खबर रायपुर से । कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के जमीन मामले पर फैसला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह करेंगे। यह संकेत दिल्ली से लौटने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिया है। उन्होंने कहा कि पूरा प्रकरण केन्द्रीय नेतृत्व के संज्ञान में है। उनसे बातचीत और चर्चा के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। सीएम ने कहा- \'मंत्री कल अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं, उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि कोई भी जांच होती है तो मैं सामना करने को तैयार हूं।\"
दो दिन के दिल्ली प्रवास के बाद राजधानी लौटे मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने बताया कि इस मामले पर उनकी पूरी नजर है। इसको लेकर मीडिया में आई खबरों और विपक्ष के बयानों को मैंने देखा और सुना है। उन्होंने बताया कि इस बीच मैंने पूरे मामले में मुख्य सचिव से विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी।
मीडिया से चर्चा में रमन सिंह ने जानकारी दी कि सीएस ने रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। सीएस की जांच रिपोर्ट के संबंध में पूछे जाने पर सीएम ने कहा कि यह सरकारी रिपोर्ट है, आप लोगों (मीडिया) के सामने तब आएगी जब उसे मैं प्रस्तुत करूंगा। जमीन बेचने वाले किसान के आरोपों के संबंध में पूछे जाने पर सीएम ने कहा कि इस विषय में बहुत सारी बातें आ चुकी हैं, रिपोर्ट भी हमें मिल गई है, इसलिए इस पर ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा।
गौरतलब है कि बृजमोहन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी के नाम महासमुंद जिले के सिरपुर में कथित वनभूमि की खरीदी की है, जिस पर रिसॉर्ट का निर्माण चल रहा है। जबकि बृजमोहन का दावा है कि खरीदी नियम से की गई है और जब खरीदी तब वह एक किसान के नाम पर दर्ज थी।
अब वन विभाग यह पता कर रहा है कि किसकी गलती से इतने सालों तक वन विभाग की भूमि राजस्व दस्तावेजों में वन विभाग के नाम नहीं चढ़ाई गई। वन मंत्री महेश गागड़ा ने \'नईदुनिया\" से कहा- जांच के आदेश पीसीसीएफ को दिए गए हैं। हम यह भी पता लगा रहे हैं कि क्यों जमीन का नामांतरण नहीं किया जा सका। जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। ज्ञात हो कि जिस भूमि पर विवाद है वह भूमि वन विभाग को जल संसाधन विभाग से मिली थी।
वन विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 2003 में उक्त भूमि पर प्लांटेशन किया गया, जिसमें 23 लाख रुपए खर्च किए गए। 2015 में जब वन भूमि पर रिसोर्ट की शिकायत हुई तो कलेक्टर ने जांच कराई। वन विभाग से पूछा गया कि नामांतरण क्यों नहीं हुआ? वन विभाग ने जवाब दिया कि उन्हें जमीन जल संसाधन विभाग से मिली है। नामांतरण कराने की जवाबदारी जल संसाधन विभाग की है। इस संबंध में वन विभाग ने जल संसाधन विभाग को पत्र लिखा तो जवाब मिला कि वह जमीन बिक चुकी है, इसलिए हम आपको लौटा नहीं सकते।