक्ति हुई।
वर्ष 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। साल 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। इस प्रकार कोविन्द लगातार 12 साल तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।