कोलकाता में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि फेल नहीं करने की नीति के कारण देश के कई सरकारी स्कूल मध्योह्न भोजन के केंद्र बन गए हैं। पांचवीं व आठवीं कक्षा में फेल छात्रों को प्रमोट करने से रोकने के लिए केंद्र जल्द ही संसद में विधेयक लाएगा।
जावडेकर ने शनिवार को इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की परिचर्चा में कहा कि बच्चों को पहली से आठवीं कक्षा तक नहीं रोके जाने की नीति से बच्चे ही सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। परीक्षा नहीं होने से देश के कई सरकारी स्कूल महज मिड डे मिल स्कूल बनकर रह गए हैं। बच्चे वहां सिर्फ दोपहर का भोजन करने जाते हैं और फिर घर लौट आते हैं। उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए विधेयक लाया जाएगा।
जावडेकर ने बताया कि प्रस्तावित बिल में राज्य सरकारों को पांचवीं एवं आठवीं के छात्रों के लिए मार्च में परीक्षा आयोजित करने का अधिकार दिया जाएगा। उसमें फेल होने वाले बच्चों को मई में अंतिम मौका दिया जाएगा। दोनों परीक्षाओं में फेल होने पर बच्चों को उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा। जावडेकर के मुताबिक अब तक 25 राज्यों ने इस बिल पर सहमति जताई है। हमने सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक कर संयुक्त रूप से यह निर्णय लिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगले साल से मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा में सभी भाषाओं के प्रश्न-पत्र एक समान होंगे। इस साल अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रश्न-पत्र एक समान नहीं थे। परीक्षार्थियों का कहना था कि अंग्रेजी का प्रश्न-पत्र क्षेत्रीय भाषाओं के प्रश्न-पत्र से आसान था। इसे लेकर पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों ने केंद्र से शिकायत की थी। जावडेकर ने कहा है कि कॉलेजों की मार्कशीट के साथ आधार कार्ड को जोड़ा जाएगा। मार्कशीट पर छात्रों की तस्वीर भी रहेगी।