छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लॉक के इंदागांव के आदिवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गांव में 30 बिस्तर अस्पताल खुलवाने की गुजारिश की है।
अति पिछड़े संरक्षित कमार भुंजिया जनजाति के ग्रामीणों ने लिखा है-\'साहब, अधिकारी यहां डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, अवेकनिंग इंडिया की बात करने आते हैं, आदमी जिंदा रहे, उसकी बात नहीं करते।\" पीएमओ ने इस सिलसिले में राज्य सरकार को कार्रवाई करने को कहा है।
गरियाबंद कलेक्टर श्रुति सिंह ने बताया कि मामले की पड़ताल की जा रही है। जरूरी हुआ तो अस्पताल का प्रस्ताव भेजा जाएगा।
मैनपुर ब्लॉक का अधिकांश हिस्सा घने जंगलों, पहाड़ों, नदी-नालों से घिरा है। इंदागांव क्षेत्र में संरक्षित कमार भुंजिया आदिवासियों के कई गांव हैं। इलाके में इनकी जनसंख्या 15 से 20 हजार तक है।
4 हजार की आबादी वाले इंदागांव में पुलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, बाजार, हायर सेकंडरी स्कूल समेत सारी सुविधाएं हैं। इंदागांव छत्तीसगढ़ सरकार के संसदीय सचिव तथा बिंद्रानवागढ़ के विधायक गोवर्धन मांझी का गृहग्राम भी है।
मांझी ने नईदुनिया से कहा-हमने गांव में अस्पताल खोलने के लिए कई बार सरकार से मांग की। पहले मैनपुर से मेडिकल टीम वहां जाकर कैंप लगाती थी, अब वह भी बंद है। इंदागांव से मैनपुर की दूरी 40 किमी है। दूसरा अस्पताल बोहरापदर में है, लेकिन वह भी 19 किमी दूर है।
रात में प्रसव आदि के प्रकरण आने पर ग्रामीणों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इलाके में 20 किमी के दायरे में संरक्षित जनजाति के 10-12 गांव हैं। सबको यही समस्या है। मांझी ने कहा कि अस्पताल खोलने का प्रस्ताव फिर से भेजूंगा।
इंदागांव, सरनबहाल, तौरेंगा, मदनगुमड़ा आदि गांवों में बसे कमार भुंजिया आदिवासियों ने इससे पहले अस्पताल की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा था। इंदागांव की सरपंच बेलमति और अन्य ग्रामीणों ने लिखा है- गरीब आदिवासियों को 40-60 किमी दूर अस्पताल जाने में बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। चिकित्सा सुविधा न होने से मलेरिया जैसी बीमारियों से भी आदिवासियों की मौत हो जाती है।
कलेक्टर गरियाबंद श्रुति सिंह का कहना है पीएचसी, सीएचसी का परीक्षण करा रहे हैं। जरूरी हुआ तो इंदागांव में अस्पताल खोलने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे।