छत्तीसगढ़ में गरियाबंद के सुपेबेड़ा गांव में लगातार हो रही मौतों की वजह से रहस्य उठ गया है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) जबलपुर ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को प्राथमिक रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें फ्लोराइड को सबसे बड़ा कारण बताया है। आईसीएमआर के डायरेक्टर तापश चकमा पिछले महीने अपनी दो सदस्यीय टीम के साथ सुपेबेड़ा पहुंचे थे, जहां से टीम ने पानी के सैंपल लिए थे।
आईसीएमआर ने यह भी कहा है कि सुपेबेड़ा से 40 किमी के दायरे में आने वाले सभी गांव का जल्द से जल्द सर्वे करवाएं, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने मिट्टी जांच (स्वाइल टेस्ट) रिपोर्ट भी भेज दी है, जिसमें केडमियम, क्रोमियम, आर्सेनिक जैसे हेवी मेटल पाए गए हैं। फ्लोराइड, केडमियम, आर्सेनिक और क्रोमियम सीधे किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने सुपेबेड़ा में बीते 7 साल में 32 मौतों की पुष्टि की है, जबकि अभी भी 30 से अधिक व्यक्तियों की जांच में क्रेटिनम बढ़ा हुआ पाया गया है। डॉ. अंबेडकर अस्पताल की नेफ्रोलॉजी टीम मरीजों का इलाज कर रही है, अस्पताल के 2 पीजी डॉक्टर और तकनीशियन गरियाबंद में तैनात किए गए हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तक लगातार रिपोर्ट भेजी गई है।
आईसीएमआर के विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में फ्लोराइड को नियंत्रित करने के सुझाव दिए हैं। गांव के लोगों को विटामिन सी, विटामिन डी 3, कैल्शियम का दवा देने कहा है। आईसीएमआर ने शॉर्ट टर्म और लांग टर्म प्रोग्राम भेजे हैं। शॉर्ट टर्म में दवाएं और लांग टर्म के लिए सुरक्षित पेयजल सप्लाई प्लांट का जिक्र किया है। लोगों को नियमित जागरूक करने कहा है।
स्वास्थ्य विभाग का जहाना है स्टेंडर्ड ऑपरेटिव सिस्टम लागू किया जाए, मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़े तो करवाया जाए, इलाज नि:शुल्क हो। मरीजों को अस्पताल आने-जाने के लिए वाहन मुहैया करवाया जाए।
गांव में नियमित डॉक्टर, मेडिकल स्टॉफ की नियुक्ति हो। खून, पेशाब की नियमित जांच, मरीजों का फॉलोअप। - कुपोषित परिवारों के लिए संतुलित आहार की व्यवस्था हो।
स्वास्थ्य संचालनालय में एनसीडी नोड्ल अधिकारी डॉ. केसी उराव, फ्लोराइड नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन, आईडीएसपी नोडल अधिकारी डॉ. केआर सोनवानी से आयुक्त रोजाना रिपोर्ट ले रहे हैं। इन्हें ग्रामीणों के स्वास्थ्य सुधार के लिए हर आवश्यक साधन-संसाधन मुहैया करवाने के निर्देश हैं।
पंचायत विभाग- बोर बेल खोदने की घोषणा के पहले पीएचई से रिपोर्ट लेनी चाहिए।पीएचई- लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को बोर बेल खोदने से पहले मिट्टी की जांच करनी चाहिए। खुदाई के बाद भी हो पानी की जांच। स्वास्थ्य विभाग- अचानक से होने वाली मौत या मौतों पर विस्तृत जांच करवाए।
आदिम जाति विकास विभाग- गांव स्तर पर इनके कर्मी सक्रिय हैं। वे सक्रियता से होने वाले घटनाक्रम की रिपोर्ट दें।
आयुक्त, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग आर. प्रसन्ना का कहना है आईसीएमआर ने प्राथमिक रिपोर्ट भेजी है, कृषि विश्वविद्यालय की रिपोर्ट भी मिल चुकी है। इनके आधार पर निर्णय लिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पूरी स्थिति से अवगत करवा दिया है।