आरटीआई के दुरूपयोग की छूट किसी को नहीं
सूचना आयुक्त ने चारों अपीलें की खारिज, अपीलार्थी को राहत नहींसूचना के अधिकार का उपयोग प्रभावी रूप से किया जाना चाहिए न कि दुष्प्रभावी उपकरण के रूप में। सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देष्य लोकधन से संचालित सरकारी-गैरसरकारी निकायों के कामकाज में पारदर्षिता व शुचिता लाना, अनियमितताओं की रोकथाम करना तथा शासन-प्रषासन में जनता के प्रति जवाबदेही बढाना है। नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस उद्देष्य की पूर्ति में सहायक बनें और इस कानून को शासन या उसके माध्यमों को अकारण परेषान करने का जरिया न बनाएं। यह टिप्पणी करते हुए राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने शुक्रवार को अपीलार्थी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, जिला शिवपुरी आरके मेवाफरोस (वर्तमान में जिला दतिया में पदस्थ) की चार अपीलें खारिज कर दीं। अपीलार्थी ने स्वयं एवं अपने वरिष्ठ अधिकारी के विरूद्ध विभाग को प्राप्त शिकायतों तथा उन पर की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी थी। आयोग के समक्ष सुनवाई में प्रस्तुत दस्तावेजों से जाहिर हुआ कि अपीलार्थी का सेवा रिकार्ड बहुत खराब रहा है। उन पर कृषि आदान सामग्री की राषि भी बकाया है, जो नोटिस देने के बावजूद जमा नहीं कराई गई है। उनके विरूद्ध अनेक षिकायतें प्राप्त हुईं, जिनके आधार पर जांच व कार्यवाही की गई है। अपीलार्थी के विरूद्ध वेतनवृद्धि रोकने, बिना सूचना ड्यूटी पर अनुपस्थित रहने की अवधि का वेतन काटने, वेतन भुगतान रोकने का नोटिस देने तथा निलंबित करने की कार्रवाई की जा चुकी है। इसके प्रतिकार स्वरूप अपीलार्थी मेवाफरोस ने विभागीय अधिकारियों को परेषान करने एवं विभागीय कामकाज को प्रभावित करने की गरज से विभिन्न आवेदन लगाकर सूचना के अधिकार का बेजा इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। प्रथम अपीलीय अधिकारी व उप संचालक कृषि जिला षिवपुरी एसकेएस कुषवाह, एसडीओ एमसी श्रीवास्तव एवं लोक सूचना अधिकारी व वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एनपी अवस्थी ने इस संबंध में आयोग के समक्ष कई दस्तावेज पेष किए। उनसे जाहिर हुआ कि अपीलार्थी के आवेदनों एवं अपीलों का लोक क्रियाकलाप अथवा लोकहित से कोई संबंध नहीं है, अपितु अपीलार्थी की भूमिका कानून की मंषा के विपरीत रही है। सूचना आयुक्त आत्मदीप ने फैसले में कहा कि अपीलार्थी की सभी अपीलें स्वीकार किए जाने योग्य नहीं हैं। सूचना के अधिकार का बदनीयती से उपयोग करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती है। आरटीआई एक्ट की मूलभावना एवं उद्देष्य को विफल होने से बचाने के लिए इस कानून का दुरूपयोग करने का प्रयास करने वालों पर अंकुष लगाना आवष्यक व न्यायसंगत है।