राशन हर वक्त
सरकार की हर योजना जो गरीबों के लिए बनाई जाती है वह भ्रष्टाचार, उपेक्षा और दलालों के बीच में दम तोड़ देती है। राशन की दुकानें गरीबों की मजबूरियों का बहुत बड़ा दुरुपयोग करती रही हैं। वहां भ्रष्टाचार सबसे अधिक है। दुकान एक घंटे के लिए खोलना और फिर बंद कर देना। इसके बाद फिर राशन न देना सामान्य घटनाएं थीं। राशन की दुकान में सबसे अधिक भ्रष्टाचार गांवों में होता रहा है। राशनों की दुकानों की तरह का हाल मनरेगा में हो रहा है। इस स्थिति को बदलने के लिए राज्य सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने इसे लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है। अब पात्र परिवारों को पैसों की उपलब्धता के आधार पर राशन मिलने की सुविधा मिलेगी। मौजूदा नियम के मुताबिक पात्र परिवारों को एक रुपए किलो के हिसाब से हर माह 35 किलो गेहूं मिलता है। वर्तमान नियमों के तहत एक साथ संपूर्ण राशन लेना पात्र परिवारों की मजबूरी है। अब खाद्य विभाग के नई व्यवस्था के बाद किस्तों में 35 किलो राशन खरीद सकेंगे। इसके तहत राशन दुकान की अनिवार्यता भी खत्म की जा सकेगी। यह एक ऐसा सिस्टम होगा जिसमें किसी मजदूर को अपने घर से दूर जाने पर कोई तकलीफ नहीं उठाना होगी। अक्सर प्रवासी मजदूर अपने इस हक से वंचित ही रहे हैं।नई योजना लागू होने से पात्र कार्डधारक एटीएम की तरह कभी भी, कहीं से भी किसी भी उचित मूल्य की राशन दुकान से राशन ले सकेंगे। यह जानकारी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री विजय शाह ने दी है। खाद्य विभाग की इस योजना से काला बाजारी भी खत्म होगी क्योंकि राशन थंब इंप्रेशन के माध्यम से केवल पात्र परिवारों को ही मिलेगा और उचित हकदार को उसका हक दिया जा सकेगा। यह एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम कहा जा सकता है। राशन जैसी प्रक्रिया से भ्रष्टाचार हटाना एक बड़ी पेचीदी प्रक्रिया है। हो सकता है कि अज्ञानता इसमें शामिल हो। भ्रष्टाचार निरोध के कÞानून के क्रियान्वयन में अनियमितताएं भी एक बड़ी वजह है। लोगों को कÞानून से संबंधित जानकारी का न मिलना। इसकी वजह से कई जगहों पर लोगों को उनके लिए दी गई सरकारी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। उनके लिए हर योजना की स्थिति काला अक्षर बराबर बन कर रह जाती है। भारत में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल नामक एक संस्था द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 62 प्रतिशत से अधिक भारतवासियों को सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों को अपना काम करवाने के लिये रिश्वत या ऊचे दजर् के प्रभाव का प्रयोग करना पड़ता है। इस दौरान कई करोड़ की रिश्वत अलग-अलग कर्मचारियों को दी जाती है। इसमें वह भ्रष्टाचार शामिल नहीं हो जो उद्योगपतियों, एजेंटों, ठेकों आदि में फैला होता है। देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। समय रहते इसे नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए संबंधित भ्रष्टाचार कर रही पूरी चेन जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, ताकि कोई भ्रष्टाचार करने के बारे में सोचना ही बंद कर दे।