मानसून में विलम्ब, केबिनेट की आपात बैठक
मानसून में विलम्ब, केबिनेट की आपात बैठक
नकली खाद-बीज बेचने वालों को सीधे जेलमानसून आने में विलम्ब होने से मध्यप्रदेश में बन रही परिस्थितियों पर विचार करने के लिये भोपाल में मंत्रालय में कृषि केबिनेट की आपात बैठक में किसानों के लिये आकस्मिक योजनाओं को अंतिम रूप दिया गया।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसी भी प्रकार की विषम परिस्थिति से निपटने के लिये हर स्तर पर तैयारी रहें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को आकस्मिक योजना बनाने के निर्देश दिये। उल्लेखनीय है कि अलनीनो के प्रभाव से आये जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की स्थिति बिगड़ गयी है। प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से अत्यंत कम और कुछ जिलों में नहीं के बराबर बारिश हुई है। मानसून में विलम्ब की स्थिति पर पूरे देश में चिंता व्यक्त की जा रही है।श्री चौहान ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मानसून बिगड़ने के कारण बनी स्थितियों से चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार के पास विस्तृत और प्रभावी आपात कार्ययोजना है।मुख्यमंत्री ने नकली खाद-बीज बेचने वालों के संबंध में सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि केवल एफआईआर दर्ज करना काफी नहीं होगा। किसानों के साथ धोखा करने वाले विक्रताओं को सीधे जेल में डाला जाये। बैठक में बताया गया कि अमानक बीज बेचने वाले सत्रह विक्रेताओं को पकड़ा गया हैमुख्यमंत्री ने 15 जुलाई के पहले मानसून आने और 15 जुलाई के बाद मानसून आने की दोनों स्थितियों के लिये अलग-अलग आकस्मिक योजनाएँ तैयार रखने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रदेश के जलाशयों में सिंचाई के पानी की उपलब्धता, बीज एवं खाद की उपलब्धता और खेतों की मिट्टी के प्रकार के आधार पर वैकल्पिक फसलों की बोनी की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मानसून विलम्ब से आने पर बोनी प्रभावित होने की स्थिति में किसानों को परामर्श देने का अभियान चलायें कि जल्दी उगने वाली कौन-सी फसलें और कौन*सी किस्में बोना उचित रहेगा। किसानों को सूचना देने और शिक्षित करने की भी योजना बनायें। उन्होंने जिलेवार खाद-बीज की उपलब्धता और जल उपलब्धता का आंकलन करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में संकट के समय उगाई जाने वाली फसलों के बीज की उपलब्धता पर ध्यान दें। जरूरत पड़ने पर राज्य एवं जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित करने को कहा गया।बैठक में निर्णय लिया गया कि बोई गयी फसलों को सूखने से बचाने के लिये सिंचाई जलाशयों का आवश्यकतानुसार पानी छोड़ा जायेगा। जलाशयों में केवल आपात स्थिति के लिये पानी बचाया जायेगा। सिंचाई के लिये किसानों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध करवायी जायेगी। प्रदेश में पहली बार खरीफ में 5 हजार हेक्टेयर में प्याज की फसल ली जायेगी। कम समय में आने वाली फसल बोने के लिये किसानों को प्रोत्साहित किया जायेगा।बैठक में बताया गया कि अलनीनो के प्रभाव से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन हुआ है और इससे खेती प्रभावित हुई है। प्रदेश में खरीफ फसलों की बोनी 130.20 लाख हेक्टेयर में हुई है जिसमें धान, मक्का और सोयाबीन प्रमुख हैं। यह भी बताया गया कि नेशनल सीड्स कार्पोरेशन और बीज निर्माण सहकारी समितियों और बीज निगम में बीजों की पर्याप्त मात्रा है। आकस्मिक योजना में 15 जुलाई तक मानसून आने की स्थिति में बाजरा, ज्वार, मक्का, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, सोयाबीन, धान की जल्दी पकने वाली किस्में उगाने की सलाह दी जायेगी और 15 जुलाई के बाद मानसून आने पर अरण्डी, उड़द, तिल की बोनी की तैयारी की जायेगी। पहली बार प्रदेश में उद्यानिकी क्षेत्र में मौसम आधारित योजना लागू की जा रही है। इसमें केला, संतरा, लहसुन, प्याज, धनिया और हरी मिर्च, आलू, टमाटर, बेंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी और मिर्च को भी शामिल किया जा रहा है। बैठक में मंत्रीगण, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।