बैलेंस और पेनाल्टी घटा सकता है एसबीआई
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देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि वह बचत खाते में मिनिमम बैलेंस की राशि और इस नियम के उल्लंघन पर लगने वाली पेनाल्टी में संशोधन करने के बारे में विचार कर रहा है। खाते में न्यूनतम मासिक औसत बैलेंस कम होने पर ग्राहकों पर जुर्माना लगाकर 1771 करोड़ रुपये की कमाई करने की चौतरफा आलोचना होने के कारण बैंक इस नियम में संशोधन करने को मजबूर हुआ है।

भारतीय स्टेट बैंक के बचत खाताधारकों की संख्या करीब 40 करोड़ है। उसने अप्रैल 2017 में मिनिमम मासिक बैलेंस चार्ज पांच साल के बाद दुबारा लगाया था। बैंक ने शहरों की शाखाओं में बैंक खाते में 5000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 1000 रुपये न्यूनतम बैलेंस का नियम लागू किया था। खाते में राशि कम होने पर बैंक चार्ज लगाता है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस नियम को लागू करने से बैंक ने अप्रैल से नवंबर के बीच 1771.67 करोड़ रुपये की कमाई की जो उसके दूसरी तिमाही के शुद्ध मुनाफे से भी ज्यादा है।

बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर (रिटेल व डिजिटल बैंकिंग) पी. के. गुप्ता ने संवाददाताओं को बताया कि मासिक औसत बैलेंस की समीक्षा हमारे लिए निरंतर प्रक्रिया है। अप्रैल में हमने इसे लागू किया था। इसके बाद अक्टूबर में इसमें कुछ कमी की गई थी। हम इसकी दुबारा समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्राहकों और आम लोगों से मिले फीडबैक के आधार पर बैंक न्यूनतम बैलेंस और उस पर लगने वाली पेनाल्टी की विस्तृत समीक्षा कर रहा है। जल्दी ही हम इसकी घोषणा करेंगे। इस समय शहरों में न्यूनतम बैलेंस 3000 रुपये है। बैलेंस कम होने पर पेनाल्टी 30 से 50 रुपये (कर अतिरिक्त) लगती है। अर्धशहरी क्षेत्रों के लिए 2000 रुपये और ग्र्रामीण क्षेत्र की शाखाओं के लिए 1000 रुपये न्यूनतम बैलेंस है और इस पर जुर्माना 20 से 40 रुपये के बीच लगता है। पहले उसने जुर्माना 50 से 100 रुपये से वसूला जा रहा था। अक्टूबर में बैलेंस और जुर्माने में कटौती की गई थी।

न्यूनतम बैलेंस और इस पर जुर्माने का बचाव करते हुए बैंक ने कहा था कि उसे शहरों में 3000 रुपये मासिक बैलेंस रहने पर हर महीने सिर्फ छह रुपये और गांवों में 1000 रुपये बैलेंस रहने पर सिर्फ दो रुपये की आय होती है। यह राशि उसके द्वारा दी जा रही सेवाओं की लागत की तुलना में बहुत कम है।